चंद्रपुर और यवतमाल जिलों की सीमा पर बहने वाली पैनगंगा नदी पर गांधीनगर (कोडशी बू) – तेजापुर नदीघाट पर अब तक कोई पुल नहीं बनाया गया है। इस कारण स्थानीय लोगों को अपनी जान जोखिम में डालकर नाव से नदी पार करनी पड़ती है।
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पुल न होने की वजह से गांधीनगर से तेजापुर जाने के लिए केवल 2 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है, लेकिन इस रास्ते के अभाव में खातेरा पुल के जरिए 30 किलोमीटर और कोडशी खू पुल (वेळाबाई) के रास्ते से 45 किलोमीटर का लंबा चक्कर लगाना पड़ता है। अगर इस स्थान पर पुल बना दिया जाए, तो कोरपना से कायर तक के गांवों का सीधा संपर्क हो जाएगा, जिससे आवागमन बेहद आसान हो जाएगा।
ग्रामीणों के लिए बड़ी राहत
अगर यह पुल बनता है, तो तेजापुर, आमलोण, गाडेघाट, चिलई, गणेशपुर, कुंद्रा, मोहदा, हिवरधरा, नेरड, पुरड, कायर, कोसारा, सिंधी, वाढोणा, पठारपुर, बोपापूर, दरा, रासा, कुंभारखणी, घोणसा, कोडशी बूज, तुळशी, गांधीनगर, तांबाडी, तुकडोजीनगर, पारधीगुडा, धोपटाला, हेटी, कोरपना जैसे कई गांवों के लोगों को सीधा लाभ मिलेगा।
➤ तीर्थस्थलों तक पहुंच होगी आसान
इस पुल से गोडगाव इजासन, भूडकेश्वर, वडजापूर, शिरगिरी, संगमेश्वर, बाबापूर, घाटराई, माराई पाटण, लोणी, धनकदेवी, कुसळ, देवघाट जैसे धार्मिक स्थलों तक पहुंचना भी बेहद सुगम हो जाएगा।
खतरनाक सफर, बारिश में हालात और भी गंभीर
इस क्षेत्र में कई किसानों की जमीन दोनों जिलों में बंटी हुई है। इसलिए उन्हें हर रोज इस जानलेवा रास्ते से गुजरना पड़ता है। बरसात के मौसम में नदी का जलस्तर बढ़ने से नाव चलाना बेहद खतरनाक हो जाता है। कई बार नाव पलटने की घटनाएं हो चुकी हैं, जिससे जान का खतरा बना रहता है। किसानों की फसल भी प्रभावित होती है, क्योंकि बारिश के दिनों में खेतों तक पहुंच पाना नामुमकिन हो जाता है। अगर यहां एक मजबूत पुल बना दिया जाए, तो इन सभी मुश्किलों से लोगों को छुटकारा मिल सकता है।
व्यापार और औद्योगिक क्षेत्र को होगा बड़ा लाभ
➤ पुल बनने से व्यापारिक गतिविधियां तेज होंगी।
कोरपना इस क्षेत्र की सबसे बड़ी व्यापारिक मंडी है। अगर यह पुल बनता है, तो कोरपना से कायर तक का सीधा रास्ता खुलेगा, जिससे दोनों जिलों के व्यापार को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा। मोहदा, चिलई और गणेशपुर में गिट्टी खदानें, डोलोमाइट और लाइमस्टोन की खानें स्थित हैं। यहां से निकलने वाले खनिजों की औद्योगिक आपूर्ति में तेजी आएगी और सड़क परिवहन भी सुगम हो जाएगा। इससे स्थानीय व्यापारियों और श्रमिकों को भी रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
सिंचाई और जल प्रबंधन में भी मददगार
अगर यह पुल बैराज बांध और यातायात पुल के रूप में बनाया जाता है, तो यह न केवल आवागमन की सुविधा देगा, बल्कि सिंचाई के लिए भी वरदान साबित होगा। इससे दोनों जिलों के किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल सकेगा।पानी की उचित व्यवस्था होने से खेती की उपज में भी बढ़ोतरी होगी। बिजली उत्पादन और जल संरक्षण की भी संभावना बढ़ेगी।
सरकार कब लेगी ठोस कदम?
आजादी के 77 साल बाद भी लोग नाव से जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं। क्या यह प्रशासन की असफलता नहीं है? जनप्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों को चाहिए कि वे इस पुल निर्माण को प्राथमिकता दें। यदि इस पुल का निर्माण जल्द होता है, तो यह हजारों ग्रामीणों, किसानों और व्यापारियों के लिए वरदान साबित होगा। सरकार को चाहिए कि तुरंत बजट आवंटित कर इस परियोजना को पूरा करे, ताकि लोगों को राहत मिल सके।
इस पुल के अभाव में लोगों को न केवल अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ रही है, बल्कि उन्हें व्यापार, खेती और दैनंदिन जीवन में भी भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अगर सरकार इस समस्या का समाधान नहीं करती, तो यह आम जनता के साथ अन्याय होगा। अब समय आ गया है कि प्रशासन इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करे और पुल निर्माण का कार्य जल्द से जल्द शुरू करे।