शराब बिक्री में हमेशा से अग्रणी रहा चंद्रपुर जिला एक बार फिर सुर्खियों में है। वित्तीय वर्ष 2024-25 की शुरुआत होते ही जिले ने मद्यविक्रेताओं के लिए नया कीर्तिमान स्थापित किया है। जिले ने 105% लक्ष्यपूर्ति करते हुए 32 करोड़ रुपये से अधिक की शराब बिक्री कर डाली है।
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खास बात यह रही कि इस बार भी विदेशी शराब को पछाड़ते हुए देशी शराब ने बाजी मार ली है। वर्षभर में जिले में 2 करोड़ 9 लाख 9 हजार 401 लीटर देशी शराब की बिक्री हुई, वहीं विदेशी शराब की बिक्री 66 लाख 80 हजार 168 लीटर पर ही सिमट गई। बीयर, वाइन समेत कुल मिलाकर 3 करोड़ 36 लाख 87 हजार 214 लीटर शराब का सेवन चंद्रपुर के शराबप्रेमियों ने किया।
पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष देशी शराब की बिक्री में 12% और विदेशी शराब में 11% की बढ़ोतरी हुई है। इस बढ़ती खपत के चलते सरकार को मिलने वाला राजस्व भी आसमान छूने लगा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में जहां सरकार ने चंद्रपुर से 30.35 करोड़ रुपये राजस्व का लक्ष्य रखा था, वहीं जिले ने इसे पार करते हुए 32.06 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड तोड़ राजस्व जमा किया।
पिछले वर्ष 2023-24 में जिले से 22.98 करोड़ का ही राजस्व प्राप्त हुआ था। यानी इस बार पूरे 9.08 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वसूली हुई है, जो अपने आप में एक चौंकाने वाला आंकड़ा है।
शराब का बदलता सामाजिक रूप:
कभी समाज में नकारात्मक नजरिए से देखी जाने वाली शराब आज बदलते वक्त के साथ ‘स्टेटस सिंबल’ बनती जा रही है। युवाओं में बढ़ती ‘वीकेंड पार्टी’ की लहर, शहरीकरण की ओर रुझान, बढ़ती हुई दुकानें और आधुनिक जीवनशैली ने शराब की खपत को नई उड़ान दी है।
हालांकि एक ओर जहां यह बढ़ती बिक्री सरकार के खजाने को भर रही है, वहीं दूसरी ओर यह कई परिवारों को तबाही के कगार पर भी पहुंचा रही है। दारू की लत ने न जाने कितने घरों के चिराग बुझा दिए हैं।
लाइसेंस नवीनीकरण से भी बड़ी कमाई:
31 मार्च को शराब विक्रेताओं के लिए लाइसेंस नवीनीकरण की अंतिम तारीख थी। इस बार नवीनीकरण शुल्क में की गई बढ़ोतरी ने भी राजस्व वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
दारू की बढ़ती बिक्री जहां राज्य के राजस्व के लिए फायदेमंद साबित हो रही है, वहीं समाज में इसके दुष्परिणामों पर भी गहन चिंतन की आवश्यकता है। चंद्रपुर की यह रिपोर्ट एक चेतावनी भी है और एक सोचने का विषय भी।