देश में पहली बार महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के सावली तालुका में प्लैटिनम (Platinum), क्रोमियम (Chromium) और सोना (Gold) जैसे कीमती धातुओं के भंडार मिले हैं। यह खोज भारत के खनिज मानचित्र पर चंद्रपुर को एक नई पहचान देगी।
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क्या मिला?
भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण में सावली-पाथरी ब्लॉक (CL-MH-04) में 950 ppb (पार्ट्स पर बिलियन) तक प्लैटिनम और क्रोमियम के साथ-साथ पैलेडियम, इरिडियम, रोडियम, रुथेनियम और ऑस्मियम जैसे दुर्लभ धातुओं के अंश भी मिले हैं। हालांकि, सोने की मात्रा कम है, लेकिन गहन खोज से और भंडार मिलने की संभावना है।
कैसे हुई खोज?
-» 2016-2017 में भारत सरकार के खान मंत्रालय ने यहाँ G-4 पद्धति से सर्वेक्षण का आदेश दिया।
-» MECL (मिनरल एक्सप्लोरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड) ने 160 वर्ग किमी क्षेत्र का अध्ययन किया।
-» मिट्टी और चट्टानों के नमूने नागपुर और कानपुर की लैब में जाँचे गए।
-» 2018 में एक प्रारंभिक रिपोर्ट सरकार को सौंपी गई।
अभी और खोज बाकी
-» इस इलाके में घने जंगल और वन्यजीव हैं, जिससे पूरी तरह सैंपलिंग नहीं हो पाई।
-» बोरहोल ड्रिलिंग से भूगर्भ में और बड़े भंडार मिल सकते हैं।
-» विशेषज्ञों का मानना है कि यहाँ बस्तर क्रेटन (Bastar Craton) के 30 करोड़ साल पुराने आर्कियन युग की चट्टानें हैं, जो दुर्लभ धातुओं का स्रोत हो सकती हैं।
देश के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
-» भारत में प्लैटिनम और क्रोमियम के भंडार अब तक कहीं नहीं मिले थे।
-» यह खोज आत्मनिर्भर भारत के लिए एक बड़ा कदम हो सकता है।
-» चंद्रपुर पहले से ही कोयला, लौह अयस्क और चूना पत्थर जैसे खनिजों के लिए प्रसिद्ध है, अब यह कीमती धातुओं का केंद्र बनेगा।
आगे की राह
पर्यावरण और भूविज्ञान विशेषज्ञ प्रो. सुरेश चोपड़े ने मांग की है कि:
1. तुरंत गहन सर्वेक्षण शुरू किया जाए।
2. सरकार और प्रशासन इसके लिए विशेष बजट आवंटित करें।
3. स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलें, लेकिन पर्यावरण संरक्षण भी ध्यान में रखा जाए।
यह खोज चंद्रपुर को राष्ट्रीय खनिज मानचित्र पर एक नई पहचान देगी। अगर यहाँ बड़े पैमाने पर खनन शुरू होता है, तो यह क्षेत्र देश की आर्थिक प्रगति में अहम भूमिका निभाएगा।