घुग्घुस में बगीचों का भ्रष्टाचार – शेड गिरे, 3 साल बाद भी ठेकेदार पर कार्रवाई नहीं, जनता में आक्रोश!
प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के अंतर्गत करोड़ों की लागत से बने बगीचों का हाल आज बदहाल है। घुग्घुस में 2018-2019 में सार्वजनिक बांधकाम विभाग, चंद्रपुर द्वारा बनाए गए 10 बगीचों में से एक सुभाष नगर का सुभाषचंद्र बोस तो दूसरा तिलक नगर मे लोकमान्य तिलक का शेड 2023 में बारिश और हल्की आंधी में ताश के पत्तों की तरह ढह गए थे। इस हादसे मे सुभाष नगर की एक बच्ची गंभीर रूप से घायल हुई थी, लेकिन तीन साल बीतने के बाद भी दोषी ठेकेदार एम.एस. भांडारकर या विभागीय अभियंताओं पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार की बू
इन दोनों बगीचों पर क्रमशः 57 लाख और 99 लाख 87 हजार रुपये की निधि खर्च की गई थी। परंतु निर्माण में घटिया सामग्री, बांस के खंभों पर भारी लोहे के बीम, और ठेकेदार की लापरवाही के चलते यह संरचनाएं पूरी तरह ध्वस्त हो गईं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह सिर्फ निर्माण कार्य नहीं बल्कि भ्रष्टाचार का एक बड़ा “एक्ट ऑफ फ्रॉड” है।
जनता की सुरक्षा पर सवाल
हादसे के बाद भी न तो शेड दोबारा बनाए गए हैं और न ही अन्य बगीचों का रखरखाव किया गया है। तिलक नगर, सुभाष नगर, राम नगर, इंदिरा नगर और शिवनगर के नागरिक रोज इन बगीचों में बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा को लेकर भयभीत रहते हैं।
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर सवाल
बगीचों का लोकार्पण तत्कालीन वित्त मंत्री ने 15 अगस्त 2020 को किया था। लेकिन आज जब यह बगीचे खंडहर में बदल गए हैं, संबंधित जनप्रतिनिधि और विभागीय अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं।
घुग्घुसवासी पूछ रहे हैं – क्या यह योजनाएं सिर्फ लोकार्पण के लिए थीं? क्या करोड़ों का पैसा डकारकर प्रशासन ने इन बगीचों को रामभरोसे छोड़ दिया है?
जनता की मांग – तत्काल उच्च स्तरीय जांच
स्थानीय नागरिकों ने मांग की है कि सभी बगीचों का तकनीकी ऑडिट कराया जाए, जिम्मेदार ठेकेदार पर आपराधिक मामला दर्ज हो और शेड का पुनर्निर्माण तत्काल किया जाए। साथ ही बगीचों के नियमित रखरखाव की स्थायी व्यवस्था बनाई जाए, ताकि आने वाले समय में ऐसे हादसे दोबारा न हों।
यह मामला सिर्फ भ्रष्टाचार का नहीं, बल्कि नागरिक सुरक्षा से खिलवाड़ का है। जनता की मांग है कि विकास के नाम पर हुए इस फर्जीवाड़े की निष्पक्ष जांच हों।
