छत्रपति शिवाजी महाराज और संभाजी महाराज के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने वाले फरार आरोपी 🔍प्रशांत कोरटकर को मदद देने वालों पर अब कानूनी शिकंजा कसता नजर आ रहा है। गुरुवार को 🔍चंद्रपुर जिले की विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपकर इस मामले में कोरटकर को शरण देने वाले होटल मालिक और सट्टा व्यवसायियों को भी सह-आरोपी बनाने की मांग की।
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🔍इतिहासकार इंद्रजीत सावंत को फोन पर धमकी देने वाले प्रशांत कोरटकर ने अपने विवादित बयान में छत्रपति शिवाजी महाराज और संभाजी महाराज का अपमान किया था। इस मामले में कोल्हापुर और नागपुर पुलिस थानों में उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था, लेकिन गिरफ्तारी से बचने के लिए वह फरार हो गया।
चंद्रपुर में हुआ कोरटकर का गुप्त ठिकाना उजागर
राजनीतिक और सामाजिक संगठनों की जांच से सामने आया है कि 11 से 15 मार्च के बीच प्रशांत कोरटकर चंद्रपुर में मौजूद था। सट्टा व्यवसायी धीरज चौधरी और प्रशिक पडवेकर ने उसके रहने की पूरी व्यवस्था की थी। इतना ही नहीं, उसे 🔍 चंद्रपुर के सिद्धार्थ प्रीमियर होटल में भी ठहराया गया था। इस बीच, एक पुलिस अधिकारी ने भी कोरटकर से मुलाकात की थी, जिसकी जांच की मांग की जा रही है।
कैसे हुआ खुलासा?
🔍 मीडिया में कोरटकर के चंद्रपुर में छिपे होने की खबर सामने आते ही वह फिर से फरार हो गया। इसके बाद कोल्हापुर पुलिस की एक टीम उसकी तलाश में चंद्रपुर पहुंची। पुलिस को कोरटकर के भागने के लिए इस्तेमाल किए गए चारपहिया वाहन का नंबर हाथ लगा, जिससे यह खुलासा हुआ कि वह तेलंगाना भाग चुका था। तेलंगाना पुलिस की मदद से आखिरकार उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
सट्टा कारोबारियों से मिलीभगत का शक
कोल्हापुर पुलिस की हिरासत में कोरटकर से पूछताछ के दौरान सामने आया कि सट्टा व्यवसायी धीरज चौधरी और प्रशिक पडवेकर ने उसे न केवल शरण दी, बल्कि पुलिस से सेटिंग कर उसे बचाने का भी प्रयास किया। दिलचस्प बात यह है कि कोरटकर जिस वाहन से फरार हुआ, वह चौधरी के परिवार के एक सदस्य के नाम पर पंजीकृत था।
सूत्रों का दावा है कि चौधरी, जो पहले एक पेट्रोल पंप कर्मचारी था, अब सट्टा कारोबार में सक्रिय हो चुका है। वहीं, पडवेकर नागपुर के एक वरिष्ठ बीजेपी नेता का करीबी सहयोगी रह चुका है। दोनों पर कोरटकर के चंद्रपुर में ठहरने और उसके फरार होने में मदद करने का आरोप लगा है।
जांच की मांग और पुलिस पर उठे सवाल
इस मामले में संभाजी ब्रिगेड, लोकस्वराज फाउंडेशन, कुणबी समाज संगठन, शिवसेना और अन्य संगठनों ने कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उनके अनुसार, कोरटकर को शरण देने वाले होटल मालिक, सट्टा माफिया और फरार आरोपी को बचाने वाले पुलिस अधिकारी को भी जांच के दायरे में लाया जाना चाहिए।
इस ज्ञापन पर प्रमुख रूप से उपस्थित लोगों में शामिल थे:
संभाजी ब्रिगेड के जिलाध्यक्ष प्रो. दिलीप चौधरी, लोकस्वराज फाउंडेशन के नवनाथ देवकर, कुणबी समाज संगठन के नीलकंठ पावडे, शिवसेना के जिलाध्यक्ष संदीप गिहे, अशोक मस्के, प्रमोद देरकर, प्रो. डॉ. योगेश दुधपचारे, विनोद थेरे, अतुल टोंगे, एडवोकेट देवा पाचभाई, प्रो. डॉ. किरणकुमार मनुरे, विश्लेषक दीपक जेऊरकर, प्रो. डॉ. सुभाष गिरडे, राजेश ठाकरे, सुजित पेंडोर, गणेश ठाकुर और राकेश कालेश्वर आदि।
अब देखना यह होगा कि पुलिस कोरटकर को शरण देने वालों पर क्या कार्रवाई करती है और क्या सट्टा माफियाओं की संलिप्तता की सच्चाई सामने आती है?