खतरनाक खेल का वायरल सच: यह घटना सिर्फ एक वायरल वीडियो का मामला नहीं है, बल्कि बच्चों की सुरक्षा, अभिभावकों की जिम्मेदारी, और सोशल मीडिया की गैर-जिम्मेदाराना सनसनी का मिश्रण है। अगर प्रशासन ने इस पर सख्ती नहीं दिखाई, तो अगला वीडियो किसी मासूम की जान ले सकता है।
घुग्घुस के मुख्य बाजार मार्ग पर स्थित प्रकाश इलेक्ट्रिक दुकान के सामने का नजारा देखकर हर कोई सन्न रह गया। 16 सेकंड का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें दो नन्हें मासूम मौत के 440 वोल्टेज फिडर पिलर के पास बेखौफ खेलते दिखाई दे रहे हैं। वीडियो में दिख रहा है कि वहां से गुजरते लोग भी चुपचाप निकल जाते हैं, और कैमरा थामे व्यक्ति बच्चों को हटाने की बजाय मोबाइल पर मौत का लाइव शो रिकॉर्ड करता रहता है।
रात में बच्चे वहां पहुंचे कैसे?
- यह भी सोचने वाली बात है कि ये दोनों मासूम रात में घर से निकलकर इतने खतरनाक स्थान तक पहुंचे कैसे।
- क्या माता-पिता को अपने बच्चों की लोकेशन की खबर नहीं थी?
- क्या परिजनों की लापरवाही बच्चों को मौत के मुंह में धकेल रही थी?
- दिन में बच्चे गली-मोहल्लों में खेलते दिखना सामान्य है, लेकिन रात में उच्च वोल्टेज बिजली के स्रोत के पास पहुंचना चौंकाने वाला है।
वीडियो बनाने वाला मददगार या मौन दर्शक?
- स्थानीय सूत्रों का दावा है कि यह कोई सामान्य घटना नहीं हो सकती।
- वीडियो बनाने वाले ने बच्चों को खतरनाक जगह से हटाने की बजाय मोबाइल कैमरा ऑन कर वीडियो क्यों बनाया?
- क्या उसकी मंशा बच्चों की सुरक्षा थी या सिर्फ सोशल मीडिया पर सनसनी फैलाना?
- शक है कि बच्चों को जानबूझकर खतरनाक जगह भेजा गया, ताकि वीडियो बनाकर बिजली विभाग पर ठीकरा फोड़ा जा सके।
- या फिर यह सिर्फ सोशल मीडिया पर लाइक्स और व्यूज बटोरने का घटिया हथकंडा था।
- अगर यह सच है तो यह हरकत इंसानियत के खिलाफ अपराध से कम नहीं।
- क्या बच्चों की जान जोखिम में डालकर राजनीतिक या व्यक्तिगत फायदे के लिए वीडियो बनाया गया?
अगर हादसा होता तो… जिम्मेदारी किसकी?
- सोचिए, अगर पलक झपकते ही कोई हादसा हो जाता तो?
- पहला, माता-पिता पर — बच्चों को संभालने में असफल।
- दूसरा, वीडियो बनाने वाले पर — मदद करने की बजाय तमाशबीन।
- तीसरा, MSEB को भी अपने उपकरणों के पास सुरक्षा घेराबंदी न करने का जवाब देना पड़ता।
- तीनों पक्षों की जवाबदेही तय होती, लेकिन मासूमों की जिंदगी लौटकर नहीं आती।
घटना ने खड़ा किया बड़ा सवाल
- यह वीडियो एक बार फिर साबित करता है कि—
- सोशल मीडिया की सनसनी कभी-कभी जिंदगी से बड़ी मान ली जाती है।
- अभिभावकों की लापरवाही बच्चों को मौत के मुंह तक खींच ले जाती है।
- और कई बार वीडियो का सच, उसके पीछे की कहानी से भी ज्यादा खतरनाक होता है।
घुग्घुस की यह घटना केवल एक वीडियो नहीं, बल्कि समाज के मुंह पर करारा तमाचा है।
अब सवाल है — क्या प्रशासन, परिजन और आम लोग चेतेंगे, या अगला वायरल वीडियो किसी मासूम की आखिरी झलक होगा?
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