सबसे ज्यादा 19 प्रत्याशियों वाला प्रभाग 9, कांग्रेस-भाजपा में सीधी टक्कर, OBC–SC वोट बैंक और बागी उम्मीदवार तय करेंगे जीत-हार
घुग्घुस नगरपरिषद के 11 प्रभागों में सबसे ज्यादा राजनीतिक हलचल अगर कहीं है, तो वह है प्रभाग क्रमांक 9। यहां कुल 19 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें 6 महिलाएं और 13 पुरुष शामिल हैं। इतने अधिक प्रत्याशियों की मौजूदगी ने इस प्रभाग को नगरपरिषद चुनाव की सबसे रोमांचक और निर्णायक सीट बना दिया है।
वोटर गणित: OBC बनाम SC निर्णायक भूमिका में
प्रभाग 9 में कुल 3,320 मतदाता हैं। इसमें
OBC मतदाता: लगभग 1,800
SC मतदाता: करीब 900
मुस्लिम व अन्य समुदाय: 600 से अधिक
उम्मीदवारों की सामाजिक संरचना देखें तो
SC समुदाय से 13 उम्मीदवार (8 पुरुष, 5 महिलाएं)
OBC समुदाय से 5 उम्मीदवार (4 पुरुष, 1 महिला)
तेली समाज से 1 उम्मीदवार
स्पष्ट है कि यहां चुनाव जातीय गणित और वोटों के बंटवारे पर टिका हुआ है।
कांग्रेस की उम्मीद: अनुभव बनाम भीड़
कांग्रेस ने इस प्रभाग से सुधाकर बांदुरकर को मैदान में उतारा है, जो पिछले 35 वर्षों से सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय हैं।
2005 में ग्रामपंचायत के उपसरपंच रहते हुए उन्होंने सड़क, नाली, स्ट्रीट लाइट और पेयजल जैसे बुनियादी कार्य कराए।
सबसे बड़ी राजनीतिक पूंजी यह मानी जा रही है कि उन्होंने 2000 से 2005 के बीच 9.51 करोड़ रुपये के बहुचर्चित भ्रष्टाचार को उजागर किया था।
उनका चुनावी एजेंडा भी व्यापक है—
अंडरग्राउंड ड्रेनेज व इलेक्ट्रिक केबल
पेयजल पाइपलाइन, सोलर बोरवेल, RO मशीन
नगरपरिषद कर्मचारियों व डेली वर्कर्स का वेतन बढ़ोतरी
महिला बचत गट, स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार
BPL परिवारों को घरकुल योजना का लाभ
2 नंबर पिट्स कॉलोनी से विस्थापित 300 परिवारों को 7/12 पक्के पट्टे
कांग्रेस के लिए सकारात्मक पक्ष यह है कि पूर्व ग्रामपंचायत चुनावों में यहां कांग्रेस का दबदबा रहा है।
भाजपा की रणनीति: संगठन बनाम बगावत
भाजपा ने इस प्रभाग से वैशाली ढवस को उम्मीदवार बनाया है, जो भाजपा विधायक देवराव भोंगले की चचेरी बहन हैं और पूर्व ग्रामपंचायत सदस्य रह चुकी हैं। साथ ही दूसरी महिला उम्मीदवार के रूप में मीना मोरपका (पहली बार चुनाव) को मैदान में उतारा गया है।
लेकिन भाजपा की सबसे बड़ी चुनौती हैं उसके अपने बागी उम्मीदवार—
नंदा कांबळे (निर्दलीय, पूर्व ग्रामपंचायत सदस्य)
घनश्याम खुटेमाटे (निर्दलीय, पूर्व सोशल मीडिया अध्यक्ष)
पृथ्वीराज अगदारी (एनसीपी शरद पवार गुट)
ये सभी अपने-अपने समाज में मजबूत पकड़ रखते हैं और भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं।
अन्य दल: वोट कटवा या किंगमेकर?
एनसीपी अजित पवार गुट: रीता कोवले और पुंडलिक खनके (दोनों पहली बार)
शिवसेना UBT: युवा इंजीनियर चेतन बोबडे और स्नेहा पाटिल
शिंदे सेना: महेश डोंगे
निर्दलीय: 6 उम्मीदवार, सभी पहली बार चुनावी मैदान में
ये उम्मीदवार सीधे जीत की दौड़ में भले न हों, लेकिन वोटों के बंटवारे में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
कौन भारी?
कागज़ों पर मुकाबला कांग्रेस बनाम भाजपा का है, लेकिन असल लड़ाई जातीय समीकरण, बागी उम्मीदवार और वोट विभाजन तय करेंगे।
यदि कांग्रेस अपने परंपरागत वोट बैंक को एकजुट रखने में सफल रही, तो उसे बढ़त मिल सकती है। वहीं भाजपा के लिए संगठन से ज्यादा बगावत पर नियंत्रण सबसे बड़ी चुनौती है।
अब सबकी निगाहें 20 दिसंबर पर टिकी हैं, जब 19 उम्मीदवारों में से जनता अपने 2 नगरसेवकों को चुनकर यह तय करेगी कि प्रभाग 9 में अनुभव जीतेगा या प्रयोग।
