“How Deorao Bhongle Outmaneuvered 4 Veteran MLAs to Emerge as the Kingpin of Rajura Assembly?”
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चंद्रपुर जिले में 6 विधानसभाएं हैं। चुनाव समाप्त हो चुके हैं। परिणाम भी आ चुके हैं। जिले को 2 नये विधायक मिले। एक हैं करण देवतले और दूसरे हैं देवराव भोंगले। लेकिन जिले के 6 विधायकों की जीत में सर्वाधिक चर्चा में हैं देवराव भोंगले। सोशल मीडिया एवं नागरिकों में राजुरा के जीत पर ही अधिक चर्चा हो रही है। राजुरा में माहौल बनाया एक प्रत्याशी ने, और लीड पर चल रहे थे दूसरे प्रत्याशी लेकिन जीतकर आ गये तीसरे प्रत्याशी। इस तरह के संदेशों और चर्चाओं से राजुरा का माहौल गरमाया हुआ है। ऐसे में जब हम राजुरा के चुनावी परिस्थितियों पर गौर करते हैं तो हमें ज्ञात होता है कि यहां करीब एक माह पूर्व 6 हजार से अधिक फर्जी वोटर पंजीयन घोटाला उजागर हुआ था। मतदान के पूर्व आधी रात को गडचांदूर के नागरिकों ने करीब 62 लाख से अधिक की नकद राशि पकड़कर पुलिस एवं चुनाव आयोग को कार्रवाई करने के लिए बाध्य किया। एक महिला द्वारा एक परिवार को नोट बांटते हुए का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। भाजपा के वरिष्ठ नेता व 2 पूर्व विधायकों की पत्रकार परिषद में भाजपा प्रत्याशी देवराव भोंगले का विरोध तथा वरिष्ठों को शिकायतें देने का दौर चला। इन सबके बावजूद अंतत: भोंगले की जीत गये। चुनावी सरताज बने देवराव भोंगले ने राजुरा में अनुभवी रहे 4 पूर्व विधायकों की रणनीतियों को ध्वस्त कर दिया। इन्हें पानी पिलाते हुए इनके सारे मनसुबों पर पानी फेर दिया। जीत पर अपना नाम दर्ज कर अनुभवी 4 विधायकों के अनुभव को करारा धक्का दिया है।
ज्ञात हो कि राजुरा में इस बार 4 पूर्व विधायकों के बीच चुनाव लड़ने की होड़ मची थी। इनमें वर्तमान कांग्रेस जिलाध्यक्ष सुभाष धोटे, पूर्व विधायक एड. वामनराव चटप, पूर्व विधायक संजय धोटे तथा पूर्व विधायक सुदर्शन निमकर का नाम प्रमुखता से शामिल था। चुनाव से करीब एक माह पूर्व चारों अनुभवी पूर्व विधायक काफी फॉर्म में चल रहे थे। सभी अपने अनुभवी राजनीतिक बिसात को बिछाने लगे। डेढ़ वर्ष पूर्व जब लोकसभा चुनाव के बहाने से राजुरा की जिम्मेदारी भाजपा ने देवराव भोंगले को सौंप दी तो यहां के कार्यकर्ताओं ने इन्हें घुग्घुस निवासी और पार्सल करार देते हुए भर्त्सना की। परंतु ऐन समय पर राजुरा भाजपा की टिकट हासिल करने में भोंगले कामयाब रहे। और इन परिस्थितियों में भाजपा के वरिष्ठ नेता कहे जाने वाले पूर्व विधायक एड. संजय धोटे तथा सुदर्शन निमकर मुंह ताकते रहे गये।
जब भाजपा की ओर से राजुरा के लिए देवराव भोंगले के नाम की घोषणा हुई तो स्थानीय भाजपा नेता अस्वस्थ हो गये। विरोध का दौर चल पड़ा। पूर्व विधायक एड. संजय धोटे तथा सुदर्शन निमकर अपने सैंकड़ों समर्थकों तथा कार्यकर्ताओं के साथ जनता के बीच आये। विरोध जताने के लिए पत्रकार परिषद ली। भोंगले पर अनेक आरोप मढ़ दिये गये। इसके बाद दोनों पूर्व विधायकों ने बगावत की आहट देते हुए अपना नामांकन पर्चा भी भर दिया। लेकिन जैसे ही भाजपा के आलाकमान की ओर से इन्हें समझाइश दी गई तो उक्त दोनों नेताओं ने चुप्पी साध ली और अपना नामांकन वापिस ले लिया। यहीं से अनुभवी पूर्व विधायकों के मनसुबों पर पानी फेरना शुरू हो गया।
जिस समय भाजपा प्रत्याशी देवराव भोंगले राजुरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में बेहद शांतिमय ढंग से गुपचुप तरीके से और खुफिया रणनीतियों के तहत अपने चुनावी पैर पसार रहे थे, तब कांग्रेस जिलाध्यक्ष सुभाष धोटे ने उन्हें और उनकी रणनीतियों को गंभीरता से नहीं लिया। चुनावी संघर्ष के बीच मतदाता ऑनलाइन पंजीयन घोटाला हुआ इसे हालांकि कांग्रेस ने ही उजागर किया। 6853 फर्जी वोटरों के खिलाफ चुनाव आयोग से कांग्रेस ने शिकायत की। जिलाधिकारी को आगे आकर इन तमाम बोगस वोटरों का पंजीयन रद्द कराना पड़ा। साथ ही इसकी गहन जांच व कार्रवाई के आदेश पुलिस को दिये गये। लेकिन हैरत की बात है कि बीते माह भर में पुलिस किसी भी आरोपी के गिरेबान तक नहीं पहुंच पायी। सबसे दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस नेता सुभाष धोटे इस गंभीर मसले को अपना चुनावी मुद्दा नहीं बना पाएं। हैरत की बात है कि किसी भी चुनावी सभा में इस मुद्दे को उछालने की जरूरत महसूस नहीं की गई। यह गलती आखिरकार सुभाष धोटे पर भारी पड़ गई।
गत दिनों जब राजुरा में आयोजित पत्रकार परिषद में पूर्व विधायक एड. संजय धोटे एवं सुदर्शन निमकर के अलावा अनेक भाजपा नेता उपस्थित थे। सैंकड़ों कार्यकर्ता इनके समर्थन में सड़क पर उतर आये थे। भाजपा नेता देवराव भोंगले को राजुरा से टिकट दिये जाने को लेकर उन पर घुग्घुस का पार्सल होने का आरोप लगाया गया था। गुटबाजी को हवा देने के लिए भोंगले पर अनेक आरोप मढ़ दिये गये थे। इन परिस्थितियों में भाजपा यहां टुकड़ों में बिखरती हुई दिखाई तो पड़ी, इसके बावजूद दोनों विधायकों की रणनीतियां ध्वस्त हो गई। उनकी चुप्पी ने भोंगले के लिए मैदान खुला कर दिया।
कांग्रेस नेता सुभाष धोटे से सीधी टक्कर लेने के लिए स्वतंत्र भारत पक्ष के नेता व पूर्व विधायक वामनराव चटप कमर कसकर लड़ते रहे। परंतु भाजपा प्रत्याशी देवराव भोंगले की रणनीतियों पर अनुभवी एड. चटप ने भी ध्यान नहीं दिया। संभाजी ब्रिगेड के प्रत्याशी भूषण फूसे ने एक पत्रकार परिषद लेकर देवराव भोंगले की ओर से चुनावी शपथपत्र में अधूरी जानकारी देने का मसला उठाते हुए उनका नामांकन रद्द करने की अपील की। परंतु इस मसले पर 4 अनुभवी पूर्व विधायक एक साथ कहीं नजर नहीं आये। यह मुद्दा आया और हवा की तरह चला गया।
सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि जब गड़चांदूर में एक भाजपाई के मकान में से मिले 62 लाख से अधिक नकद राशि नागरिकों ने तथा राकांपा के कार्यकर्ताओं की सजगता से जब्त की गई तो कांग्रेस इस मसले पर भी चुप्पी साधे बैठी रही। मतदान के पूर्व नोट बांटने से संबंधित कुछ महिलाओं का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल होता रहा। इस मसले पर भी सुभाष धोटे ने सार्वजनिक तौर पर सामने आकर कुछ नहीं कहा। ऐसा लग रहा था मानो इन्हें भाजपा के लिए खुली छूट देने का मन बना लिया हो। अनेक गड़बड़ियों और अनियमितताओं के बीच चुनाव के ऐन समय पर भी सुभाष धोटे की निष्क्रियता उनके विधायकी पर कहर बनकर टूट पड़ी। जब मतगणना शुरू हुई तो सुभाष धोटे एवं वामनराव चटप के बीच रस्साकशी चल रही थी। अनेक राऊंड तक भाजपा प्रत्याशी भोंगले तीसरी स्थान पर ही अटकें हुए थे। फिर शाम ढलते-ढलते जब अंतिम राऊंड शुरू हुए तो दिग्गज व अनुभवी कहे जाने वाले नेताओं के पैरों तले की जमीन खिसकने लगी। क्योंकि अंतिम राऊंड में देवराव भोंगले ने बाजी पलट दी। तीसरे पर चल रहे भोंगले दूसरे क्रमांक पर दिखने लगे और फिर धीरे से पहले क्रमांक पर आ धमके। इसके चलते राजुरा में अब 4 अनुभवी पूर्व विधायकों की काफी किरकिरी हो रही है। जो भी हो अंतिमत: जीत देवराव भोंगले की हुई।
ज्ञात हो कि वर्ष 2000 में देवराव घुग्घुस के सरपंच बने थे। उसके बाद पंचायत समिति सदस्य व सभापति बन गये। वर्ष 2012 में जिला परिषद सदस्य का चुनाव लड़ा और घुग्घुस से जितने के बाद जिप के निर्माण विभाग के सभापति बने। इसके बाद वर्ष 2017 में चिंतलधाबा –पोंभूर्णा से पुन: जिप सदस्य का चुनाव लड़ा और मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के आशीर्वाद से जिप के अध्यक्ष बन गये। और अब 4 पूर्व विधायकों की रणनीति को धूल चटाकर राजुरा के विधायक बनने में कामयाब रहे।