राजनीतिक सत्ता के संघर्ष में प्रशासनिक नियमों की अनदेखी करना किसी भी अधिकारी के लिए संकट का कारण बन सकता है। कोरपना के तहसीलदार प्रकाश व्हटकर भी इस राजनीतिक चक्रव्यूह में फंस गये। अपने गलत फैसले के कारण आज उन्हें निलंबित होना पड़ा। कढोली खुर्द में सरपंच चुनाव की प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं किये जाने के आरोप में सरकार ने उनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की है।
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चंद्रपुर जिले के कोरपना तहसील के कढोली खुर्द ग्रामपंचायत में अवैध रूप से सरपंच चुनाव आयोजित करने के कारण कोरपना तहसीलदार प्रकाश व्हटकर को 27 सितंबर को राज्य सरकार द्वारा निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई डॉ. विनायक विठ्ठलराव डोहे, उपसरपंच कढोली खुर्द द्वारा की गई शिकायत के बाद हुई, जिसमें तहसीलदार पर भ्रष्टाचार और एकतरफा निर्णय लेने के आरोप लगाए गए थे।
कढोली खुर्द ग्रामपंचायत में सरपंच निर्मला कवडू मरस्कोल्हे और सदस्य सीताबाई पंधरे को 12 अगस्त 2024 को जिलाधिकारी चंद्रपुर द्वारा अपात्र घोषित किया गया था। इस निर्णय के खिलाफ संबंधित अधिकारियों के पास अपील की गई थी, जिसकी सुनवाई 26 अगस्त 2024 को नागपुर में होनी थी। हालांकि, अपील की अवधि समाप्त होने से पहले, तहसीलदार व्हटकर ने 19 अगस्त के आदेशानुसार 26 अगस्त को एक सभा आयोजित कर कांग्रेस समर्थित उमाजी आत्राम को सरपंच पद पर चुन लिया।
डॉ. विनायक डोहे ने इस निर्णय के खिलाफ आवाज उठाई और राज्य के पालकमंत्री सुधीरभाऊ मुनगंटीवार को पत्र लिखकर इस अवैध सरपंच चुनाव को रद्द करने और तहसीलदार को निलंबित करने की मांग की। डोहे का आरोप था कि तहसीलदार ने घूस लेकर इस चुनाव को जल्दबाजी में करवाया, जिससे भाजपा समर्थकों के खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र रचा गया।
इस घटना ने चंद्रपुर जिले के राजनीतिक समीकरणों में हलचल मचा दी है। अपात्रता के बावजूद इतनी जल्दी नए सरपंच का चुनाव कराना सीधे तौर पर प्रशासनिक अनियमितता को दर्शाता है। तहसीलदार व्हटकर पर लगाए गए आरोपों में सबसे गंभीर आरोप यह है कि उन्होंने भ्रष्टाचार के चलते एकतरफा फैसला लिया। नियमों के अनुसार, अपील की 15 दिनों की अवधि 27 अगस्त को समाप्त होनी थी, परंतु इसके पहले ही 26 अगस्त को चुनाव आयोजित किया गया।
डॉ. डोहे द्वारा उठाए गए सवालों में यह प्रमुख था कि प्रशासनिक प्रक्रिया का पालन क्यों नहीं किया गया। उनकी शिकायत से यह स्पष्ट हुआ कि चुनाव प्रक्रिया में मनमानी तरीके से नियमों का उल्लंघन हुआ। राज्य सरकार ने इस मामले की गहराई से जांच कर तहसीलदार को निलंबित करने का आदेश जारी किया।
भाजपा के लिए रास्ता साफ:
इस पूरे प्रकरण के राजनीतिक निहितार्थ भी महत्वपूर्ण हैं। कढोली खुर्द में माजी सरपंच और उपसरपंच द्वारा भाजपा में शामिल होने से अब पहली बार वहां भाजपा की सत्ता आने की संभावना बन गई है। कांग्रेस समर्थित उमाजी आत्राम की सरपंच पद पर अवैध नियुक्ति को रद्द किए जाने से भाजपा के समर्थन वाले नेताओं के लिए रास्ता साफ हो गया है।
यह घटना स्थानीय राजनीति में एक नया मोड़ लेकर आई है, जहां सत्ता संघर्ष अब भाजपा और कांग्रेस के बीच तेज हो गया है।