भाषा, समुदाय, परिवार और दलगत समीकरणों से उलझा चुनावी रण—कांग्रेस-भाजपा की सीधी टक्कर, लेकिन बागी और निर्दलीय बिगाड़ सकते हैं खेल
घुग्घुस नगरपरिषद चुनाव का प्रभाग क्रमांक 6 इस बार पूरे शहर में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। विविधता, प्रतिस्पर्धा और रोचक राजनीतिक समीकरणों के चलते यह प्रभाग एक तरह से ‘मिनी इंडिया’ की तस्वीर पेश कर रहा है। यहां सभी धर्म, जाति और भाषाओं का समावेश देखने को मिल रहा है, वहीं चुनावी मैदान में कुल 15 उम्मीदवार उतरने से मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है।
पुरुष-महिला संतुलन और भाषाई विविधता
प्रभाग 6 में चुनावी रण में 9 पुरुष और 6 महिला उम्मीदवार हैं। भाषाई दृष्टि से देखें तो 10 उम्मीदवार तेलुगु भाषी, 2 उत्तर भारतीय और 3 मराठी भाषी हैं। यही कारण है कि यहां का चुनाव केवल दलगत नहीं, बल्कि सामाजिक और भाषाई समीकरणों से भी प्रभावित होता नजर आ रहा है।
एक ही समुदाय के आमने-सामने दिग्गज
इस प्रभाग की सबसे दिलचस्प बात यह है कि एक ही समुदाय से तीन पुरुष उम्मीदवार आमने-सामने हैं— कांग्रेस से दिलीप पिट्टलवार, भाजपा से संतोष नुने, एनसीपी (अजित पवार गुट) से श्रीनिवास गोसकुला।
इसी तरह एक ही समुदाय से तीन महिला उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं— कांग्रेस से श्रुतिका कलवल, भाजपा से कविता तकल्ला, निर्दलीय के रूप में मोनिका अद्दुरवार।
खास बात यह है कि भाजपा की कविता तकल्ला और निर्दलीय मोनिका अद्दुरवार एक ही परिवार की रिश्तेदार हैं और एक ही प्रभाग में आमने-सामने चुनाव लड़ रही हैं, जिसने मुकाबले को और भी रोमांचक बना दिया है।
उत्तर भारतीय और अन्य दलों की मौजूदगी
प्रभाग 6 में उत्तर भारतीय मतदाताओं का भी खास प्रभाव माना जा रहा है। यहां से— शिवसेना (UBT) से राजकुमार वर्मा, शिंदे सेना से उमेश गुप्ता मैदान में हैं। वहीं शिवसेना (UBT) से दुर्गा पाटिल भी चुनावी किस्मत आजमा रही हैं।
एनसीपी (शरद पवार गुट) से वेकोलि कर्मी दत्तात्रेय डब्बावार और सुजाता गोगला मैदान में हैं, जबकि एनसीपी (अजित पवार गुट) से श्रीनिवास गोसकुला चुनाव लड़ रहे हैं।
बागी उम्मीदवार बिगाड़ सकते हैं समीकरण
इस चुनाव में बागी उम्मीदवारों की भूमिका भी बेहद अहम मानी जा रही है।
भाजपा के बागी महेश लट्ठा (पूर्व ग्रामपंचायत सदस्य) और वेकोलि कर्मी प्रमोद भोसकर निर्दलीय के रूप में मैदान में हैं।
कांग्रेस के बागी श्रीनिवास गुड़ला और त्रिवेणी पद्मा भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर किस्मत आजमा रहे हैं।
भाजपा उम्मीदवार संतोष नुने ग्रामपंचायत कार्यकाल के दौरान प्रभारी सरपंच रह चुके हैं, जबकि इसके अलावा अधिकांश उम्मीदवार पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं।
पुराने नतीजे और मौजूदा मुकाबला
यदि पूर्व ग्रामपंचायत चुनावी नतीजों पर नजर डालें तो इस क्षेत्र में कांग्रेस पैनल का दबदबा रहा है। इसी कारण इस बार भी कांग्रेस को मजबूत दावेदार माना जा रहा है। हालांकि राजनीतिक चर्चाओं में कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी टक्कर की बात जोर पकड़ रही है, लेकिन शिवसेना (UBT), शिंदे सेना, एनसीपी के दोनों गुट और निर्दलीय उम्मीदवार भी परिणाम को प्रभावित करने में पूरी तरह सक्षम माने जा रहे हैं।
20 दिसंबर को होगा फैसला
अब सबकी निगाहें 20 दिसंबर पर टिकी हैं, जब प्रभाग क्रमांक 6 के मतदाता यह तय करेंगे कि इन 15 उम्मीदवारों में से किसे अपना प्रतिनिधि चुनकर नगरसेवक की कुर्सी तक पहुंचाया जाए। स्पष्ट है कि यह चुनाव केवल जीत-हार का नहीं, बल्कि सामाजिक समीकरणों, पारिवारिक रिश्तों और बागी तेवरों की असली परीक्षा साबित होने वाला है।
