औद्योगिक नगरी घुग्घुस के वार्ड नंबर-6, कृष्ण नगर में रविवार की शाम हुई एक मोबाइल छीनने की मामूली सी लगने वाली घटना ने अब एक सनसनीखेज मोड़ ले लिया है, जिसने शहर की सुरक्षा व्यवस्था, प्रवासी मजदूरों के सत्यापन और आगामी नगर परिषद चुनावों की निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं।
रविवार शाम करीब 6:30 बजे, साप्ताहिक बाजार से लौट रही एक महिला जब राजीव रतन चौक से महतारदेवी मार्ग पर अंधेरे के कारण अपने मोबाइल की टॉर्च जलाकर घर की ओर बढ़ रही थी, तभी एक अज्ञात लड़के ने पीछे से झपट्टा मारकर उसका मोबाइल फोन छीन लिया। महिला के शोर मचाने पर आरोपी ने रूमाल से उसका मुंह बंद करने का प्रयास किया और मौके से फरार हो गया।
महिला की चीख-पुकार सुनकर जब आसपास के लोग इकट्ठा हुए, तो पता चला कि आरोपी पास के ही खान बिल्डिंग में घुस गया है। पीड़िता और उसके परिजनों ने जब बिल्डिंग में पूछताछ की, तो वहां मौजूद एक लड़के ने स्वीकार किया कि एक युवक दौड़ता हुआ अंदर आया है।
पीड़ित महिला के परिजनों द्वारा
पीड़ित महिला के परिजनों द्वारा स्थानीय घुग्घुस पुलिस को सूचना मिलते ही तुरंत हरकत में आई। पुलिस ने पीड़िता के परिजनों और उस गवाह लड़के को साथ लेकर खान लॉज में तलाशी अभियान चलाया। गवाह ने लॉज में मौजूद एक लड़के को मोबाइल चोर के रूप में पहचान लिया, जिसके बाद पुलिस उसे और कुछ अन्य संदिग्ध लड़कों को पूछताछ के लिए थाने ले गई। पुलिस मामले की गहनता से जांच कर रही है।
औद्योगिक नगरी का अंधेरा सच और परप्रांतीय मजदूरों का जमावड़ा
यह घटना सिर्फ एक आपराधिक वारदात नहीं है, बल्कि यह घुग्घुस की एक बड़ी और जटिल समस्या की ओर इशारा करती है। घुग्घुस, जो लॉयड्स मेटल और एसीसी सीमेंट जैसी बड़ी कंपनियों का गढ़ है, यहां काम करने के लिए ठेकेदारों द्वारा बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों से युवा लाए गए हैं। इनमें से अधिकांश मजदूर खान लॉज में रहते हैं, जहां रविवार देर रात पुलिस की जांच के दौरान एक-एक कमरे में 10 से 15 लड़के सोते हुए पाए गए।
सबसे बड़ा और गंभीर सवाल यह उठता है कि क्या इन कंपनियों या ठेकेदारों ने इन “परप्रांतीय” मजदूरों का स्थानीय पुलिस से वेरिफिकेशन करवाया है? यदि नहीं, तो यह एक बहुत बड़ी लापरवाही है जो शहर की सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करती है। दिन-रात बाहरी लोगों की आवाजाही और उनकी कोई पुख्ता जानकारी न होना, किसी भी बड़ी आपराधिक घटना को न्योता देने जैसा है।
क्या “वोट चोरी” की पटकथा घुग्घुस में दोहराई जाएगी?
इस पूरे प्रकरण को जिले के बहुचर्चित राजुरा विधानसभा “वोट चोरी” मामले से जोड़कर भी देखा जा रहा है। जिस तरह से बाहरी लोगों को लाकर चुनावी समीकरणों को प्रभावित करने के आरोप लगते रहे हैं, ठीक उसी तरह की आशंका अब घुग्घुस में भी गहराने लगी है।
आने वाले दो-तीन महीनों में घुग्घुस नगर परिषद के चुनाव होने हैं। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि काम की तलाश में आए इन हजारों बेरोजगार युवाओं का नाम कहीं गुपचुप तरीके से वोटर लिस्ट में तो नहीं जोड़ा जा रहा है? अगर ऐसा हुआ है, तो यह न केवल चुनावी धांधली होगी, बल्कि प्रशासन के लिए एक ऐसी गंभीर चुनौती खड़ी कर देगी जिससे निपटना लगभग असंभव होगा। यह घटना एक चेतावनी है कि यदि समय रहते इन बाहरी मजदूरों के सत्यापन और वोटर लिस्ट की जांच जैसे कड़े कदम नहीं उठाए गए, तो घुग्घुस का भविष्य और लोकतंत्र दोनों खतरे में पड़ सकते हैं।
