महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री🔍 देवेंद्र फडणवीस पर अब उन्हीं के परिवार से सवाल उठने लगे हैं।🔍 चंद्रपुर जिले में🔍 प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों के घर बनाने के लिए🔍 रेत नहीं मिल रही, जिससे हजारों घर अधूरे पड़े हैं। वहीं, सरकारी विभागों को रेती घाट खुलेआम बांट दिए गए हैं। इस भेदभाव को लेकर खुद मुख्यमंत्री की चाची और महाराष्ट्र की 🔍पूर्व मंत्री शोभा फडणवीस ने तीखा विरोध जताया है। उन्होंने प्रशासन और सरकार को आठ दिनों की चेतावनी दी है—अगर गरीबों को रेती उपलब्ध नहीं करवाई गई, तो वे खुद घरकुल लाभार्थियों (प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थी) के साथ सड़क पर उतरेंगी।
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रेत संकट से घरकुल योजना की हालत खराब!
🔍चंद्रपुर जिले में पिछले तीन वर्षों से प्रधानमंत्री आवास योजना, यशवंतराव चव्हाण आवास योजना और शबरी आवास योजना के तहत गरीबों को घर देने की कवायद जारी है। लेकिन हकीकत ये है कि इन घरों को पूरा करने के लिए जरूरी रेत ही नहीं मिल रही। सरकार की नीति के चलते रेती घाटों की नीलामी अटकी पड़ी है, जिससे निर्माण कार्य पूरी तरह ठप हो गया है।
पीड़ितों का कहना है कि कई परिवार आधे-अधूरे घरों में रह रहे हैं, तो कई किराए के मकानों में रहने को मजबूर हैं। रेत के अभाव में हजारों मकान अधूरे पड़े हैं, और बारिश से पहले अगर इन्हें पूरा नहीं किया गया तो गरीबों की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी।
मुल तालुका के गांवों में हाहाकार – शोभा फडणवीस का हस्तक्षेप
मुल तालुका के हळदी, उधळपेठ, उसराळा और चिंमढा गांवों के घरकुल लाभार्थियों ने शोभा फडणवीस से मुलाकात कर अपनी समस्या रखी। इस पर उन्होंने तुरंत कार्रवाई करते हुए 26 मार्च 2025 को उपविभागीय अधिकारी, तहसीलदार, बीडीओ और सरपंचों के साथ बैठक बुलाई। बैठक में रेत के संकट पर चर्चा हुई, लेकिन अधिकारियों ने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि वाळू घाट का मामला सरकार स्तर पर अटका हुआ है और प्रशासन इसमें कुछ नहीं कर सकता।
शोभा फडणवीस ने प्रशासन को घेरा, जिलाधिकारी से हुई तीखी बहस
शोभा फडणवीस ने इस मुद्दे पर सीधे 🔍जिलाधिकारी विनय गौड़ा जी.सी. से फोन पर बात की। उन्होंने पूछा कि जब सरकारी निर्माण कार्यों के लिए रेती घाटों को मंजूरी दी जा सकती है, तो फिर घरकुल योजना के लिए क्यों नहीं? इस पर जिलाधिकारी ने कहा कि “शासकीय कार्यों के लिए रेती घाट जारी किए गए हैं, लेकिन घरकुल योजना के लिए अनुमति नहीं है।”
इस जवाब पर भड़कते हुए शोभा फडणवीस ने जिलाधिकारी को जमकर लताड़ लगाई। उन्होंने पूछा, “क्या घरकुल योजना सरकारी नहीं है? क्या गरीबों के लिए घर बनाना सरकार की जिम्मेदारी नहीं है? जब सरकारी विभागों को रेत दी जा सकती है, तो गरीबों को क्यों नहीं?”
रेत घोटाले का आरोप – रातोंरात हो रही अवैध रेती चोरी!
इस पूरे मामले में एक और बड़ा खुलासा हुआ है – अवैध रेती चोरी का! शोभा फडणवीस ने आरोप लगाया कि प्रशासन की नाक के नीचे मूल के रेती घाटों से रातों-रात रेत चुराई जा रही है और हायवा के जरिए चंद्रपुर भेजी जा रही है। इस वजह से सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है, लेकिन गरीबों को उनके घर बनाने के लिए रेत नहीं दी जा रही।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर सवाल – अपने ही परिवार से मिली चुनौती!
सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि शोभा फडणवीस मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की करीबी रिश्तेदार हैं। उनके इस विरोध से साफ है कि अब मुख्यमंत्री के कामकाज पर उनके ही परिवार के लोग सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री की नीति और प्रशासन की लचर कार्यप्रणाली पर गहरी नाराजगी जताते हुए सीधे चेतावनी दी है – अगर आठ दिनों के भीतर घरकुल लाभार्थियों को वाळू उपलब्ध नहीं कराई गई, तो वे खुद आंदोलन का नेतृत्व करेंगी।
क्या फडणवीस सरकार बैकफुट पर आएगी?
अब बड़ा सवाल ये है कि क्या मुख्यमंत्री फडणवीस इस नाराजगी को गंभीरता से लेंगे? क्या रेत संकट जल्द खत्म होगा? या फिर शोभा फडणवीस के नेतृत्व में आंदोलन की नौबत आएगी?
इस मुद्दे ने महाराष्ट्र में नई राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। अगर प्रशासन और सरकार ने जल्द कोई कदम नहीं उठाया, तो चंद्रपुर से शुरू हुआ ये आंदोलन राज्यव्यापी विरोध में बदल सकता है!