चंद्रपुर जिले की औद्योगिक नगरी घुग्घुस में शुक्रवार रात ‘कर्तव्य सेतु केंद्र’ का उद्घाटन जिले के पालकमंत्री डॉ. अशोक उईके के हाथों हुआ। यह आयोजन राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के जन्मदिवस पर आयोजित जनकल्याण सेवा सप्ताह का हिस्सा था। हालांकि इस कार्यक्रम से अधिक चर्चा का विषय भाजपा की आंतरिक गुटबाजी बनी रही, जो विधानसभा चुनाव के बाद और भी मुखर हो चुकी है।
मुनगंटीवार का सेवाकेंद्र हुआ सूना, जोरगेवार का कद बढ़ा
घुग्घुस में भाजपा के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार के समर्थक एवं विधायक देवराव भोंगले के सहयोगी विवेक बोढ़े ने वर्षों पूर्व ‘सुधीरभाऊ सेवाकेंद्र’ की स्थापना की थी, जिसने स्थानीय राजनीति में भाजपा की पकड़ को मजबूत किया था। इस केंद्र के माध्यम से पार्टी के सामाजिक और राजनीतिक कार्यक्रम संचालित होते रहे।
लेकिन पिछले वर्ष 2024 विधानसभा चुनाव में जब किशोर जोरगेवार विधायक निर्वाचित हुए, तब घुग्घुस की भाजपा राजनीति में भूचाल आ गया। कई प्रमुख स्थानीय नेता मुनगंटीवार के एकछत्र निर्णयों से नाराज होकर जोरगेवार गुट में शामिल हो गए। इसका असर यह हुआ कि मुनगंटीवार खेमा लंबे समय से जो भाजपा शहर अध्यक्ष पद पर काबिज था, वह अब जोरगेवार के पास आ गया है।
कर्तव्य केंद्र से बढ़ेगी पकड़, नया शक्ति केंद्र उभरने की तैयारी
अब जोरगेवार गुट द्वारा स्थापित ‘कर्तव्य सेतु केंद्र’ केवल एक सेवाकेंद्र नहीं, बल्कि एक नए राजनीतिक शक्ति केंद्र के रूप में देखा जा रहा है। उद्घाटन के अवसर पर पालकमंत्री अशोक उईके ने कहा कि यह केंद्र सरकारी योजनाओं और सेवाओं को जनता तक प्रभावी रूप से पहुँचाने का काम करेगा।
भाजपा में आंतरिक संघर्ष स्पष्ट, दो खेमों में बंटा कार्यकर्ता वर्ग
कार्यकर्ताओं की उपस्थिति ने भी गुटबाजी की तस्वीर साफ कर दी। एक ओर जहां ‘कर्तव्य सेतु केंद्र’ के उद्घाटन समारोह में बड़ी संख्या में भाजपा नेता, सामाजिक कार्यकर्ता और नागरिक उपस्थित रहे, वहीं ‘सुधीरभाऊ सेवाकेंद्र’ अब वीरान पड़ा है। अधिकांश पुराने कार्यकर्ता या तो निष्क्रिय हो चुके हैं या जोरगेवार गुट की ओर झुक गए हैं।
राजनीतिक संकेत: जोरगेवार बनाम मुनगंटीवार
भाजपा की यह आंतरिक खींचतान न सिर्फ स्थानीय संगठनात्मक ढांचे को प्रभावित कर रही है, बल्कि आने वाले समय में टिकट वितरण, नेतृत्व चयन और जनाधार की दिशा भी तय करेगी। जिले में अब भाजपा दो स्पष्ट खेमों में बंटी हुई नज़र आ रही है — एक ओर मुनगंटीवार का पुराना नेतृत्व, दूसरी ओर जोरगेवार का उभरता कद।
कर्तव्य सेतु केंद्र का उद्घाटन एक प्रशासनिक कार्यक्रम से अधिक राजनीतिक संदेश लेकर आया है। यह उद्घाटन उस समय हुआ जब भाजपा के अंदरूनी समीकरण बदल रहे हैं। जोरगेवार खेमा इस कार्यक्रम के माध्यम से यह संदेश देने में सफल रहा कि अब वे संगठन और जनसमर्थन दोनों में मजबूत स्थिति में हैं। दूसरी ओर, मुनगंटीवार गुट को पुनर्गठन और सामूहिक नेतृत्व की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
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