“चंद्रपुर के सावली तालुका में पाँच छात्रों का भविष्य दांव पर। छात्रवृत्ति और सरकारी योजनाओं से वंचित हुए ये छात्र पिछले पाँच साल से अपने आधार कार्ड को चालू कराने के लिए दर-दर भटक रहे हैं।”
अपडेट के नाम पर बंद किए गए आधार कार्डों से छात्रों का भविष्य संकट में; कई बार अपील के बावजूद नहीं मिला समाधान, शिक्षा का सपना अधूरा
शासन की योजनाओं का लाभ उठाने के लिए अनिवार्य आधार कार्ड अब कई छात्रों के लिए अभिशाप बन गया है। सावली तालुक़ा के बोथली गाँव के पाँच छात्र-छात्राओं का आधार कार्ड पिछले पाँच साल से निष्क्रिय कर दिया गया है। नतीजा यह है कि छात्रवृत्ति योजना हो या अन्य शासकीय और निमशासकीय योजनाएँ – इन बच्चों को एक भी लाभ नहीं मिल रहा।
2010 में जारी हुआ आधार, 5 साल पहले बिना सूचना बंद
साल 2010 में केंद्र सरकार ने आधार कार्ड लागू किया। नियमों के तहत बोथली गाँव के इन पाँच छात्रों ने भी आधार कार्ड बनवाया और नियमित उपयोग करना शुरू किया। लेकिन हैरानी की बात यह है कि पाँच साल पहले अचानक और बिना किसी पूर्व सूचना के उनका आधार नंबर निष्क्रिय कर दिया गया।
जब छात्रवृत्ति योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन करने गए, तब पता चला कि आधार नंबर काम नहीं कर रहा।
अधिकारियों के चक्कर, पर समाधान शून्य
छात्रों ने आधार कार्ड को पुनः सक्रिय कराने के लिए सावली से चंद्रपुर के जिलाधिकारी कार्यालय और फिर नागपुर के आयुक्तालय तक कई बार चक्कर लगाए। यहाँ तक कि 2022 में औपचारिक आवेदन भी दिया और सेतु केंद्र में छह बार अपडेट की प्रक्रिया पूरी की।
लेकिन हर बार सिस्टम से सिर्फ एक ही जवाब मिला – “डिएक्टिवेटेड।”
छात्रवृत्ति और ABCID प्रक्रिया में रोड़ा
इस समस्या के कारण छात्र न केवल शिष्यवृत्ति से वंचित हैं बल्कि केंद्र सरकार की नई अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (ABCID) प्रक्रिया भी पूरी नहीं कर पा रहे। इसका सीधा असर उनके उच्च शिक्षा के सपनों पर पड़ा है। पिछले पाँच सालों से वे मजबूरी में पूरी फीस भरकर पढ़ाई कर रहे हैं।
छात्रों की व्यथा और प्रश्न – अब जाएँ तो कहाँ जाएँ?
छात्रों का कहना है:
“हमने आधार बनवाने में नियमों का पालन किया, कार्ड हमारे पास है, पहचान सही है। फिर भी हमें योजनाओं से क्यों वंचित रखा जा रहा है? इतने चक्कर लगाने के बाद भी आधार सक्रिय क्यों नहीं हो रहा?”
यह घटना केवल पाँच छात्रों की नहीं बल्कि सरकारी सिस्टम की विफलता का आईना है। आधार कार्ड, जो पहचान और योजनाओं का आधार होना चाहिए था, अब शिक्षा और अवसरों में बाधा बन गया है।
तकनीकी खामी और विभागीय लापरवाही से छात्रवृत्ति जैसी योजनाएँ निष्प्रभावी हो रही हैं। यदि समय रहते समाधान नहीं निकाला गया तो हजारों छात्रों का भविष्य इसी तरह अंधकार में डूब सकता है।
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