भाजपा के दो नेताओं की प्रतिस्पर्धा: सुधीर मुनगंटीवार और किशोर जोरगेवार के कार्यक्रमों की जंग
चंद्रपुर में भाजपा के दो दिग्गज नेताओं के बीच टकराव
भाजपा के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री और बल्लारपुर के विधायक सुधीर मुनगंटीवार और चंद्रपुर के विधायक किशोर जोरगेवार के बीच राजनीतिक प्रतिस्पर्धा की खबरें इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई हैं। दोनों नेता अपने-अपने कार्यक्रमों के माध्यम से क्षेत्र में राजनीतिक वर्चस्व स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं। हाल ही में, जोरगेवार ने 10 जनवरी को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को कन्नमवार शतकोत्तर रजत जयंती महोत्सव के अवसर पर चंद्रपुर आमंत्रित किया। इसके कुछ ही दिनों बाद, मुनगंटीवार ने 16 जनवरी को राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को पर्यावरण परिषद के उद्घाटन के लिए चंद्रपुर लाकर चर्चा में जगह बनाई।
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कार्यक्रमों में एक-दूसरे से दूरी
गौरतलब है कि इन दोनों कार्यक्रमों में न तो मुनगंटीवार जोरगेवार के कार्यक्रम में शामिल हुए और न ही जोरगेवार मुनगंटीवार के आयोजन में पहुंचे। इससे दोनों नेताओं के बीच आपसी प्रतिस्पर्धा और तनाव के संकेत मिलते हैं।
जोरगेवार की सियासी रणनीति
विधायक किशोर जोरगेवार, जो एक दशक पहले भाजपा में थे और फिर विभिन्न दलों का रुख करने के बाद भाजपा में वापस लौटे, जोरगेवार ने अपना पहला बड़ा कार्यक्रम मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बुलाकर आयोजित किया। कन्नमवार जयंती के बहाने उन्होंने इस कार्यक्रम को पूरी तरह राजनीतिक स्वरूप देने का प्रयास किया। हालांकि, इस आयोजन के दौरान उनकी कई मांगों को मुख्यमंत्री की ओर से स्वीकृति नहीं मिली, जिससे उनकी आलोचना भी हुई। इसके बावजूद जोरगेवार ने सांस्कृतिक और खेल कार्यक्रमों का आयोजन कर अपनी सक्रियता बनाए रखी और मुनगंटीवार को चुनौती देने की कोशिश की।
मुनगंटीवार का संतुलित नेतृत्व
दूसरी ओर, सुधीर मुनगंटीवार ने पर्यावरण परिषद के माध्यम से अपनी छवि को मजबूत करने का प्रयास किया। उन्होंने इस कार्यक्रम को पूर्ण रूप से गैर-राजनीतिक स्वरूप में आयोजित किया और समाज के विभिन्न वर्गों को इसमें शामिल किया। मुनगंटीवार ने सुनिश्चित किया कि मंच पर कोई राजनीतिक रंग न दिखाई दे। इसके अलावा, वे जल्द ही स्वास्थ्य और कृषि से जुड़े कार्यक्रमों के आयोजन की भी योजना बना रहे हैं।
राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाओं का टकराव
मुनगंटीवार, जो पूर्व में मंत्री रहे हैं, मंत्रीपद न मिलने को लेकर असंतोष प्रकट कर चुके हैं, हालांकि वे आशावादी नजर आते हैं। वहीं, जोरगेवार का मानना है कि पांच भाजपा विधायकों की मौजूदगी मंत्रीपद की गारंटी नहीं है। लेकिन मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में वे छिपे इशारों के जरिए अपनी महत्वाकांक्षाएं जाहिर करने से नहीं चूके।
बाकी विधायक बने मूकदर्शक
जब मुनगंटीवार और जोरगेवार के बीच प्रतिस्पर्धा चरम पर है, अन्य तीन भाजपा विधायक पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं। यह स्थिति चंद्रपुर में भाजपा की आंतरिक राजनीति को और दिलचस्प बना रही है।
लोक चर्चा का विषय
इन दोनों नेताओं की प्रतिस्पर्धा जनता के बीच चर्चा का मुख्य विषय बन गई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह टकराव भाजपा के लिए भविष्य में कितनी संभावनाएं और कितनी चुनौतियां पैदा करेगा।