घुग्घुस शहर में चुनावी गतिविधियों की चर्चाएं तो अनेक मुद्दों पर चल रही है लेकिन मतदाताओं में एक विषय को लेकर काफी बहस हो रही है। खासकर मुस्लिम मतदाताओं में भाजपा की नीति को लेकर आलोचना हो रही है। विशेषकर भाजपा के खेमे में भी दबी आवाज में इस मुद्दे को लेकर नाराजगी का माहौल नजर आ रहा है। यह मुद्दा है – भाजपा ने घुग्घुस नप चुनाव में उतारे 22 में से कोई एक उम्मीदवार मुस्लिम नहीं है। जबकि शहर में 32 हजार से अधिक मतदाता हैं और साढ़े 5 हजार से अधिक मतदाता मुस्लिम समाज के हैं। ऐसे में कल जब भाजपा के अल्पसंख्यक विभाग की ओर से आयोजित प्रचार सभा आयोजित की गई तो मंच पर अल्पसंख्यक आयोग महाराष्ट्र के अध्यक्ष प्यारे जिया खान ने उपस्थितों से वोट देने की अपील की तो जनता में खासा उत्साह नजर नहीं आया। दबी आवाज में प्यारे खान के बयान एवं घुग्घुस में मुस्लिम इच्छुक उम्मीदवारों की उपेक्षा को लेकर चर्चा गरमा रही है।
बताया जाता है कि एक ओर जहां भाजपा द्वारा मुस्लिम इच्छुक उम्मीदवारों को सिरे से नकारते हुए एक भी सीट उपलब्ध नहीं कराई हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से प्रभाग 4 से फातिमा पठाण एवं प्रभाग 8 से नुरूल सिद्दीकी को उम्मीदवारी देकर मुस्लिम समूदाय को प्रतिनिधित्व देने का दांव खेला है। सभी धर्मों को तवज्जों देने के इस पहल पर कांग्रेस ने बढ़त बनाई है। इसलिए भाजपा के खेमे में मुस्लिमों के आदर्श बनकर आएं प्यारे जिया खान के बयानों पर मुस्लिम समाज ही अब विश्वास नहीं कर पा रही है।
यहां बता दें कि इस चुनावी माहौल में भाजपा के अल्पसंख्यांक आघाडी की ओर से मुस्लिम समाज बंधुओं की भव्य सभा कल आयोजित की गई थी। घुग्घुस शहर के अधिकांश मुस्लिम बंधुओं को इस संवाद सभा में आमंत्रित किया गया था। उनकी समस्याएं, अपेक्षाएं एवं विकास को लेकर जानकारी प्राप्त करने की यह पहल भाजपा को फायदे के बजाय नुकसानदायक ही दिखाई पड़ रहा है। मुस्लिम समाज में सकारात्मक के बजाय नकारात्मक चर्चाएं चल रही है।
