घुग्घुस नगरपरिषद चुनाव का प्रभाग क्रमांक 10 इस बार पूरे शहर में सबसे अधिक चर्चा का केंद्र बना हुआ है। कारण साफ है—कुल 11 प्रत्याशी, जिनमें 8 पुरुष और 3 महिलाएं, और सबसे अहम बात यह कि एक ही प्रमुख समुदाय से कांग्रेस, भाजपा, शिवसेना (UBT), एनसीपी शरद पवार गुट, वंचित बहुजन आघाड़ी सहित 6 दलों के अलावा निर्दलीय मिलाकर 10 उम्मीदवार आमने-सामने हैं। ऐसे में मुकाबला केवल दलों के बीच नहीं, बल्कि समाज के भीतर राजनीतिक वर्चस्व की जंग बनता नजर आ रहा है।
प्रभाग 10 का जातीय और मतदाता समीकरण
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस प्रभाग में कुल लगभग 3,200 मतदाता हैं।
SC मतदाता: 1,000 से अधिक
OBC मतदाता: 1,800 से अधिक
मुस्लिम मतदाता: लगभग 200
अन्य समुदाय: शेष मतदाता
इतने संतुलित जातीय समीकरण में हर वर्ग निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में है। यही वजह है कि प्रत्याशी जातीय गणित के साथ-साथ व्यक्तिगत छवि और जमीनी कामों को भी भुनाने की कोशिश कर रहे हैं।
महिलाओं की मजबूत उपस्थिति
इस प्रभाग से कुल 3 महिला उम्मीदवार मैदान में हैं— महिला मतदाताओं और महिला सशक्तिकरण से जुड़े मुद्दे इस चुनाव में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
पहली बार बनाम अनुभवी चेहरों की टक्कर
11 उम्मीदवारों में से केवल 2 उम्मीदवार—नीतू चौधरी और जनार्धन जीवने —अनुभवी माने जाते हैं, जबकि बाकी 9 प्रत्याशी पहली बार चुनावी मैदान में उतरे हैं। यह स्थिति चुनाव को और रोचक बना रही है।
कांग्रेस: संगठन और पारिवारिक पकड़ का भरोसा
जनार्धन जीवने
पिछले 20 वर्षों से राजनीति में सक्रिय, वर्ष 2005 में ग्रामपंचायत सदस्य रह चुके जनार्धन जीवने को अनुभवी और संतुलित नेता के रूप में देखा जा रहा है। अपने समाज के अलावा अन्य समुदायों में भी उनकी अच्छी पकड़ बताई जाती है।
वैशाली सुधाकर चिकनकर
कांग्रेस की महिला उम्मीदवार वैशाली चिकनकर, दो टर्म ग्रामपंचायत सदस्य रहे प्रभाकर चिकनकर के भाई सुधाकर की पत्नी हैं।
चिकनकर परिवार की इस प्रभाग मे मजबूत पकड़ मानी जाती है। उनके कार्यकाल में पानी की नई पाइपलाइन, सीमेंट रोड, बोरवेल, आरओ प्लांट जैसे कार्य हुए।
वैशाली चिकनकर का दावा है कि वे सड़क, नाली, प्रदूषण, पेयजल, स्ट्रीट लाइट और स्वास्थ्य,रोजगार जैसे मुद्दों को प्राथमिकता देंगी।
विशेषज्ञ मानते हैं कि कुणबी समाज का बड़ा हिस्सा उनके पक्ष में जा सकता है।
भाजपा: विकास और प्रशासनिक अनुभव का कार्ड
नीतू विनोद चौधरी
भाजपा की सबसे मजबूत और चर्चित उम्मीदवारों में शुमार नीतू चौधरी का जिलापरिषद सदस्य और बालकल्याण सभापति के रूप में कार्यकाल प्रभावशाली रहा है। 2017 में कांग्रेस उम्मीदवार को हराकर जीत, कोविड काल में राहत और इलाज में अहम भूमिका, नगरपरिषद भवन, सीसीटीवी, सीमेंट रोड, बोरवेल, 8 से अधिक आंगनवाड़ी, महिला सशक्तिकरण योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन, अब वे प्रभाग 10 से मैदान में हैं और अंडरग्राउंड ड्रेनेज, प्रदूषण नियंत्रण, मॉर्निंग वॉक ट्रैक, प्लेग्राउंड और आरओ प्लांट जैसे मुद्दों को आगे रख रही हैं। भाजपा की रणनीति साफ है—अनुभव और विकास।
हेमंत पझारे
20 वर्षों से सामाजिक व राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय हेमंत पझारे पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। अपने समाज में उनकी पकड़ को मजबूत माना जा रहा है।
शिवसेना (UBT): युवा और शिक्षित चेहरों पर दांव
इंजीनियर अमित बोरकर
2019 से राजनीति में सक्रिय, पहले आम आदमी पार्टी से जुड़े रहे अमित बोरकर अब शिवसेना (UBT) से मैदान में हैं।
पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, कचरा और रोजगार जैसे मुद्दों पर उनका फोकस युवाओं और मध्यम वर्ग को आकर्षित कर सकता है।
इंजीनियर आनंदी गाताडे
इंजीनियर और शिक्षिका आनंदी गाताडे पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। अपने समाज और क्षेत्र में उनकी अच्छी छवि बताई जाती है।
एनसीपी शरद पवार गुट: युवाओं का प्रयोग
सोमेश्वर मुंडे
महज 24 वर्ष की उम्र में पूरे नगरपरिषद चुनाव के सबसे युवा उम्मीदवार सोमेश्वर मुंडे पर पार्टी ने भरोसा जताया है। पहली बार मैदान में उतरकर वे युवाओं और नए मतदाताओं को साधने की कोशिश में हैं।
वंचित और निर्दलीय उम्मीदवार
वंचित बहुजन आघाड़ी के उम्मीदवार योगराज पझारे पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं।
पंकज धोटे: वर्षों से प्रशासनिक समस्याओं पर संघर्षरत, सामाजिक सेवा से पहचान
संजोग वाघमारे: पहली बार चुनावी किस्मत आजमा रहे
सुरेश पाईकराव: आंदोलनों के जरिए पीड़ितों को न्याय दिलाने का दावा
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों को वोट काटने की रणनीति के तहत उतारे जाने की भी चर्चा है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं।
पुराना रुझान बनाम नया समीकरण
पूर्व में जब यह क्षेत्र ग्रामपंचायत के वार्ड क्रमांक 1 के अंतर्गत था, तब कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला होता रहा और कांग्रेस को बढ़त मिली।
अब नया प्रभाग, नए चेहरे और कई दल—स्थिति पूरी तरह बदली हुई है।
त्रिकोणीय संघर्ष, निर्दलीय तय करेंगे दिशा
प्रभाग 10 में इस बार कांग्रेस, भाजपा और शिवसेना (UBT) के बीच त्रिकोणीय मुकाबला साफ नजर आ रहा है।
वहीं निर्दलीय उम्मीदवार जीत-हार का अंतर तय करने वाले किंगमेकर साबित हो सकते हैं।
अब सबकी निगाहें 20 दिसंबर पर टिकी हैं—
क्या अनुभव भारी पड़ेगा,
क्या युवा चेहरा चौंकाएगा,
या फिर निर्दलीय खेल बिगाड़ देंगे? फैसला जनता के हाथ में है।
