घुग्घुस शहर में जब कांग्रेस अंतिम सांसें गिन रही थी, तब एक वॉटरमैन कहे जाने वाले शख्स की इंट्री ने राजनीतिक समीकरणों को ही बदलकर रख दिया। बीते अनेक वर्षों से 80 % समाजकारण और 20 % राजकारण की नीति को लेकर आगे बढ़ा यह शख्स अब समूची टिम का नेतृत्व कर रहा है। यह और कोई नहीं बल्कि राजू रेड्डी और उनकी कड़ी मेहनत का परिणाम है। राजनीति से ज्यादा समाजसेवा में अग्रसर दिखाई देने वाले राजू रेड्डी बहरहाल पहली बार चुनावी मैदान में उतरे हैं। उनकी सीट न केवल प्रतिष्ठा की मानी जा रही है, बल्कि इस सीट के मायने नगर परिषद के सत्ता के गलियारों में दूर तक गूंज पैदा करने के लिहाज से यहां की जनता देख रही है। उनके इस चुनावी जंग के बीच तमाम चुनावी समीकरण को बदलने की ताकत यदि किसी में हैं तो वे है भाजपा के बागी एवं UBT के प्रत्याशी महेश लट्ठा। भाजपा प्रत्याशी सुचिता लुटे एवं साजन गोहने को पूर्व के ग्रापं के चुनावों का अनुभव हैं। लेकिन महेश लट्ठा की बगावत यहां भाजपा के काफी भारी पड़ सकती है।
घुग्घुस शहर वैसे तो अनेक परेशानियों से बरसों से जूझ रहा है। लेकिन यहां के जलसंकट को लेकर किसी भी दल के किसी नेता ने कभी गंभीरता से नहीं लिया। इस बीच कांग्रेस के नये-नवेले रहे राजू रेड्डी ने अपने जेब से धनराशि खर्च कर प्रभाग 3 में ही नहीं, बल्कि शहर में जहां-जहां पेयजल की आवश्यकता थी, वहां-वहां टैंकर लगाएं। और प्यासी जनता तक पानी पहुंचाकर उनकी दुआएं हासिल की। जनता ने सराहा और रेड्डी का संगठन आगे बढ़ता गया। कांग्रेस में उनका कद भी बढ़ा और संगठन अधिक मजबूत होता चला गया। समाजसेवा को गति मिली। ऊर्जा मिली। विविध उपक्रम चलाने का जोश बढ़ा तो कभी बारिश में गरीबों की छत को तिरपाल, कभी बिजली खंडित होने पर अधिकारियों का घेराव, कभी ओबीसी के हक में मोर्चा तो कभी रेलवे पुल के लिए कीचड़ में लेटकर आंदोलन किया। जरूरतमंदों को सरकारी दस्तावेज उपलब्ध कराने से लेकर श्मशान घाट में अंतिम संस्कार के लिए नि:शुल्क लकड़ियां उपलब्ध कराई। सड़क की गिट्टी भरवाने से लेकर जेल भरो आंदोलन ऐसे अनगिनत सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों ने राजू रेड्डी ने अपने नेतृत्व से लोहा मनवाया। लेकिन वे सर्वाधिक चर्चा में रहे वॉटरमैन के रूप में। क्योंकि हर प्यासी बस्ती के नागरिकों की गुहार के फोन कॉल्स राजू रेड्डी तक पहुंचते रहे और वे वॉटरमैन के रूप में मशहूर हो गए। 11 वर्षों का उनका संघर्ष अब कहीं जाकर प्रभाग 3 में उभरकर सामने आ रहा है।
इन हालातों के बीच राजू रेड्डी को उनके प्रभाग में कांग्रेस की सीट पर साथ दे रही हैं आशा पाणघाटे, जबकि इनका मुकाबला भाजपा के अनुभवी समझे जाने वाले उम्मीदवार सुचिता लुटे एवं साजन गोहने से हैं। भाजपा की इस प्रभाग में हालात इसलिए भी खराब है, क्योंकि महेश लट्ठा को भाजपा की ओर से उम्मीदवारी मिलने की उम्मीद थी। लेकिन भाजपा ने लट्ठा को तवज्जो नहीं दी। आखिरकार लट्ठा ने भाजपा से बगावत की और शिवसेना (UBT) से टिकट लेकर चुनावी मैदान में कूद पड़े। ऐसे में महेश लट्ठा की इंट्री से कांग्रेस के बजाय भाजपा के वोट बैंक को ही अधिक नुकसान पहुंचने की प्रबल संभावना है। यहां लता गोहकार की भी मजबूत दावेदारी नजर आ रही है।
