महाराष्ट्र के बीड जिले से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि यहां से नकली देसी शराब की बड़े पैमाने पर तस्करी की जा रही है। यह शराब चंद्रपुर और गडचिरोली जैसे संवेदनशील जिलों में पहुंचाई जा रही है। इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड वर्धा जिले के हिंगणघाट तहसील स्थित अलीपुर गांव का रहने वाला प्रशांत तानबाजी चंदनखेडे है, जो वर्तमान में गांव का सरपंच भी है।
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नकली शराब का भंडाफोड़: बल्लारपुर से चिमूर तक फैला नेटवर्क
राज्य उत्पादन शुल्क विभाग और स्थानीय अपराध शाखा की संयुक्त छापेमारी में चंद्रपुर जिले के बल्लारपुर शहर स्थित मिलिंद वाइन शॉप से नकली देसी शराब की पेटियां बरामद की गईं। दुकान को तत्काल प्रभाव से 15 दिनों के लिए बंद कर सील कर दिया गया है।
सूत्रों के अनुसार चिमूर, ब्रम्हपुरी और सावली तालुकों में यह शराब ₹1800 प्रति पेटी के हिसाब से धड़ल्ले से बेची जा रही थी। तीन महीने पहले गोंडपिंपरी पुलिस थाना क्षेत्र में भी नकली शराब पकड़ी गई थी, जिसका संबंध इसी वाइन शॉप से जोड़ा गया है।
अलीपुर बना नकली शराब का हब
स्थानीय अपराध शाखा को पिछले कुछ महीनों से इस गिरोह की भनक लग चुकी थी। जांच में पाया गया कि वर्धा जिले के अलीपुर गांव में बड़े पैमाने पर शराब को अवैध तरीके से बोतलबंद किया जाता है। इसके बाद ट्रकों और अन्य वाहनों के जरिए इसे चंद्रपुर और गडचिरोली जिलों में सप्लाई किया जाता है।
2 मई को पुलिस ने चिमूर तालुका के मौजा बंदर शिवापूर में छापा मारकर लाखों रुपये की नकली देसी शराब जब्त की। छानबीन में बीड जिले से शराब की आवक की पुष्टि हुई।
राजनीतिक संरक्षण में फलता-फूलता अवैध कारोबार
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस तस्करी का मुख्य आरोपी प्रशांत चंदनखेडे न केवल अलीपुर का वर्तमान सरपंच है, बल्कि उसे राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, प्रशांत पिछले कई वर्षों से इस अवैध धंधे में सक्रिय है और राजनीतिक ताकत का लाभ उठाकर वह अब तक कानून की पकड़ से बाहर रहा है।
हालांकि अब चिमूर और गोंडपिंपरी में लगातार हो रही बरामदगियों के चलते यह नेटवर्क उजागर हो चुका है। चंद्रपुर के पुलिस अधीक्षक मुम्मका सुदर्शन ने पुष्टि की है कि आरोपी फरार है और उसकी तलाश जारी है।
प्रशासन सख्त, जिलाधिकारी ने दिए सख्त निर्देश
चंद्रपुर जिलाधिकारी विनय गौड़ा जी.सी. ने अवैध शराब निर्माण और बिक्री पर रोक लगाने के लिए संबंधित विभागों को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि पुलिस और राज्य उत्पादन शुल्क विभाग की संयुक्त टीमें नियमित रूप से कार्रवाई की समीक्षा करेंगी। इसके अलावा तालुका स्तर पर तहसीलदार की अध्यक्षता में निगरानी समितियों का गठन किया जाएगा ताकि इस अवैध व्यापार पर प्रभावी नियंत्रण रखा जा सके।
यह मामला केवल अवैध शराब तस्करी तक सीमित नहीं है; यह स्थानीय राजनीति, सरकारी तंत्र की मिलीभगत और ग्रामीण इलाकों में कानून व्यवस्था की गंभीर खामियों को भी उजागर करता है। जब एक ग्राम पंचायत का निर्वाचित प्रतिनिधि ही तस्करी का मुख्य सूत्रधार बन जाए, तो यह न केवल कानून का मजाक है बल्कि लोकतंत्र की नींव को भी हिला देने वाली बात है। आने वाले समय में देखना यह होगा कि प्रशासन इस गुत्थी को कितनी गहराई से सुलझा पाता है और क्या वास्तव में इस रैकेट का जड़ से खात्मा होगा या यह भी एक और ‘फाइल बंद’ मामला बनकर रह जाएगा।