चंद्रपूर जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के चुनाव को लेकर जारी कानूनी गतिरोध अब खत्म हो गया है। न्यायालय ने शुक्रवार को प्रारूप मतदाता सूची पर लगाई गई स्थगनादेश (रोक) को हटा दिया है, जिससे चुनाव प्रक्रिया का रास्ता साफ हो गया है। इस फैसले से बैंक के चुनावी परिदृश्य में जबरदस्त हलचल मच गई है, जहां एक ओर कुछ लोगों में राहत है, तो वहीं कुछ चेहरों पर चिंता की लकीरें उभर आई हैं।
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पृष्ठभूमि: विवादों में घिरी मतदाता सूची
चुनाव प्रक्रिया अंतिम चरण में थी, जब सेवा सहकारी संस्था, वलनी के प्रतिनिधि तात्या चौधरी ने प्रारूप मतदाता सूची में एक नाम को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी। हालांकि विभागीय सहनिबंधक, सहकारी संस्था, नागपूर ने चौधरी की आपत्ति को खारिज कर दिया था। इसके बाद वे न्यायालय की शरण में गए, जिसने 14 मई को मतदाता सूची पर अंतरिम स्थगनादेश जारी किया था।
इस स्थगन के चलते 16 मई को प्रकाशित होने वाली अंतिम मतदाता सूची टल गई और संपूर्ण चुनाव प्रक्रिया रुक गई थी।
न्यायालय का निर्णय: आंशिक राहत
शुक्रवार को बैंक प्रशासन ने न्यायालय में अपनी दलीलें पेश कीं। सुनवाई के बाद न्यायालय ने प्रारूप मतदाता सूची पर से स्थगन हटाने का आदेश दिया, जिससे अब चुनाव प्रक्रिया फिर से शुरू हो सकेगी। हालांकि यह स्पष्ट किया गया है कि सेवा सहकारी संस्था, वलनी के संबंध में स्थगन अभी भी लागू रहेगा। संस्था को आगामी तीन दिनों के भीतर न्यायालय में अपना पक्ष रखना होगा।
राजनीतिक समीकरणों में हलचल
सन 2012 से बैंक का संचालक मंडल कार्यरत है। इतने वर्षों में चुनाव न होने के कारण कई बार इस मुद्दे पर सवाल उठते रहे हैं। अदालत ने इससे पहले ही संचालक मंडल के अधिकार भी सीमित कर दिए थे और समयबद्ध चुनाव कराने का निर्देश दिया था। अब जब चुनाव की प्रक्रिया फिर से शुरू होने जा रही है, तो संचालक मंडल में ‘कहीं खुशी, कहीं ग़म’ जैसी स्थिति देखने को मिल रही है। विरोधी गुट जहां इस निर्णय को लेकर आशंकित हैं, वहीं सत्ताधारी गुट इसे अपनी जीत के रूप में देख रहे हैं।
क्या होगा आगे?
अब जबकि न्यायालय ने रास्ता साफ कर दिया है, विभागीय सहनिबंधक की निगरानी में अंतिम मतदाता सूची तैयार की जाएगी और चुनाव कार्यक्रम घोषित किया जाएगा। हालांकि वलनी संस्था से जुड़े मुद्दे के निपटारे तक तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं हो पाएगी।
क्या इस बार होंगे पारदर्शी चुनाव?
इस घटनाक्रम से यह साफ हो गया है कि सहकारी बैंकों की राजनीति कितनी जटिल और प्रभावशाली हो सकती है। लंबे समय से चुनाव न होना, अदालती हस्तक्षेप और संस्थाओं के बीच विवाद — ये सभी इस बात की ओर इशारा करते हैं कि पारदर्शिता और निष्पक्षता की कसौटी पर इस चुनाव को परखा जाएगा।
अब देखना यह होगा कि क्या बैंक के चुनाव इस बार बिना किसी नए विवाद के सम्पन्न हो पाते हैं या आने वाले दिनों में फिर कोई नया मोड़ सामने आता है।
नजर बनाए रखें — चंद्रपूर जिला सहकारी बैंक चुनाव की हर हलचल पर हमारी विशेष रिपोर्ट जारी रहेगी।