चंद्रपुर जिले का घुग्घुस, जो कभी अपनी कोयला खदानों के लिए प्रसिद्ध था, अब तेजी से एक औद्योगिक केंद्र में बदल रहा है। स्टील प्लांट का विस्तार यहां के विकास का संकेत माना जा रहा है, लेकिन इस विकास की कीमत यहां के किसानों और बेरोजगार युवाओं को चुकानी पड़ रही है।
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स्थानीय राजनेताओं, बाजार समिति के पदाधिकारियों और बिचौलियों का गठजोड़ किसानों को उनकी ज़मीन सस्ते दामों में बेचने के लिए मजबूर कर रहा है, जबकि बेरोजगार युवाओं से नौकरियों के नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही है। यह संगठित भ्रष्टाचार का मामला है, जिसकी निष्पक्ष जांच और कठोर कार्रवाई की मांग की जा रही है।
भूमि अधिग्रहण घोटाला: किसानों से ठगी, बिचौलियों की चांदी
सूत्रों के अनुसार, घुग्घुस और उसगांव में 200 एकड़ से अधिक कृषि भूमि अधिग्रहित की जा चुकी है, और अभी 100 एकड़ और अधिग्रहण की तैयारी है। लेकिन इस भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में एक बड़ा खेल खेला जा रहा है।
कैसे हो रहा है किसानों का शोषण?
स्थानीय राजनेताओं और बाजार समिति के कुछ पदाधिकारियों ने एक संगठित गिरोह बना लिया है। किसान सोसाइटी के अध्यक्ष और ठेकेदार किसानों को सरकारी रजिस्टर मूल्य के नाम पर धोखा दे रहे हैं। किसानों को कम कीमत पर ज़मीन बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जबकि कंपनी को ऊंची कीमत बताकर प्रति एकड़ 3 लाख रुपये तक का मुनाफा कमाया जा रहा है। किसानों को उनकी ज़मीन का वास्तविक मूल्य नहीं मिल रहा, लेकिन बिचौलियों की जेबें भर रही हैं।
घोटाले के पीछे कौन?
सूत्रों के अनुसार, इस घोटाले में बाजार समिति के पदाधिकारी, परिसर के सरपंच के पति ठेकेदार, किसान सोसाइटी के अध्यक्ष, घुग्घुस शहर के दो बड़े राजनीतिक चेहरे शामिल हैं। इन सभी ने मिलकर करोड़ों रुपये की हेराफेरी की है। किसानों को उनकी मेहनत और ज़मीन का उचित मूल्य नहीं दिया जा रहा, जबकि सत्ता और पैसे की ताकत रखने वाले लोग मालामाल हो रहे हैं।
रोजगार घोटाला: बेरोजगारों से लाखों की उगाही!
स्टील प्लांट के विस्तार के साथ रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं। फिटर, इलेक्ट्रिशियन, मशीन ऑपरेटर, वेल्डर, टेक्नीशियन, इंजीनियर जैसे पदों पर भर्ती की जा रही है, लेकिन इसके लिए भी भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है।
नौकरियों के नाम पर कैसे हो रही है लूट?
एक स्थानीय राजनीतिक दल का अध्यक्ष और उसके समर्थकों ने कंपनी की भर्ती प्रक्रिया को प्रभावित कर दिया है। योग्य उम्मीदवारों को बाहर कर पैसे देने वालों को नौकरी दी जा रही है। बेरोजगार युवाओं से 1 से 2 लाख रुपये तक की रिश्वत मांगी जा रही है। जो पैसा नहीं दे पा रहे, उन्हें नौकरी से वंचित किया जा रहा है। इस तरह बेरोजगार युवाओं को उनके हक की नौकरियों से वंचित कर दिया गया है और राजनीतिक पहुंच रखने वालों की जेबें भरी जा रही हैं।
किसानों और युवाओं की मांग
> कंपनी को बिचौलियों को हटाकर सीधे किसानों से ज़मीन खरीदनी चाहिए।
> भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
> रोजगार भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी बने, ताकि योग्य युवाओं को बिना रिश्वत के नौकरी मिले।
> इस पूरे घोटाले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों को सजा दी जाए।
> भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
> रोजगार भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी बने, ताकि योग्य युवाओं को बिना रिश्वत के नौकरी मिले।
> इस पूरे घोटाले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों को सजा दी जाए।
घुग्घुस में स्टील प्लांट के विस्तार के साथ ही भ्रष्टाचार और दलाली का एक बड़ा नेटवर्क सक्रिय हो चुका है। यदि प्रशासन और कंपनी प्रबंधन ने जल्द कदम नहीं उठाए, तो यह मामला बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है।
स्थानीय किसान और बेरोजगार युवा इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। वे चाहते हैं कि उनकी ज़मीन का सही मूल्य मिले और नौकरियों में पारदर्शिता हो। अगर उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो आने वाले समय में बड़े विरोध प्रदर्शन देखने को मिल सकते हैं।
अब सवाल यह है कि क्या सरकार, प्रशासन और कंपनी प्रबंधन इस भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाएंगे? या फिर गरीब किसान और बेरोजगार युवा इसी तरह शोषण का शिकार होते रहेंगे?