“राष्ट्र सर्वोपरि” की भावना को अपने जीवन का मूल मंत्र मानकर आपातकाल के अंधेरे दौर में लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करने वाले सेनानियों के सम्मान में एक बार फिर न्याय की आवाज बुलंद हुई है। इस बार यह बुलंद आवाज बनी है महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक सुधीर मुनगंटीवार की। लोकतंत्र सेनानी संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुनगंटीवार से हाल ही में भेंट कर उनका आभार प्रकट किया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सौंपे गए मांग-पत्र में सेनानियों की मानधन वृद्धि और प्रशासनिक अड़चनों के समाधान की अपील की गई थी।
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प्रतिनिधिमंडल में जालना-परतूर विभाग के कार्याध्यक्ष रघुनाथ दीक्षित, महासचिव विश्वास कुलकर्णी (जळगांव), प्रदीप ओगले (सांगली), अरुण भिसे, पांडुरंग जिंजुर्डे, और यादवराव गहूकार (यवतमाल) जैसे प्रमुख सदस्य शामिल थे।
राजस्थान सरकार का उदाहरण बना प्रेरणा
मुनगंटीवार ने महाराष्ट्र सरकार से आग्रह किया कि राजस्थान की तर्ज पर यहां के लोकतंत्र सेनानियों को भी उचित आर्थिक सहायता दी जाए। राजस्थान में जहां सेनानियों को ₹20,000 मासिक पेंशन और ₹4,000 चिकित्सा सहायता दी जाती है, वहीं महाराष्ट्र के 4,103 पात्र सेनानियों को अपेक्षाकृत कम राशि प्राप्त हो रही है।
मुख्यमंत्री ने दिए तत्काल कार्रवाई के आदेश
विधानसभा में इस विषय पर उठी आवाज़ ने सरकार का ध्यान आकर्षित किया। मुनगंटीवार द्वारा प्रस्तुत निवेदन पर मुख्यमंत्री फडणवीस ने त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इससे लोकतंत्र सेनानियों के लिए सम्मान और सहायता का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
ताम्रपत्र और वारसदार मानधन भी चर्चा में
प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि सभी लोकतंत्र सेनानियों को सरकारी ताम्रपत्र प्रदान किए जाएं। साथ ही, सेनानियों के निधन के बाद उनके वारसदारों को मिलने वाली सहायता को पुनः चालू करने की आवश्यकता जताई गई। मुनगंटीवार ने इन मुद्दों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और संबंधित अधिकारियों से चर्चा का भरोसा दिया।
लोकतंत्र के प्रहरी – समाज के प्रेरणा स्रोत
यह पहल न केवल लोकतंत्र सेनानियों के संघर्ष को उचित सम्मान देती है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मजबूत प्रेरणा भी बनती है। मुनगंटीवार के प्रयासों से यह स्पष्ट होता है कि लोकतंत्र के इन नायकों को भूला नहीं गया है।
लोकतंत्र सेनानी संघ ने इस ऐतिहासिक प्रयास के लिए विधायक मुनगंटीवार को हृदय से धन्यवाद दिया है।