वर्धा नदी में आए भयंकर बाढ़ ने किसानों की ज़िंदगी में कहर बरपा दिया है। किसान, जिन्हें आमतौर पर ‘बळीराजा’ कहा जाता है, इस विपदा से पूरी तरह टूट चुके हैं। पहले उन्होंने पूरी मेहनत से फसल की बुआई की, लेकिन वह बेकार चली गई। हिम्मत जुटाकर दूसरी बार बुआई की, मगर इस बार बाढ़ ने पूरी खेती को पानी में डुबो दिया। अपनी खेती को बचाने के लिए किसानों ने अपनी जमा-पूंजी और कर्ज तक लगा दिए, लेकिन अब वे पूरी तरह हताश और निराश हैं। (Maharashtra Government)
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किसानों की कोई बड़ी मांग नहीं है। उनकी एकमात्र अपेक्षा यह है कि कम से कम उनके नुकसान का पंचनामा किया जाए। परंतु सरकार इस पर ध्यान देने के लिए भी तैयार नहीं है। जहां राजनैतिक पार्टियां चुनाव में महिलाओं को अपना वोट बैंक बना रही हैं, वहीं अडेगाव की एक महिला किसान ने सरकार, स्थानीय प्रतिनिधियों और प्रशासन की उपेक्षा को बेनकाब कर दिया है।
गोंडपिपरी तालुका के अडेगाव की ‘विद्या चौधरी’, जो कि एक महिला किसान हैं, ने अब इस उपेक्षा के खिलाफ बड़ा कदम उठाने का निर्णय किया है। एक वीडियो के माध्यम से उन्होंने अपनी व्यथा व्यक्त की है। उनका कहना है कि सरकार और प्रशासन उनके दुख-दर्द को सुनने के लिए भी तैयार नहीं है।
विद्या चौधरी ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें मजबूर होकर यह कदम उठाना पड़ा है। यह घटना उन सभी किसानों की आवाज़ है, जो इस बाढ़ से प्रभावित हुए हैं और जिनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही।
इस संकट में किसानों को केवल अपने नुकसान का पंचनामा चाहिए, लेकिन प्रशासन की बेरुखी और सरकार की उदासीनता ने उन्हें इस स्थिति में ला खड़ा किया है कि वे अपने हक की लड़ाई खुद लड़ने को मजबूर हो गए हैं।
यह घटना स्पष्ट करती है कि किस तरह बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं किसानों के जीवन को प्रभावित करती हैं और किस तरह से प्रशासन और सरकार उनकी समस्याओं को नजरअंदाज करती है।