लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अपने नेताओं को जिताने के लिए हर गली-हर चौखट तक जाने वाले निष्ठावान कार्यकर्ताओं को इस बार घुग्घुस नगरपरिषद चुनाव में टिकट से वंचित कर दिया गया है। इसके विपरीत, दल बदलकर हाल ही में पार्टी में शामिल हुए निष्क्रिय नेताओं को कथित तौर पर ‘एबी फॉर्म’ सौंपे जाने से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस दोनों में बगावत की चिंगारी भड़क उठी है।
चुनाव मैदान में सक्रिय 11 नाराज उम्मीदवार – जिनमें भाजपा के 9 और कांग्रेस के 2 उम्मीदवार शामिल हैं – अब निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं या बाहर रहकर समीकरण बिगाड़ रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये बागी उम्मीदवार घुग्घुस नगरपरिषद चुनाव में हार-जीत का फैसला करने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे और दोनों प्रमुख दलों के चुनावी गणित को बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं।
भाजपा: ‘एबी फॉर्म’ न मिलने से 9 निष्ठावान नेताओं में भारी रोष
भाजपा के कई पुराने और समर्पित कार्यकर्ताओं ने पार्टी द्वारा टिकट वितरण में पारदर्शिता न बरतने और योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार करने का आरोप लगाया है।
निरीक्षण तांड्रा: प्रभाग 6, पूर्व पंचायत समिति उपसभापति, 1994 से राजनीतिक अनुभव. भाजपा से इच्छुक थे, नामांकन भरा पर AB फार्म न मिलने से चुनाव से बाहर।
मल्लेश बल्ला: प्रभाग 1, पिछले 2 दशक से निष्ठावान कार्यकर्ता. AB फार्म न मिलने से चुनाव से बाहर।
सुषमा श्रीकांत सावे: प्रभाग 2, पूर्व ग्रामपंचायत सदस्य, भाजपा की इच्छुक उम्मीदवार. AB फॉर्म दिया गया था, लेकिन एन समय पर बदलकर सरिता इसारप को दिया गया, जिससे चुनाव से बाहर।
माला मेश्राम: प्रभाग 2, वेकोलि क्षेत्र में सक्रिय, नगराध्यक्ष पद की दावेदार माना जा रहा था. AB फार्म न मिलने से अब निर्दलीय उम्मीदवार।
मानस सिंह: प्रभग 3, वरिष्ठ भाजपा नेता रत्नेश सिंह के पुत्र (BE Civil). AB फार्म न मिलने से अब निर्दलीय उम्मीदवार।
नंदा कांबले: प्रभाग 9, पूर्व ग्रामपंचायत सदस्य (कांग्रेस से जीतीं, फिर भाजपा में). AB फार्म न मिलने से अब निर्दलीय उम्मीदवार।
घनश्याम खुटेमाटे: प्रभाग 9, भाजपा सोशल मीडिया अध्यक्ष और युवा नेता. AB फार्म न मिलने से अब निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में।
विनोद जंजारला: प्रभाग 11, पेशे से इंजीनियर, युवा और निष्ठावान नेता. AB फार्म न मिलने से अब निर्दलीय उम्मीदवार।
वंदना लखन हिकरे: हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुईं, नगराध्यक्ष पद की दावेदार थीं. अब चुनाव से बाहर।
कांग्रेस: वफादारों की अनदेखी, शरद पवार गुट के नेता को टिकट
कांग्रेस में भी अनुभवी और समर्पित कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर बाहरी या हाल में आए नेताओं को टिकट दिए जाने पर असंतोष गहराया है।
श्रीनिवास गुड़ला: प्रभाग 6, पिछले 15 वर्षों से निष्ठावान कार्यकर्ता. नामांकन के दिन एन समय पर एनसीपी (शरद पवार गुट) के दिलीप पिट्टलवार को AB फॉर्म दिया गया. अब निर्दलीय उम्मीदवार।
ममता अजय उपाध्याय: प्रभाग 5, स्वर्गीय पूर्व सरपंच मारोती उपाध्याय की बहू, जिला सचिव अजय उपाध्याय की पत्नी. प्रशांत सरोकार की पत्नी अर्चना को टिकट मिला. ममता अब चुनाव से बाहर।
राजनीतिक विश्लेषण: 11 बागी करेंगे खेल!
जिन 11 लोगों को एबी फॉर्म नहीं मिला है, उनमें से कई अब निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में सक्रिय हैं। यह स्पष्ट है कि यदि ये नाराज उम्मीदवार अपना दमख़म सही ढंग से दिखाते हैं और जनता के बीच अपनी पैठ बनाने में कामयाब होते हैं, तो इसका सीधा नुकसान भाजपा और कांग्रेस के आधिकारिक प्रत्याशियों को होगा।
“इन 11 बागियों की ताकत को कम आंकना राजनीतिक दलों की बड़ी भूल साबित हो सकती है। ये न सिर्फ वोटों का बंटवारा करेंगे, बल्कि स्थानीय मुद्दों पर निष्ठावान कार्यकर्ताओं की अनदेखी का गुस्सा भी भुनाएंगे। इन बागियों की भूमिका मौजूदा राजनीतिक दलों को हार का सामना कराने में निर्णायक साबित हो सकती है,” एक स्थानीय राजनीतिक पंडित ने कहा।
घुग्घुस नगरपरिषद का यह चुनाव स्पष्ट रूप से दिखा रहा है कि बड़ी पार्टियों में निष्ठा बनाम दलबदल की लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर आ गई है, जिसका सीधा फायदा नाराज निर्दलीय उम्मीदवारों को मिल सकता है।
