क्या घुग्घूस में कोई बड़ा षड्यंत्र रचा गया? 11 दिन बाद भी पुलिस के हाथ खाली!
चंद्रपुर जिले का घुग्घूस शहर इस वक्त एक रहस्यमयी घटना को लेकर चर्चा में है। 11 दिन पहले, 🔍कांग्रेस शहर अध्यक्ष राजुरेड्डी के घर की ऊपरी मंजिल पर एक कारतूस मिलने से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई थी। लेकिन इतने दिनों की जांच के बावजूद पुलिस अब तक यह साफ नहीं कर पाई कि यह गोली चली भी थी या नहीं, और अगर चली थी तो किसने और क्यों चलाई?
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क्या यह सिर्फ एक इत्तेफाक था, या फिर किसी साजिश की गहरी परतें हैं? ये सवाल अब हर किसी के मन में हैं। घटना के 11 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस जांच सिर्फ कागज़ों पर घूम रही है, और सच्चाई अब भी धुंधली बनी हुई है।
कैसे हुआ यह रहस्यमयी घटनाक्रम?
बीते रविवार रात 8 बजे, जब लोग अपने-अपने घरों में थे, तभी राजुरेड्डी के किरायेदार की गैलरी में अचानक तेज धमाके जैसी आवाज़ गूंजी। आवाज़ सुनकर घबराई किरायेदार की माँ बाहर आईं तो देखा कि ज़मीन पर एक चमचमाता कारतूस पड़ा हुआ था!
डर और घबराहट में उन्होंने तुरंत अपने बेटे को बुलाया। कुछ ही मिनटों में यह खबर मकान मालिक राजुरेड्डी तक पहुंची। मामला गंभीर था, इसलिए उन्होंने बिना देर किए स्थानीय पुलिस को सूचना दी। थोड़ी ही देर में पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। चंद्रपुर के पुलिस अधीक्षक समेत कई बड़े अधिकारी मौके पर पहुंचे और कारतूस को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया। लेकिन असली सवाल यह था कि क्या सच में गोली चली थी या किसी ने वहां कारतूस रखकर सनसनी फैलाने की कोशिश की?
पुलिस के दावे और जनता के सवाल
पुलिस ने अगली सुबह एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि “राजुरेड्डी के घर पर कोई गोलीबारी नहीं हुई है।” लेकिन पुलिस के इस बयान से लोग संतुष्ट नहीं हुए। अगर गोली नहीं चली थी, तो वह कारतूस वहां कैसे आया? जैसे-जैसे मामला तूल पकड़ने लगा, इसने राजनीतिक रंग भी ले लिया।
विधानसभा तक पहुंचा मामला, बढ़ा दबाव!
जब इस रहस्यमयी 🔍गोलीकांड की गूंज महाराष्ट्र विधानसभा तक पहुंची, तो पुलिस के लिए यह मामला और पेचीदा हो गया।
कांग्रेस के वरिष्ठ 🔍नेता विजय वडेट्टीवार ने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया और पुलिस की जांच पर सवाल खड़े किए। उनके दबाव के बाद पुलिस ने फिर से घटनास्थल की बारीकी से जांच शुरू की। इस बार पुलिस को राजुरेड्डी के घर की गैलरी की दीवार पर एक छोटा सा छेद मिला। अब सवाल यह उठा कि क्या यह छेद किसी गोली का निशान था?
क्या यह सिर्फ अफवाह है या कोई बड़ा षड्यंत्र?
अब तक पुलिस जांच में कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है। कुछ लोग इसे दूर से की गई फायरिंग मान रहे हैं, तो कुछ इसे किसी राजनीतिक साजिश से जोड़ रहे हैं। खुद राजुरेड्डी का कहना है कि “पुलिस जांच जारी है और जल्द ही सच सामने आएगा।” लेकिन 11 दिन बीत चुके हैं और अब तक कोई ठोस सबूत हाथ नहीं लगा।
जनता के मन में उठ रहे बड़े सवाल:
>आखिर वह कारतूस गैलरी में कैसे पहुंचा?
>क्या वास्तव में गोली चली थी, या यह सिर्फ डर फैलाने की साजिश थी?
>अगर गोली चली थी, तो किसने चलाई और क्यों?
>पुलिस को दीवार में जो छेद मिला, उसका इस घटना से कोई संबंध है या नहीं?
क्या घुग्घूस में चल रहा है कोई गुप्त षड्यंत्र?
घटना के 11 दिन बाद भी इस रहस्य का पर्दाफाश नहीं हो पाया है। पुलिस जांच की सुस्त चाल ने जनता की बेचैनी और शंकाओं को और बढ़ा दिया है। अब सवाल यह है कि क्या यह मामला कभी सुलझेगा या यह भी अन्य अनसुलझे मामलों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा?
आखिर यह महज एक संयोग था या इसके पीछे कोई गहरी साजिश है? पुलिस कब खोलेगी इस रहस्य का ताला? यह देखना दिलचस्प होगा!