धारीवाल इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा मंजूर मार्ग की अनदेखी कर निजी जमीन में डाली गई पाइपलाइन से किसानों को हुआ भारी नुकसान। जलसंपदा मंत्री गिरीश महाजन ने दी पुनः जांच की घोषणा। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।
चंद्रपुर जिले के ताडाली एमआईडीसी क्षेत्र में स्थित धारीवाल इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी पर एक बार फिर जांच की तलवार लटक गई है। वर्धा नदी से विद्युत निर्माण परियोजना के लिए मंजूर पाइपलाइन मार्ग को नजरअंदाज कर कंपनी द्वारा निजी जमीन से पाइपलाइन डाले जाने का खुलासा हुआ है। इसके चलते पाइपलाइन में लीक होने से कई किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं। इस गंभीर मामले पर महाराष्ट्र विधानसभा के मानसून सत्र में विधायक सुधाकर अडबाले के तारांकित प्रश्न पर जलसंपदा मंमंत्री गिरीश महाजन ने पुनः जांच के निर्देश दिए हैं।
मंत्री महाजन ने स्पष्ट किया कि कंपनी को सरकारी मंजूरी के तहत छह फीट गहराई में पाइपलाइन बिछानी थी, लेकिन उसने अनुमति के विपरीत निजी जमीन से और कम गहराई में पाइपलाइन बिछाई। इसी वजह से पाइपलाइन में रिसाव हुआ, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
इस मामले की जांच के लिए 18 मार्च 2025 को जिला प्रशासन द्वारा एक समिति गठित की गई थी, जिसमें उपअधीक्षक, तहसीलदार, तालुका कृषि अधिकारी और अन्य अधिकारी शामिल थे। लेकिन इस समिति ने मात्र 6 किसानों को 15,000 रुपये की भरपाई का संशयास्पद रिपोर्ट दिया, जिसे मंत्री ने “संदिग्ध” बताते हुए खारिज कर दिया।
मंत्री महाजन ने कहा, “15,000 रुपये की भरपाई तो किसानों के परिवहन खर्च से भी कम है। वास्तविक नुकसान का कोई निष्पक्ष मूल्यांकन नहीं हुआ। इसलिए जिलाधिकारी को नई जांच के आदेश दिए जा रहे हैं। जब तक पुनः पाइपलाइन मंजूर मार्ग से नहीं डाली जाती और लीक पूरी तरह बंद नहीं होती, तब तक कंपनी पर नजर रखी जाएगी।”
विधायक सुधाकर अडबाले ने भी तीखा रुख अपनाते हुए कहा,
“जब तक किसानों को उचित मुआवजा नहीं मिलता, तब तक मैं विधानसभा में इस मुद्दे को लगातार उठाता रहूंगा।”
यह मामला केवल एक पाइपलाइन की दिशा का नहीं, बल्कि सिस्टम में गहरी गड़बड़ी का संकेत देता है। सरकारी मंजूरी को दरकिनार कर कंपनी ने अपनी सुविधा के अनुसार रास्ता बदला, जिससे ना केवल सरकारी नियमों की अनदेखी हुई, बल्कि ग्रामीणों की आजीविका पर भी गहरी चोट पहुंची। पहले की जांच समिति की रिपोर्ट पर सवाल उठना दर्शाता है कि जांच प्रक्रिया भी पारदर्शी नहीं थी। अब जब स्वयं जलसंपदा मंत्री ने इस पर सवाल उठाए हैं और दोबारा जांच के आदेश दिए हैं, तो उम्मीद है कि किसानों को न्याय मिलेगा।
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