Discontented BJP Leaders in Contact with Brijbhushan Pazare Chandrapur Assembly Election: Kishore Jogewar Joins BJP, But His Supporters Change Allegiance!”
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राजनीतिक दलों में निष्ठा के साथ काम करने वाले सेवक आजकल कम ही नजर आते हैं। जो बरसों से अपने पार्टी के लिए कार्य कर रहे थे, वे अचानक चुनावों के ऐन समय पर पाला बदल लेते हैं। अपना नेता भी बदल लेते है। यह दृष्य अब आम बात बनती जा रही है। यदि हम बात करें चंद्रपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की तो यहां आचार संहिता लागू होने के बाद चंद्रपुर के निर्दलीय विधायक किशोर जोरगेवार को पूर्व केंद्रीय गृहराज्य मंत्री हंसराज अहिर की पैरवी के चलते भाजपा में घर वापसी कराया गया। भाजपा ने चंद्रपुर का टिकट दिया। इसके चलते बरसों से भाजपा में सेवा दे रहे ब्रिजभूषण पाझारे नाराज हो गये और उन्होंने बगावत कर दी। इसके बाद पाझारे ने नामांकन भरा और निर्दलीय उम्मीदवार बन गये। परंतु हैरत की बात है कि हंसराज भैया के कट्टर समर्थक कहे जाने वाले अनेक लोग आज भैया के उम्मीदवार जोरगेवार के बजाय पाझारे के समर्थन में कार्य करने लगे है। खासकर घुग्घुस क्षेत्र में यह आलम खुलेआम दिखाई पड़ रहा है। बरसों से घुग्घुस में भाजपा को मजबूत करने वाले एवं घुग्घुस में भाजपा की नींव रखने वाले भी आज भाजपा प्रत्याशी जोरगेवार के साथ नहीं है। बल्कि हंसराज अहिर के कोप की परवाह किये बिना ही वे पाझारे के समर्थन में चुनावी प्रचार कर रहे हैं।
चंद्रपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में अब भाजपा और कांग्रेस के भितर का विरोध अब किसी तिसरे के लाभ का कारण बनता दिखाई पड़ रहा है। वर्ष 2019 में निर्दलीय के रूप में किशोर जोरगेवार प्रत्याशी थे, अबकी बार वे भाजपा के प्रत्याशी है। इस बार कांग्रेस के प्रत्याशी प्रवीण पडवेकर हैं। इन दो मुख्य दलों को 2 निर्दलीय उम्मीदवारों ने नाक में दम कर रखा है। एक हैं भाजपा के बागी ब्रिजभूषण पाझारे और दूसरे हैं कांग्रेस के बागी राजू झोडे। इन 2 युवा नेताओं की चुनावी मैदान में मौजूदगी से यह रण अधिक घमासानयुक्त हो गया है।
पिछली बार चंद्रपुर की भाजपा और कांग्रेस के अनेक कार्यकर्ताओं ने खुलकर निर्दलीय प्रत्याशी रहे किशोर जोरगेवार के पक्ष में काम किया था। इस बार चित्र उल्टा नजर आ रहा है। इस बार कुछ भाजपा के कार्यकर्ता, भाजपा की नीतियों से नाराज होकर निर्दलीय उम्मीदवार ब्रिजभूषण पाझारे का खुलकर साथ दे रहे हैं। जबकि साथ देने वालों में स्वयं हंसराज अहिर के कट्टर समर्थक हैं। बरसों से भाजपा की निष्ठावान सेवा करने के बाद अचानक से कट्टर समर्थकों की ओर से पाला बदले जाने के कारण यह जनता के बीच चर्चा का विषय बन गया है।
ज्ञात हो कि विधायक किशारे जोरगेवार बीते दो माह में चंद्रपुर से राजनीतिक दल का टिकट पाने के लिए काफी जद्दोजहद करते दिखे। उन्होंने स्वयं पत्रकार परिषद में यह दावा किया था कि उनके पक्ष प्रवेश को लेकर स्थानीय नेताओं का काफी विरोध है। हालांकि उन्होंने विरोध करने वाले नेताओं के नाम उजागर नहीं किये। परंतु जिन नेताओं की ओर से उनका विरोध होता रहा है, उन्हीं नेताओं के कार्यकर्ता जोरगेवार के लगातार संपर्क रहे हैं। अनेक कार्यकर्ताओं के कार्यों की पूर्ति करने में जोरगेवार सफल भी रहे। जोरगेवार की भाजपा टिकट पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहिर की बदौलत उन्हें प्राप्त हुई तो उम्मीद जताई जा रही थी कि अहिर गुट जोरगेवार की सेवा में लग जाएगा।
परंतु इसके उलट अहिर समर्थक ब्रिजभूषण पाझारे का प्रचार करते हुए दिखाई पड़ रहे हैं। अनेक कार्यकर्ताओं के सोशल मीडिया पर पाझारे के वीडियो एवं पोस्ट घूमने लगे हैं। भाजपा के बागी पाझारे को मुनगंटीवार गुट सहकार्य कर रहा है या नहीं, यह खोजबिन का विषय हो सकता है। लेकिन वर्तमान में घुग्घुस की मुनगंटीवार टीम राजुरा के दौरे पर हैं। क्योंकि मंत्री मुनगंटीवार के करीबी समझे जाने वाले घुग्घुस निवासी देवराव भोंगले को राजुरा विधानसभा की टिकट दे दी गई है। इसलिए घुग्घुस भाजपा के अधिकांश कार्यकर्ता राजुरा में ताल ठोंकर भोंगले के प्रचार में जुटे हुए हैं। ऐसे में चंद्रपुर भाजपा के प्रत्याशी यहां बेसहारा जैसी स्थिति में आ गये हैं।