आरक्षण पर भी विवाद; ‘ओबीसी’ की अनदेखी का आरोप
घुग्घूस नगर परिषद के आगामी चुनाव के लिए प्रकाशित मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई है. शहर के कई नागरिकों के नाम गलत वार्डों में डाल दिए गए हैं, जिससे चारों ओर भ्रम की स्थिति है. इसके चलते फर्जी मतदाताओं की घुसपैठ की आशंका जताई जा रही है, लेकिन पारदर्शी सूची के अभाव में उनका पता लगाना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है. मतदाताओं के पास सूची में हुई इन गलतियों पर आपत्ति दर्ज करने के लिए आज (13 अक्टूबर) और कल (14 अक्टूबर) सिर्फ दो दिन बचे हैं.
मतदाता सूची में भारी गड़बड़ी
स्थानीय निकाय चुनावों का रास्ता सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद साफ हो गया है. इसी कड़ी में घुग्घूस नगर परिषद के वार्ड-वार राजनीतिक आरक्षण का ड्रा 8 अक्टूबर 2025 को बालाजी मंगल कार्यालय में निकाला गया. हालांकि, इससे पहले ही मतदाता सूची में हुई गड़बड़ी ने चुनाव की तैयारियों पर सवालिया निशान लगा दिया है. नागरिकों के नाम एक वार्ड से दूसरे वार्ड में डाल दिए गए हैं, जिससे ‘वोट चोरी’ के आरोपों को बल मिला है. वर्षों से लंबित चुनावों के बावजूद, यह स्थिति दिखाती है कि चुनाव आयोग सुधार के लिए तैयार नहीं है, ऐसा लोगों का मानना है. इस गंभीर मामले को देखते हुए, जागरूक मतदाताओं से अपील की गई है कि वे तुरंत आपत्ति दर्ज कराकर इस गड़बड़ी को उजागर करें.
आरक्षण के ड्रॉ में भी गड़बड़ी?
घुग्घूस नगर परिषद में कुल 11 वार्ड हैं, और प्रत्येक वार्ड में दो सीटें हैं, इस तरह कुल 22 पार्षद पदों के लिए चुनाव होने हैं. इन चुनावों में राजनीतिक आरक्षण को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है. नियमानुसार, राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 27%, अनुसूचित जाति (SC) के लिए 15% और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए 7.5% आरक्षण है. लेकिन, घुग्घूस में आरक्षण के ड्रॉ में SC वर्ग को 6 सीटें, OBC वर्ग को 6 सीटें और ST वर्ग को 1 सीट दी गई है. खास बात यह है कि नगराध्यक्ष का पद SC महिला के लिए आरक्षित किया गया है.
जाति-वार आरक्षण का मुद्दा गरमाया
इस आरक्षण वितरण पर कई सवाल खड़े हो गए हैं. 27% और 15% आरक्षण वाले समूहों को समान सीटें कैसे दी गईं, यह सवाल आम नागरिकों को हैरान कर रहा है. अगर नियमानुसार आरक्षण का पालन किया जाता, तो ओबीसी को 27% के हिसाब से 6 सीटें, एससी को 15.5% के हिसाब से 3 या 4 सीटें और एसटी को 1 या 2 सीटें मिलतीं. साथ ही, कुल 22 सीटों में से 11 सीटों पर जाति-वार आरक्षण और 11 सीटें सामान्य वर्ग के लिए होनी चाहिए थीं. लेकिन, इस आरक्षण वितरण में 27% और 15.5% आरक्षण धारकों को समान सीटें देकर बड़ी गड़बड़ी की गई है ऐसा आरोप स्थिनिया नागरिकों द्वारा लगाया जा रहा है.
राजनीतिक मकसद से आरक्षण का बंटवारा?
नगराध्यक्ष के पद को ध्यान में रखें तो, ओबीसी की तुलना में एससी वर्ग को ज्यादा सीटें दी गई हैं. हर समूह को उसका उचित हिस्सा मिलना चाहिए, लेकिन दूसरों के अधिकार छीनकर किसी और को देना गलत है. इस तरह की घटना से यह संदेह पैदा हो रहा है कि आरक्षण का इस्तेमाल राजनीतिक मकसद से किया गया है. घुग्घूस नगर परिषद के इस चुनाव में मतदाता सूची की गड़बड़ी और आरक्षण के ड्रॉ में विसंगति ने राजनीति को गरमा दिया है, और आने वाले दिनों में ये मुद्दे चुनाव का मुख्य केंद्र बन सकते हैं.
