कांग्रेस की बागी शोभा ठाकरे (उबाठा) और भाजपा के दो उम्मीदवारों का नामांकन छाननी में अमान्य; 25 नवंबर को बागियों के फैसले पर टिकी निगाहें
घुग्घुस नगर परिषद चुनाव के लिए दाखिल किए गए उम्मीदवारी अर्जियों की छाननी के बाद घुग्घुस की राजनीति में भारी उथल-पुथल मच गई है। मंगलवार, 18 नवंबर को हुई छाननी में नगराध्यक्ष पद के लिए दाखिल 13 में से 7 नामांकन पत्र अवैध पाए गए हैं, जबकि 159 नगर सेवक उम्मीदवारों में से 23 अर्जियां अमान्य हो गई हैं। इस छाननी प्रक्रिया से कई बड़े दलों को तगड़ा झटका लगा है और शहर में राजनीतिक तनाव चरम पर पहुंच गया है।
नगराध्यक्ष पद: सबसे बड़ा झटका कांग्रेस की नाराज शोभा ठाकरे को लगा है, जिन्होंने बागी होकर उद्धव बालासाहेब ठाकरे (उबाठा) गुट से नामांकन दाखिल किया था, जो छाननी में अमान्य घोषित हुआ। (कुल 13 में से 7 अवैध)।
नगर सेवक पद (पार्षद): भाजपा के प्रमुख उम्मीदवारों में पल्लवी सोदारी (प्रभाग क्रमांक 5) और गणेश पिंपळकर (प्रभाग क्रमांक 7) के अर्ज भी अमान्य किए गए।
तनाव का माहौल
भाजपा उम्मीदवारों के साथ-साथ अन्य शिंदे सेना, राष्ट्रवादी (अजित पवार गुट) और निर्दलीय (अपक्ष) उम्मीदवारों के भी कुल 23 नगर सेवक उम्मीदवारों के अर्ज नामंजूर हुए हैं। बड़ी संख्या में नामांकन अमान्य होने के कारण घुग्घुस की राजनीति में तनाव बढ़ गया है और बागी उम्मीदवारों पर दबाव बनाने के प्रयास शुरू हो गए हैं।
नामांकन रद्द होने के इस बड़े सत्र के कारण घुग्घुस नगर परिषद चुनाव अत्यंत रोचक और अप्रत्याशित मोड़ लेने की संभावना है। सभी की निगाहें अब 25 नवंबर, नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख, पर टिकी हैं, जब यह स्पष्ट होगा कि कितने बागी उम्मीदवार मैदान में कायम रहते हैं।
