वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत लागू नियमों और शर्तों का उल्लंघन करने के कारण कर्नाटक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (KPCL) को कोयला खनन बंद करने का आदेश दिया गया है। स्थानीय नागरिकों द्वारा की गई शिकायतों के बाद वन विभाग ने कार्रवाई करते हुए कंपनी का खनन कार्य तत्काल प्रभाव से रोक दिया।
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क्या है पूरा मामला?
चंद्रपुर जिले के बरांज मोकासा क्षेत्र में स्थित कर्नाटक पावर कंपनी को 84.41 हेक्टेयर भूमि वन विभाग से मिली थी। यह भूमि वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत दी गई थी, जिसके तहत कई शर्तें लागू की गई थीं। लेकिन कंपनी ने नियमों की अनदेखी कर अवैध रूप से कोयला खनन शुरू कर दिया।
स्थानीय नागरिकों ने इस अनियमितता की शिकायत वन विभाग से की, जिसके बाद विभाग ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल कार्रवाई की। वन विभाग की टीम ने स्थल का निरीक्षण कर मोका पंचनामा किया और इस संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपी। रिपोर्ट में साफ तौर पर पाया गया कि कंपनी ने अधिनियम की शर्तों का उल्लंघन किया है।
खनन पर रोक लगाने का आदेश
चार दिन पहले वन विभाग ने KPCL को खनन बंद करने के आदेश दिए थे, जिसके बाद कंपनी प्रशासन में हड़कंप मच गया था। अब आदेश को अमल में लाते हुए आज से कोयला खनन पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।
वन विभाग के अनुसार, जब तक कंपनी सभी नियमों और शर्तों का पालन नहीं करती, तब तक खदान बंद रहेगी। यह पहली बार है जब चंद्रपुर जिले में शर्तों के उल्लंघन के कारण किसी बड़े खनन प्रोजेक्ट को बंद किया गया है। इससे उद्योग जगत में भी हलचल मची हुई है।
उद्योग जगत में हड़कंप
कर्नाटक पावर कंपनी के खनन पर लगी रोक से उद्योग जगत में चिंता बढ़ गई है। यह मामला अन्य खनन कंपनियों के लिए भी एक चेतावनी साबित हो सकता है कि यदि नियमों का पालन नहीं किया गया तो उनके प्रोजेक्ट भी बंद किए जा सकते हैं।
अब यह देखना होगा कि KPCL कंपनी वन विभाग की शर्तों को कब तक पूरा करती है और खनन दोबारा शुरू करने के लिए क्या कदम उठाती है।