चंद्रपुर जिले के पोंभूर्णा तालुका के 15 गांवों को पानी की आपूर्ति करने वाली वेळवा ग्रिड जलापूर्ति योजना बंद होने के कारण नागरिकों को गंदा पानी पीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इस स्थिति के विरोध में शिवसेना (ठाकरे गुट) के कार्यकर्ताओं ने कल गटविकास अधिकारी विवेक बेल्लालवार के ऊपर गंदा पानी फेंक दिया। इस घटना के बाद, पोंभूर्णा पुलिस ने गुरुवार दोपहर को 60 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया। इस प्रकरण में शिवसेना जिला प्रमुख संदीप गिऱ्हे समेत 60 आंदोलनकर्ताओं के खिलाफ BDO ने स्थानीय थाने में पहुंचकर अपराध दर्ज कराया। इसके चलते 15 गांवों को शुद्ध पेयजल आपूर्ति तो मिली नहीं, लेकिन 60 आंदोलनकर्ता कानूनी जाल में फंस गये हैं।
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घटना का विवरण:
वेळवा में 15 गांवों को पानी की आपूर्ति के लिए लगभग 30 करोड़ रुपये खर्च करके एक ग्रिड जलापूर्ति योजना स्थापित की गई थी। हालांकि, पिछले डेढ़ महीने से बिजली का बिल न भरने के कारण यह योजना बंद हो गई है। इस वजह से, 15 गांवों के लोगों को गंदा और दूषित पानी पीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
ग्रामवासियों का विरोध:
ग्रामवासियों ने पंचायत समिति, ग्रामीण जलापूर्ति विभाग और महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण को कई बार ज्ञापन दिए थे, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। इस स्थिति से परेशान होकर, शिवसेना के ठाकरे जिला प्रमुख संदीप गिन्हे के नेतृत्व में पंचायत समिति के सामने एक प्रदर्शन किया गया।
प्रदर्शन के दौरान:
इस प्रदर्शन में प्रमुख रूप से आशिष कावटवार, सामाजिक कार्यकर्ता वैभव पिंपळशेंडे, वेळवा के सरपंच जितेंद्र मानकर, घनोटी के सरपंच पवन गेडाम, आष्टा के सरपंच किरण डाखरे, थेरगांव के उपसरपंच वेदनाथ तोरे, कल्पना गोरघाटे और नगरसेविका रामेश्वरी वासलवार शामिल थे। प्रदर्शन के दौरान कुछ लोगों ने गटविकास अधिकारी के कार्यालय के सामने घड़े तोड़ने की कोशिश की।
विवाद की स्थिति:
प्रदर्शन के दौरान, कुछ शिवसेना पदाधिकारियों ने गटविकास अधिकारी विवेक बेल्लालवार और ग्रामीण जलापूर्ति उपअभियंता विलास भंडारी के साथ बातचीत की। इस बीच, कुछ प्रदर्शनकारियों ने गटविकास अधिकारी बेल्लालवार के ऊपर गंदा पानी फेंक दिया, जिससे वहां अफरा-तफरी मच गई। इसके बाद बीडीओ बेल्लालवार ने इस घटना की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई।
पुलिस कार्रवाई:
शिवसेना ठाकरे जिला प्रमुख संदीप गिन्हे, आशिष कावटवार, वैभव पिंपळशेंडे सहित 60 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 132, 296, 189/2 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इस घटना ने पंचायत समिति प्रशासन में हलचल मचा दी है और आंदोलन को भी एक विवादस्पद मोड़ दे दिया है। इससे जलापूर्ति की समस्या को हल करने की आवश्यकता और भी महत्वपूर्ण हो गई है।