महायुति का एकमत फैसला: फडणवीस होंगे मुख्यमंत्री
महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा फेरबदल हुआ है। देवेंद्र फडणवीस को बीजेपी विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद महायुति की बैठक में एकनाथ शिंदे और अजीत पवार ने उनके नाम पर मुहर लगा दी है। फडणवीस गुरुवार को मुंबई के आजाद मैदान में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। पांच साल पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बीजेपी का साथ छोड़कर कांग्रेस और एनसीपी से गठबंधन किया था। उस वक्त फडणवीस ने चुनौतीपूर्ण अंदाज में कहा था, “मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना। मैं समंदर हूं, लौटकर आऊंगा।” आज, फडणवीस सचमुच सत्ता में लौट आए हैं, लेकिन उनके सामने कई गंभीर चुनौतियां हैं।
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चुनौतियां 1: लाड़की बहिन योजना का बोझ
महायुति की जीत में ‘लाड़की बहिन योजना’ की अहम भूमिका रही है। शिंदे सरकार ने महिलाओं को 1500 रुपये प्रति माह देने का वादा किया था, और अब इसे बढ़ाकर 2100 रुपये करने का वादा है। यह योजना महाराष्ट्र की लगभग 2 करोड़ महिलाओं को लाभ पहुंचा रही है।
वित्तीय दबाव: इस योजना को जारी रखने के लिए सरकार को 45,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करने होंगे।
बुनियादी ढांचे पर असर: इतने बड़े वित्तीय बोझ के चलते बुनियादी ढांचे के विकास के लिए धन की कमी हो सकती है।
चुनौतियां 2: भारी कर्ज और लोकलुभावन वादे
महाराष्ट्र सरकार पर फिलहाल 7.82 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। शिंदे सरकार के कई लोकलुभावन फैसलों से राज्य पर 90,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है।
कर्ज माफी और कल्याण योजनाएं: किसानों की कर्ज माफी और विभिन्न जातियों के लिए कल्याण बोर्ड स्थापित करने जैसे वादों से सरकार पर 2 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ सकता है।
राजनीतिक और वित्तीय प्रबंधन की अग्निपरीक्षा
देवेंद्र फडणवीस के सामने चुनावी वादों को पूरा करना और राज्य की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखना एक बड़ी चुनौती होगी।
1. महिला कल्याण: लाड़की बहिन योजना को जारी रखने और इसे बढ़ाने का दबाव।
2. आर्थिक स्थिरता: बढ़ते कर्ज को नियंत्रित करते हुए लोकलुभावन वादों का प्रबंधन।
3. आंतरिक समन्वय: महायुति के तीन दलों (बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी) के बीच सामंजस्य बनाए रखना।
विशेषज्ञों की राय: क्या फडणवीस संभाल पाएंगे हालात?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि फडणवीस की प्रशासनिक क्षमता और राजनीतिक चतुराई उनकी सबसे बड़ी ताकत है। हालांकि, विपक्ष और जनता की उम्मीदों का दबाव उनके लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा।
देवेंद्र फडणवीस ने साबित कर दिया है कि वह महाराष्ट्र की राजनीति के ‘समंदर’ हैं। लेकिन अब उन्हें अपने वादों और योजनाओं के बीच संतुलन बनाते हुए राज्य को विकास की दिशा में आगे बढ़ाना होगा।