चंद्रपुर के ताडाली औद्योगिक क्षेत्र में स्थित ‘ओमेट वेस्ट लिमिटेड’ कंपनी पर कामगारों की मौतों का गहरा दाग लग गया है। सुरक्षा नियमों की अनदेखी और लापरवाही के चलते कंपनी में अब तक कई मजदूरों की जान जा चुकी है। लेकिन हाल ही में घटी घटनाओं ने इसे सुर्खियों में ला दिया।
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कामगारों की मौतें और कंपनी की बेरहमी!
13 अक्टूबर 2024 की सुबह, बिहार निवासी अजय रवींद्र राम (कामगार) पर 20 फुट ऊंचाई से 200 किलो स्टील स्क्रैप गिर पड़ा, जिससे मौके पर ही उनकी दर्दनाक मौत हो गई। लेकिन, चौंकाने वाली बात यह रही कि कंपनी ने न तो किसी तरह का मुआवजा दिया और न ही कोई संवेदना जताई। उल्टा, शव को चुपचाप बिहार भेज दिया गया।
यह पहली घटना नहीं थी! इससे पहले, 23 जून 2024 को श्यामसुंदर ठेंगणे नामक मजदूर की भी इसी कंपनी में मौत हो चुकी थी। उनके परिवार को 30 लाख रुपए की मदद तो मिली, लेकिन बाकी 15 लाख का मुआवजा अब तक अटका हुआ है।
औद्योगिक लापरवाही का अड्डा बनी कंपनी
जांच में यह सामने आया है कि कंपनी में न तो सुरक्षा उपकरण मौजूद हैं और न ही सुरक्षा अधिकारी नियुक्त किया गया है। यही कारण है कि लगातार हादसे हो रहे हैं। वर्ष 2022 में भी निकलेश हरीराम इनवटे नामक मजदूर की मौत हो चुकी थी, वहीं 16 जनवरी 2025 को हुए एक अन्य हादसे में सिकंदर यादव गंभीर रूप से घायल हुए और अंततः 3 फरवरी 2025 को दम तोड़ दिया।
विधायक सुधाकर अडबाले ने सरकार को लिया आड़े हाथों!
मजदूरों के इन दर्दनाक हादसों पर विधायक सुधाकर अडबाले ने सरकार से जवाब तलब किया। उन्होंने विधायिका में तारांकित प्रश्न उठाकर कंपनी पर कठोर कार्रवाई की मांग की। उनके दबाव के बाद कामगार मंत्री आकाश फुंडकर ने जवाब देते हुए कहा कि अजय रवींद्र राम का नाम राज्य कामगार बीमा योजना में दर्ज था, इसलिए उनके परिवार को 2 लाख रुपये अनुदान और अन्य लाभ दिलाने की प्रक्रिया चल रही है।
श्यामसुंदर ठेंगणे के परिवार को प्रति दिन के हिसाब से आर्थिक सहायता देने की मंजूरी भी दी गई है।
3 आपराधिक मामले दर्ज, लेकिन क्या होगी सख्त कार्रवाई?
औद्योगिक सुरक्षा व स्वास्थ्य निदेशालय की जांच के बाद चंद्रपुर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में कंपनी के खिलाफ 3 आपराधिक मामले दर्ज कर लिए गए हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह कदम कंपनी की घोर लापरवाह नीतियों को बदल सकेगा?
मजदूरों की लगातार हो रही मौतें और कंपनियों की मनमानी यह दिखाती है कि उद्योगपतियों की लापरवाही मजदूरों के जीवन पर भारी पड़ रही है। अब देखना यह होगा कि न्याय व्यवस्था इन गरीब कामगारों के हक में क्या फैसला सुनाती है?