8 और 9 मई की दरम्यानी रात भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा (LoC) पर सैन्य झड़पों की खबरों के बीच देश के कई प्रमुख न्यूज़ चैनलों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भ्रामक, अधूरी और फर्जी खबरों की बाढ़ आ गई। कई चैनलों ने फर्जी वीडियो, पुराने फुटेज और अपुष्ट दावों को प्रसारित कर ‘युद्ध की कहानी’ गढ़ दी, जिससे पत्रकारिता की विश्वसनीयता पर गहरे सवाल खड़े हो गए हैं।
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यह सब उस वक्त हो रहा था जब भारत सरकार और सेना लगातार अपील कर रही थी कि सोशल मीडिया पर फर्जी खबरें और भ्रामक सूचनाएं न फैलाएं। 🔍सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने मीडिया को एडवाइजरी जारी की थी और 🔍पीआईबी (प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो) ने फैक्ट चेकिंग के ज़रिए फर्जी खबरों का खंडन शुरू कर दिया था। बावजूद इसके, मुख्यधारा मीडिया का एक बड़ा हिस्सा गैर-जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग करता रहा।
मीडिया चैनलों की भूमिका
🔍एबीपी न्यूज़ – बिना पुष्टि के फिदायीन हमले की रिपोर्ट
8 मई की रात 10:30 बजे एबीपी न्यूज़ की एंकर चित्रा त्रिपाठी और रिपोर्टर आशीष कुमार सिंह ने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर के राजौरी स्थित 120 ब्रिगेड पर एक फिदायीन हमला हुआ है। रिपोर्टर ने सूत्रों के हवाले से कहा कि आतंकियों को अंदर भेजा गया और सुरक्षा बल उन्हें ‘ट्रेस डाउन’ कर रहे हैं। इस खबर की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई थी।
🔍आज तक – गेम फुटेज को बताया हवाई हमला
आज तक की वरिष्ठ एंकर श्वेता सिंह ने कश्मीर में ब्रिगेड पर आत्मघाती हमले की बात कही और वीडियो में ‘आसमान से आग के गोले’ बरसते हुए दिखाए। बाद में पीआईबी ने इस वीडियो को फर्जी बताया और स्पष्ट किया कि यह एक वीडियो गेम का फुटेज था जो 3 साल से ऑनलाइन है।
🔍ज़ी न्यूज़ – सनसनी फैलाने वाले दावे
ज़ी न्यूज़ ने कई असत्यापित खबरें चलाईं जैसे – ‘पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद पर कब्जा’, ‘कराची बंदरगाह पर भारी तबाही’, ‘शहबाज शरीफ बंकर में छिपे’। ये खबरें पूरी तरह आधारहीन थीं और दर्शकों में युद्ध का डर पैदा करने वाली थीं।
🔍रिपब्लिक भारत – युद्ध का भ्रम
अर्णब गोस्वामी ने अपने शो में कई बार दोहराया कि भारत ने लाहौर और इस्लामाबाद पर हमला किया है, जबकि ऐसी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं थी। उन्होंने दावा किया कि रिपब्लिक चार चरणों की सत्यापन प्रक्रिया से खबरें प्रसारित करता है, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने बिना प्रमाण के युद्ध की तस्वीर पेश की।
🔍दैनिक भास्कर – खेत की आग को बताया ड्रोन हमला
भास्कर डिजिटल ने एक वीडियो को पाकिस्तानी ड्रोन हमले के नाम से शेयर किया जबकि वह जालंधर के खेत में लगी सामान्य आग का वीडियो था। 🔍पीआईबी ने स्पष्ट किया कि यह वीडियो ड्रोन हमले से पहले का है और भ्रामक है।
सोशल मीडिया पर अफवाहों की बाढ़
फर्जी दावों में शामिल थे –
जम्मू एयरफोर्स बेस पर धमाका
गुजरात के हजीरा पोर्ट पर हमला
जालंधर में ड्रोन हमला
भारत पर पाकिस्तानी मिसाइल हमला
एयरपोर्ट्स पर एंट्री बैन
इन सभी खबरों को पीआईबी और अन्य फैक्ट चेक वेबसाइट्स जैसे 🔍Alt News, 🔍BOOM, और 🔍 Factly ने गलत करार दिया।
सरकारी कार्रवाई और माफी
भारत सरकार ने X (पूर्व ट्विटर) से 8,000 से अधिक अकाउंट्स को ब्लॉक करने को कहा जिनमें अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन और प्रभावशाली यूज़र्स भी शामिल हैं। वहीं, आज तक ने आधिकारिक रूप से माफी मांगते हुए माना कि उनसे कुछ अधूरी खबरें ऑनएयर हो गईं। एंकर नेहा बाथम ने इसे चैनल की “परीक्षा की घड़ी” बताया और भविष्य में सत्यापित खबरें देने का वादा किया।
मीडिया की भूमिका पर सवाल
यह पूरा घटनाक्रम इस बात को रेखांकित करता है कि जब देश में संवेदनशील हालात हों, तब मीडिया की जिम्मेदारी कई गुना बढ़ जाती है। दर्शकों को खबर नहीं, अफवाहें और डर बेचना पत्रकारिता नहीं है, यह सीधे-सीधे जनविश्वास और राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ है।
पत्रकारिता का मूलमंत्र सत्य, संतुलन और संवेदनशीलता है – न कि सनसनी, प्रतिस्पर्धा और टीआरपी की होड़। इस घटनाक्रम को एक चेतावनी के रूप में लेना होगा – मीडिया के लिए भी, दर्शकों के लिए भी, और सरकार के लिए भी।