चंद्रपुर जिले की औद्योगिक नगरी घुग्घुस भाजपा में गुटबाजी की राजनीति का नया केंद्र बन गई है। दो दशक से अधिक समय तक पूर्व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार समर्थक विधायक देवराव भोंगले और उनके सहयोगी विवेक बोढे का “सुधीरभाऊ सेवाकेंद्र” शहर की राजनीति और उद्योगों पर हावी रहा। लेकिन 2024 के विधानसभा चुनाव ने हालात बदल दिए।
विधानसभा चुनाव 2024 का असर और गुटबाजी की शुरुआत
पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव के बाद परिस्थितियाँ बदलीं। चंद्रपुर की राजनीति में मुनगंटीवार और जोरगेवार के बीच खिंची लकीर अब घुग्घुस तक फैल चुकी है। महानगर अध्यक्ष पद जोरगेवार गुट को मिलना इस गुटबाजी को और हवा देने वाला कदम साबित हुआ। घुग्घुस में भी भाजपा की नई टीम गठित की गई, जिसमें संजय तिवारी (शहर अध्यक्ष), साजन गोहने (महामंत्री), सुचिता लुटे (महिला अध्यक्ष), संतोष नुने (युवा मोर्चा अध्यक्ष) और इमरान खान (महामंत्री) जैसे नाम जोरगेवार खेमे से जुड़े हैं।
नेतृत्व की बदलती पकड़
कल तक भाजपा के हर निर्णय में “गुरुजी” कहलाने वाले विवेक बोढे की भूमिका अहम मानी जाती थी, मगर आज उनके समर्थकों के पास कोई पद नहीं हैं। शहर में चर्चा जोरों पर है कि सेवाकेंद्र का राजनीतिक प्रभाव धीरे-धीरे कम होता जा रहा है और कर्तव्य केंद्र का दबदबा बढ़ रहा है।
हाल ही में रविवार को महसूल मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले द्वारा जोरगेवार समर्थक पदाधिकारियों का प्रमाणपत्र वितरण कर सम्मानित करना इस बदलाव की तस्दीक करता है। दूसरी ओर, मुनगंटीवार गुट उपेक्षित महसूस कर रहा है।
उद्योग बनाम संगठन: दोहरी ताकत का खेल
यद्यपि संगठनात्मक स्तर पर कर्तव्य केंद्र का कद बढ़ता नजर आ रहा है, लेकिन घुग्घुस और आसपास के औद्योगिक क्षेत्र अब भी देवराव भोंगले गुट के प्रभाव में हैं। यही वजह है कि जोरगेवार खेमा पूरी तरह संतुष्ट नहीं दिख रहा। चर्चा यह भी है कि जब तक उद्योगों में सेवाकेंद्र का वर्चस्व है, तब तक जोरगेवार गुट की मजबूती अधूरी मानी जाएगी।
आगामी नगर परिषद चुनाव: असली परीक्षा
घुग्घुस को नगर परिषद बने पाँच वर्ष पूरे हो चुके हैं, लेकिन चुनाव अभी तक नहीं हुए। सूत्रों का कहना है कि जनवरी 2025 के अंत तक चुनाव संभव हैं। यही चुनाव तय करेंगे कि टिकट बंटवारे में भाजपा किस गुट का पलड़ा भारी रखती है।
यदि टिकट वितरण में जोरगेवार गुट को प्राथमिकता मिलती है, तो सेवाकेंद्र की दशकों की पकड़ कमजोर हो सकती है।
वहीं यदि उद्योग जगत की नब्ज पकड़कर मुनगंटीवार गुट दबाव बनाए रखता है, तो भाजपा की स्थानीय राजनीति में फिर से समीकरण बदल सकते हैं।
घुग्घुस भाजपा की मौजूदा स्थिति में सेवाकेंद्र और कर्तव्य केंद्र की गुटबाजी केवल व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा की लड़ाई नहीं है, बल्कि जिले के बड़े नेताओं के टकराव का स्थानीय विस्तार है।
आज कर्तव्य केंद्र का संगठनात्मक कद भले ही बढ़ गया हो, लेकिन उद्योगों में सेवाकेंद्र की मजबूत जड़ें इस गुटबाजी को संतुलित बनाए हुए हैं। आने वाले नगर परिषद चुनाव भाजपा के लिए सिर्फ सत्ता संघर्ष नहीं होंगे, बल्कि यह भी तय करेंगे कि घुग्घुस में भाजपा का असली चेहरा कौन सा गुट गढ़ेगा।
