चंद्रपुर में चुनावी सरगर्मी और भाजपा की रणनीति
चंद्रपुर जिले में आगामी स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनावों को देखते हुए राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। प्रियदर्शिनी इंदिरा गांधी सभागृह में आयोजित मुख्यमंत्री समृद्ध पंचायतराज अभियान की कार्यशाला के दौरान भाजपा विधायक किशोर जोरगेवार ने मंच से ही अपक्ष शिक्षक विधायक सुधाकर अडबाले को भाजपा में शामिल होने का खुला निमंत्रण दिया।
जोरगेवार ने अपने भाषण में कहा कि “कभी हम दोनों की स्थिति समान थी – मैं भी अपक्ष था, वे भी अपक्ष हैं। मैंने भाजपा में आकर विधायक पद संभाला, अब समय की नजाकत समझें और हमारे साथ आएं।” यह बयान साफ तौर पर भाजपा की उस रणनीति को दर्शाता है, जिसके तहत वह जिले में प्रभावशाली चेहरों को अपने पाले में लाना चाहती है, खासकर जब जिला परिषद अध्यक्ष पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो चुका है और चुनाव दिवाली के बाद होने की चर्चा है।
अडबाले का तीखा और मज़ेदार जवाब
अडबाले ने जोरगेवार के प्रस्ताव पर राजनीतिक चुटकी लेते हुए कहा –
“जोरगेवार और मैं कई मायनों में समान हैं। दोनों बिना किसी राजनीतिक वंश परंपरा के विधायक बने। उनके पास दाढ़ी है, मेरे पास भी दाढ़ी है, और फिलहाल केंद्र और राज्य – दोनों जगह दाढ़ीवालों की सरकार है। इसलिए मैं वहीं ठीक हूं जहां हूं।”
इतना ही नहीं, उन्होंने हंसते हुए भाजपा विधायक देवराव भोंगले को भी सलाह दे डाली कि वे भी दाढ़ी रख लें। यह टिप्पणी पूरे सभागृह में ठहाकों का कारण बनी और माहौल हल्का-फुल्का हो गया।
राजनीतिक समीकरण और कुणबी समाज का महत्व
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार घुग्घुस नगर परिषद की 21 सीटों पर चुनाव होने की संभावना है। भाजपा, कांग्रेस और शिवसेना (शिंदे गुट) अपनी-अपनी ताकत आजमा रहे हैं, जबकि अपक्ष उम्मीदवारों का भी स्थानीय स्तर पर प्रभाव रहता है।
भाजपा का लक्ष्य: पहली बार नगर परिषद में बहुमत बनाना और नगराध्यक्ष पद पर कब्जा करना।
कांग्रेस की चुनौती: पिछले पंचायत चुनाव में अच्छा प्रदर्शन दोहराने की कोशिश।
अपक्ष उम्मीदवार: कुछ वार्डों में व्यक्तिगत प्रभाव वाले उम्मीदवार भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए चुनौती बन सकते हैं।
कुणबी समाज का प्रभाव: लगभग 35-40% वोट कुणबी समाज के माने जाते हैं, जो चुनाव परिणाम को निर्णायक बना सकते हैं।
क्या अडबाले बदलेंगे रुख?
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि जोरगेवार का यह प्रस्ताव केवल मंचीय बयान नहीं है, बल्कि भाजपा की गंभीर राजनीतिक मंशा को दर्शाता है। नगर परिषद, जिला परिषद और महापालिका चुनाव को ध्यान में रखते हुए पार्टी कुणबी समाज के वोटों को साधने की कोशिश में है।
अडबाले के “मैं यहीं ठीक हूं” वाले बयान को फिलहाल एक हल्के मजाकिया जवाब के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन भविष्य में परिस्थितियों के अनुसार उनके रुख में बदलाव से इनकार नहीं किया जा सकता। राजनीतिक गलियारों में अब नजर इस बात पर रहेगी कि आने वाले हफ्तों में अडबाले भाजपा की इस पेशकश को स्वीकार करते हैं या नहीं।
