पूर्व सांसद नरेश पुगलिया की याचिका पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, 12 सितंबर तक मांगी गई रिपोर्ट
चंद्रपुर शहर के निचले इलाकों में हर साल इरई और झरपट नदियों का पानी बाढ़ लाता है, जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही, इन नदियों का प्रदूषण भी एक गंभीर समस्या बन चुका है। इस समस्या को लेकर कांग्रेस के पूर्व सांसद नरेश पुगलिया ने महाराष्ट्र के विभिन्न विभागों, चंद्रपुर महानगर पालिका (Chandrapur Municipal Corporation) और Western Coalfields Limited (WCL) सहित 9 प्रतिवादियों के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
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पुगलिया की याचिका में इन नदियों के संरक्षण के साथ-साथ सुरक्षा दीवार का निर्माण, गहरीकरण, और सौंदर्यीकरण की मांग की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि WCL की कोयला खदानों से निकलने वाले ओवरबर्डन (खनन से निकला मलबा) नदियों के प्रदूषण का प्रमुख कारण है। लेकिन, WCL ने इन आरोपों को खारिज करते हुए मनपा प्रशासन पर सवाल उठाए हैं।
WCL ने अपनी दलील में कहा है कि नदियों में गटर का दूषित पानी छोड़ा जा रहा है और शहर में अवैध इमारतें बन रही हैं, जिससे नदियों में गंदगी बढ़ रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मनपा और जिला प्रशासन नदियों की सफाई और अवैध रेत उत्खनन को रोकने में विफल रहे हैं।
इसके साथ ही, WCL ने 1,606 करोड़ रुपये रॉयल्टी और खनन निधि के रूप में देने का दावा भी किया है, लेकिन इस राशि का सही उपयोग कैसे हो रहा है, इस पर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है।
इस मामले पर हाईकोर्ट ने सभी प्रतिवादियों को 12 सितंबर तक अपनी अंतिम रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया है। यह देखना बाकी है कि इस मामले में अंतिम फैसला क्या आता है और चंद्रपुर की नदियों की हालत में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।