महाराष्ट्र में लंबे समय से प्रतीक्षित पालकमंत्रिपद की घोषणा आखिरकार कर दी गई है। राज्य के विभिन्न जिलों के लिए मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंप दी गई है। इस सूची में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और कई वरिष्ठ नेताओं का समावेश है। आइए देखते हैं, किस मंत्री को कौन से जिले का जिम्मा सौंपा गया है:
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अशोक उईके बने पहली बार पालकमंत्री, चंद्रपुर जिले की जिम्मेदारी सौंपी गई
यवतमाल जिले के राळेगांव विधानसभा क्षेत्र के विधायक और दूसरी बार आदिवासी विकास मंत्री बने अशोक उईके ने शपथ ली है। इससे पहले उनका कार्यकाल काफी छोटा रहा था। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में उईके को इस जिम्मेदारी का मौका मिला है। अब उन्हें पालकमंत्री के रूप में चंद्रपुर जिले की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
अशोक उईके को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीबी और विश्वासपात्र नेता के तौर पर पहचाना जाता है। राळेगांव विधानसभा क्षेत्र से उईके लगातार तीसरी बार जीत हासिल कर चुके हैं। उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व शिक्षामंत्री वसंत पुरके को तीन बार पराजित कर यह उपलब्धि हासिल की है।
पालकमंत्री के रूप में अपनी नई भूमिका और आदिवासी विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी के साथ अशोक उईके से क्षेत्र के विकास के नए आयाम स्थापित करने की उम्मीद जताई जा रही है।
पालकमंत्रियों की जिलेवार सूची
गडचिरोली: देवेंद्र फडणवीस, आशिष जयस्वाल (सह-पालकमंत्री)
ठाणे और मुंबई शहर: एकनाथ शिंदे
पुणे और बीड: अजित पवार
नागपुर और अमरावती: चंद्रशेखर बावनकुळे
चंद्रपुर: अशोक उईके
अहिल्यानगर (अहमदनगर): राधाकृष्ण विखे पाटील
वाशिम: हसन मुश्रीफ
सांगली: चंद्रकांत पाटील
नाशिक: गिरीश महाजन
पालघर: गणेश नाईक
जलगांव: गुलाबराव पाटील
यवतमाल: संजय राठोड
मुंबई उपनगर: आशिष शेलार, मंगल प्रभात लोढा
रत्नागिरी: उदय सामंत
धुळे: जयकुमार रावल
जालना: पंकजा मुंडे
नांदेड: अतुल सावे
सातारा: शंभूराज देसाई
रायगड: आदिती तटकरे
लातूर: शिवेंद्रसिंहराजे भोसले
नंदुरबार: माणिकराव कोकाटे
सोलापुर: जयकुमार गोरे
हिंगोली: नरहरी झिरवाळ
भंडारा: संजय सावकारे
छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद): संजय शिरसाट
धाराशिव (उस्मानाबाद): प्रताप सरनाईक
बुलडाणा: मकरंद जाधव (पाटील)
सिंधुदुर्ग: नितेश राणे
अकोला: आकाश फुंडकर
गोंदिया: बाबासाहेब पाटील
कोल्हापूर: प्रकाश आबिटकर, माधुरी मिसाळ (सह-पालकमंत्री)
वर्धा: पंकज भोयर
परभणी: मेघना बोर्डीकर
इस सूची को देखते हुए साफ है कि राज्य सरकार ने हर मंत्री को उनके अनुभव और जनसमर्थन के अनुसार जिले आवंटित किए हैं। इससे प्रशासनिक कार्यों को गति और पारदर्शिता मिलने की उम्मीद है।