राजुरा की तर्ज पर अपराध दर्ज करवाने में प्रशासन हुआ नाकाम
एक वर्ष पूर्व जब राजुरा मतदाता पंजीयन का घोटाला कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सुभाष धोटे एवं किसान नेता एड. वामनराव चटप ने उजागर किया था तो प्रशासन को मजबूर होकर संबंधितों के खिलाफ अपराध दर्ज करना पड़ा था। बीते दिनों घुग्घुस में एक ही मकान में 200 मतदाता निवास करने का मामला उजागर हुआ तब भी प्रशासन द्वारा दोषियों के खिलाफ कोई अपराध दर्ज नहीं कर सका। अब ताजा मामले ने तो घुग्घुस वासियों की नींद उड़ा दी। नई वोटर लिस्ट में एक ही व्यक्ति के नाम 3 बार दर्ज मिले। कांग्रेस नेता राजू रेड्डी ने इस प्रकरण को उजागर करते हुए प्रशासन से शिकायत की और गहन जांच की मांग की। लेकिन अब मानो लगता है कि प्रशासन बेहद डरा हुआ है। राजुरा की तर्ज पर घुग्घुस के फर्जी वोटर कांड में प्रशासन द्वारा अपराध दर्ज न कराया जाना, इस घोटाले के मास्टरमाइंड को बचाने की कवायद महसूस होने लगी है। यकीनन प्रशासन की ओर से फर्जीवाड़ा ठीक करने के लिए एक से अधिक बार आए नामों को हटाए जाएंगे, लेकिन यह नाम अनेक बार जिसने वोटर लिस्ट में जोड़ दिए थे, उसके खिलाफ कौनसी कार्रवाई की जाएगी, इसका स्पष्टीकरण जिला प्रशासन को देना चाहिए।
आगामी नगर परिषद चुनाव की तारीख भले ही अभी दूर हो, लेकिन घुग्घुस का सियासी मैदान अभी से ही गरमा गया है। बालाजी लॉन में 8 अक्टूबर को हुए प्रभाग-वार आरक्षण के बाद उम्मीदवारों ने तैयारी शुरू ही की थी कि मतदाता सूची में सामने आई भारी गड़बड़ियों ने शहर में हंगामा खड़ा कर दिया है। सोमवार को ‘चंद्रपुर तक’ की खबर के बाद, घुग्घुस कांग्रेस ने इस मामले में एक सनसनीखेज खुलासा किया है, जिसने पूरे शहर को सकते में डाल दिया है। कांग्रेस का आरोप है कि चुनाव आयोग ने खुद ऐसी व्यवस्था बना दी है, जिससे एक ही व्यक्ति कई बार वोट डालकर चुनाव में धांधली कर सकता है।
दो व्यक्तियों का नाम तीन बार, अलग-अलग आईडी से दर्ज
घुग्घुस कांग्रेस के अध्यक्ष राजुरेड्डी ने मतदाता सूची को लेकर एक चौंकाने वाला दावा किया है। उन्होंने बताया कि प्रभाग क्रमांक 3 की मतदाता सूची में एक ही व्यक्ति का नाम, ‘सुई केतन रंजन’, तीन अलग-अलग आईडी नंबरों के साथ दर्ज है। तीनों जगहों पर फोटो भी एक ही है। यह सिर्फ एक इकलौता मामला नहीं है। इसी तरह, 18 साल के एक युवती का नाम भी तीन अलग-अलग आईडी नंबरों के साथ दर्ज है। राजुरेड्डी ने इसे ‘वोट चोरी’ का एक संगठित प्रयास बताते हुए आरोप लगाया है कि इस तरह के फर्जीवाड़े से चुनाव की निष्पक्षता पर सीधा-सीधा खतरा है।
मतदाता सूची की ‘सर्जरी’ की मांग
जब यह मामला सार्वजनिक हुआ, तो शहर के कई नागरिकों ने सोमवार 13 अक्टूबर को नगर परिषद कार्यालय में अपनी आपत्ति दर्ज कराई। आपत्तियों की संख्या इतनी ज्यादा थी कि प्रशासन को आपत्ति दर्ज कराने की अंतिम तिथि 13 अक्टूबर से बढ़ाकर 17 अक्टूबर करनी पड़ी।
इस बीच, कांग्रेस ने मुख्य जिला निर्वाचन अधिकारी को लिखित में पत्र भेजकर मांग की है कि पूरी मतदाता सूची की नए सिरे से गहन जांच की जाए और इसे पूरी तरह से ‘दोषमुक्त’ बनाया जाए।
मुख्य अधिकारी का आश्वासन, पर संदेह बरकरार
नगर परिषद के मुख्य अधिकारी नीलेश रंजनकर ने इस मामले पर कहा है कि अगर किसी भी व्यक्ति को मतदाता सूची में कोई आपत्ति है, तो वे लिखित शिकायत करें। उन्होंने आश्वासन दिया कि फर्जी नाम हटा दिए जाएंगे ताकि लोगों के बीच कोई भ्रम न रहे। लेकिन, कांग्रेस का आरोप है कि यह सिर्फ ‘तकनीकी गलती’ नहीं है, बल्कि एक गहरी साजिश है। यह देखना बाकी है कि क्या चुनाव आयोग इस मामले की गंभीरता को समझते हुए कोई ठोस कदम उठाता है या नहीं। लोगों का मानना है कि केवल नाम हटाने से फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड को बढ़ावा मिलेगा। अगर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो, इस मामले ने घुग्घुस की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है और यह देखना बाकी है कि प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है।
