Maharashtra Assembly Elections : चंद्रपुर शहर के पठाणपुरा-जोडदेवूल परिसर में महाविकास आघाड़ी के सभी दलों की बैठक बुलाई गई। इस बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद पवार गुट के नेता भी शरीक हुए। टिकट बंटवारे में राष्ट्रवादी कांग्रेस ( NCP) के साथ हुए अन्याय और अन्य मौकों पर चुनाव जीतने के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस (NCP) के नेताओं की लगातार और बरसों से की जा रही उपेक्षा का मुद्दा राकांपा नेता दीपक जयस्वाल ने उछाल दिया। कांग्रेस को आईना दिखाते ही कांग्रेस के तमाम नेताओं के चेहरे का रंग उड़ गया। वे संतोषजनक जवाब नहीं दे पाएं। इस मौके पर उपस्थित विरोध दल नेता व कांग्रेस विधायक विजय वडेट्टीवार एवं सांसद प्रतिभा धानोरकर भी राकांपा के आरोपों का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाएं। इसके चलते यह मुद्दा अब मविआ के कार्यकर्ताओं और जनता के बीच चर्चा का विषय बन गया है।
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चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र की सीट को कांग्रेस ने राष्ट्रवादी कांग्रेस के लिए छोड़ने से इनकार कर दिया, भले ही इसका जोरदार अनुरोध किया गया था। इसके बावजूद, कांग्रेस को इस क्षेत्र में राजू झोड़े के माध्यम से बगावत का सामना करना पड़ रहा है। यह सीट जितनी आसान दिखती है, उतनी नहीं है। इसलिए कांग्रेस में हुई बगावत को समाप्त कर उम्मीदवार को जिताने की जिम्मेदारी कांग्रेस की ही है। यही बात रखते हुए, राष्ट्रवादी कांग्रेस के शहर जिलाध्यक्ष दीपक जयस्वाल ने कांग्रेस नेताओं को कड़ी फटकार लगाई।
चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस उम्मीदवार के प्रचार के सिलसिले में महाविकास आघाड़ी की बैठक बुधवार रात पठानपुरा, चंद्रपुर में आयोजित की गई। बैठक में कांग्रेस के चुनाव पर्यवेक्षक चौधरी, विरोधी दल नेता विजय वडेट्टीवार, सांसद प्रतिभा धानोरकर, ग्रामीण जिलाध्यक्ष विधायक सुभाष धोटे, कांग्रेस समर्थित विधान परिषद सदस्य सुधाकर अडवाले, राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरदचंद्र पवार गुट) के ग्रामीण जिलाध्यक्ष राजेंद्र वैद्य, चंद्रपुर शहर जिलाध्यक्ष दीपक जयस्वाल, कांग्रेस के शहर जिलाध्यक्ष रामू तिवारी समेत आम आदमी पार्टी और शिवसेना (उद्धव गुट) के कुछ पदाधिकारी भी मौजूद थे। हालांकि, शिवसेना (उद्धव गुट) के जिला प्रमुख संदीप गिन्हे ने इस बैठक से दूरी बना ली।
इस बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस के पदाधिकारियों ने कांग्रेस की जमकर आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि मुश्किल समय में ही राष्ट्रवादी के पदाधिकारियों को बुलाया जाता है, लेकिन चुनाव के बाद उनकी सुध तक नहीं ली जाती।
जिले के छह विधानसभा क्षेत्रों में से कम से कम एक सीट राष्ट्रवादी कांग्रेस को देने की मांग की गई थी, खासतौर पर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित चंद्रपुर क्षेत्र से। कांग्रेस को यहां लगातार छह बार हार का सामना करना पड़ा है और अब सातवीं बार भी वही स्थिति बनती दिख रही है। इसलिए कम से कम यह सीट राष्ट्रवादी कांग्रेस के लिए छोड़ने की मांग की गई थी, लेकिन कांग्रेस ने इनकार कर दिया और अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया।
इन सबके बावजूद कांग्रेस में बगावत हो गई। ऐसे में उम्मीदवार को जिताने की जिम्मेदारी कांग्रेस के प्रमुख नेताओं की है। इस जिम्मेदारी से वे भाग नहीं सकते, यह बात दीपक जयस्वाल ने स्पष्ट रूप से कही।
जयस्वाल के फटकार के बाद कांग्रेस नेताओं ने समय निकालने की कोशिश की और कहा कि उम्मीदवार साधारण है, उसे संभालना चाहिए। लोकसभा चुनाव के बाद से विरोधी पक्ष नेता विजय वडेट्टीवार और सांसद प्रतिभा धानोरकर एक मंच पर नहीं दिखे थे। लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेतृत्व के सख्त आदेश के चलते दोनों नेता इस बैठक में मौजूद थे। हालांकि, बैठक के दौरान दोनों ने एक-दूसरे से बातचीत नहीं की और नजरें भी नहीं मिलाईं।
5 नवंबर से चुनाव प्रचार ने जोर पकड़ा है, लेकिन शुरुआती चरण में कांग्रेस के उम्मीदवार के साथ कोई बड़ा नेता नहीं देखा गया। स्थानीय पदाधिकारी भी प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं। धानोरकर समर्थक पदाधिकारी फिलहाल शांत हैं। बैठक में नेताओं ने भाषण दिए और चले गए। लेकिन दीपक जयस्वाल की फटकार चर्चा का विषय बनी हुई है। इस संदर्भ में एक मराठी दैनिक अखबार पुण्यनगरी में इस विषय को लेकर एक विस्तृत समाचार भी प्रकाशित किया गया है। बहरहाल यह मुद्दा चंद्रपुर के चुनावों पर असर डाल सकता है, यह चर्चा आम कार्यकर्ताओं में है।