नगराध्यक्ष पद अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित, पुराने दिग्गजों की रणनीति बदली; मैदान में उतरेंगी अनुभवी महिला चेहरे
चंद्रपुर जिले की औद्योगिक नगरी घुग्घुस में आगामी कुछ महीनों में होने वाले नगर परिषद चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी अपने चरम पर पहुंच गई है। नगराध्यक्ष पद के लिए अनुसूचित जाति (SC) महिला आरक्षण की घोषणा ने शहर के चुनावी समीकरणों को पूरी तरह से बदल दिया है, जिसके बाद प्रमुख राजनीतिक दलों के दिग्गज नेताओं का पसीना छूट गया है। उनके चुनावी मैदान बदलने से अब उन्हें दूसरे प्रभाग से अपनी किस्मत आजमानी पड़ रही है, जो उनके लिए आसान राह नहीं दिख रही है।
नए और पुराने चेहरों में उत्साह
2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 32,000 की आबादी वाले घुग्घुस में, नगर परिषद के लिए कुल 11 प्रभागों में 22 सदस्यों का चुनाव होना है। 2015 के ग्रामपंचायत चुनाव के बाद 2020 में इसे नगर परिषद घोषित किया गया था, लेकिन इन पांच सालों में चुनाव नहीं हो पाए थे। हाल ही में नगराध्यक्ष और 22 सदस्यों के आरक्षण की घोषणा हुई है, जिसके बाद पूर्व सरपंच, ग्रामपंचायत सदस्य, पंचायत समिति सदस्य और राजनीतिक अनुभवी नए चेहरों के साथ-साथ महिलाएं भी सक्रिय रूप से मैदान में उतरने के लिए कमर कस चुकी हैं।
इस चुनावी माहौल में सबसे अधिक चर्चा ‘भावी नगराध्यक्ष’ के सोशल मीडिया ट्रेंड की है, जिसने शहर का राजनीतिक तापमान कई गुना बढ़ा दिया है। अनेक इच्छुक उम्मीदवार अपनी इच्छा जाहिर कर रहे हैं कि वे ‘नगराध्यक्ष’ और ‘भावी नगरसेवक’ बनने की रेस में हैं।
अनुभवी महिलाएं प्रमुख दावेदार
नगराध्यक्ष पद अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित होने के बाद, कई मजबूत महिला दावेदार उभर कर सामने आई हैं, जिनके पास न सिर्फ पारिवारिक राजनीतिक पृष्ठभूमि है, बल्कि उन्होंने अपने कार्य से क्षेत्र में अपनी पहचान भी बनाई है।
प्रमुख महिला दावेदारों में शामिल हैं:
लक्ष्मी नलभोगा: पूर्व ग्रामपंचायत सदस्या लक्ष्मी नलभोगा, घुग्घुस क्षेत्र के पूर्व जिला परिषद, पंचायत समिति और सरपंच चिन्नाजी नलभोगा की पत्नी हैं। खास बात यह है कि जब लक्ष्मी ग्रामपंचायत सदस्य के लिए उम्मीदवार थीं, तब शहर के किसी भी प्रमुख राजनीतिक दल ने उनके विरुद्ध कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं किया था। आज वह नगराध्यक्ष के लिए एक मजबूत दावेदार हैं।
शोभा ठाकरे: पूर्व सरपंच शेषराव ठाकरे की बेटी शोभा ठाकरे ने सरपंच पदभार संभालने के बाद बाज़ार समिति की संचालक के रूप में भी कार्य किया है। उनकी राजनीतिक और प्रशासनिक समझ उन्हें दावेदारों की सूची में आगे रखती है।
रंजीता अगदारी: पूर्व ग्रामपंचायत सदस्य पवन अगदारी की पत्नी रंजीता अगदारी घुग्घुस क्षेत्र से पंचायत समिति सदस्य रह चुकी हैं। उनका क्षेत्रीय अनुभव उन्हें नगराध्यक्ष पद की दौड़ में मजबूत दावेदार बनाता है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इन तीनों महिलाओं ने अपने पारिवारिक राजनीतिक अनुभव के अलावा, अपने व्यक्तिगत कार्यों से भी क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इन प्रमुख महिला दावेदारों को शहर की किस प्रमुख राजनीतिक पार्टी से टिकट मिलती है। इन तीनों के अलावा, कई और नए महिला चेहरे भी नगराध्यक्ष की रेस में हैं, जो घुग्घुस की राजनीति में एक नई ऊर्जा लाने को तैयार हैं।
शहर की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने अभी तक अपने उम्मीदवारों के नाम स्पष्ट रूप से घोषित नहीं किए हैं, जिससे चुनाव का suspense बरकरार है। आरक्षण ने भले ही दिग्गजों की राह कठिन कर दी हो, लेकिन यह निश्चित है कि यह चुनाव महिला नेतृत्व और बदलते राजनीतिक समीकरणों के कारण ऐतिहासिक होने वाला है।
