सुधीर मुनगंटीवार जैसे वरिष्ठ नेता को मंत्री पद से दूर रखना न केवल भाजपा के भीतर उथल-पुथल का संकेत है, बल्कि महायुती के घटक दलों के बीच आपसी समन्वय की कमी को भी उजागर करता है। पार्टी और गठबंधन के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय है।
महाराष्ट्र में देवेंद्र फड़नवीस के नेतृत्व वाली सरकार के मंत्रीमंडल विस्तार के बाद महायुती में शामिल भाजपा, शिवसेना और राकांपा के नेताओं में भारी असंतोष देखने को मिला है। इस बार कई वरिष्ठ नेताओं और पुराने विधायकों को नजरअंदाज किया गया है। सबसे हैरान करने वाला नाम भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार का है, जिनका नाम संभावित मंत्रियों की सूची में था, लेकिन अंतिम निर्णय में उनका नाम हटा दिया गया।
Whatsapp Channel |
नाम कटने पर मुनगंटीवार का बयान
विधानभवन परिसर में मीडिया से बातचीत के दौरान मुनगंटीवार ने अपनी नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा, “मंत्रीमंडल विस्तार से पहले मुझे सूचित किया गया था कि मेरा नाम संभावित मंत्रियों की सूची में शामिल है। 13 दिसंबर को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने मेरे साथ करीब दो-ढाई घंटे बैठक कर इस बात की पुष्टि की थी। लेकिन 15 दिसंबर को क्या हुआ, मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।”
‘वक्त आयेगा, वक्त जायेगा’
मुनगंटीवार ने कहा कि इस घटना से उनका समर्पण और पार्टी के प्रति वफादारी कम नहीं होगी। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि किसी भी स्थिति में पार्टी के हितों को नुकसान न पहुंचाएं।
“पार्टी के लिए हजारों लोगों ने बलिदान दिया है। किसी भी कार्यकर्ता को ऐसी कोई भी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए जिससे पार्टी की छवि या अस्तित्व को नुकसान हो। मैं पार्टी के लिए अपना काम जारी रखूंगा।” यह बयान यह दर्शाता है कि पार्टी के अंदर अनुशासन के साथ असहमति को संभालने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, इस घटना से भाजपा के भीतर गुटबाज़ी और असंतोष के संकेत भी मिलते हैं।
अनुभवी नेता के साथ हुई “अन्यायपूर्ण” कार्रवाई पर क्षेत्र में विरोध, भाजपा नगरसेवक ने दिया इस्तीफा
भाजपा के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र सरकार के पूर्व वन और सांस्कृतिक मंत्री सुधीर मुनगंटीवार को मंत्रिमंडल से बाहर करने के फैसले ने राज्य में राजनीति को गर्म कर दिया है। विकास की नई दृष्टि और प्रशासनिक क्षमता रखने वाले मुनगंटीवार को दरकिनार करने से चंद्रपुर जिले में खास तौर पर विरोध के स्वर उठ रहे हैं।
गोंडपिपरी इलाके से भाजपा नगरपंचायत के गटनेता चेतनसिंह गौर ने इसके विरोध में अपनी नगरसेवक और भाजपा शहर अध्यक्ष की जिम्मेदारी से इस्तीफा दे दिया है। गौर ने कहा कि वह इस निर्णय से अत्यधिक व्यथित हैं क्योंकि सुधीर मुनगंटीवार जैसे अनुभवी नेता के साथ अन्याय हुआ है।
गौर ने स्पष्ट किया कि यह कदम उनके व्यक्तिगत असंतोष का परिणाम है। उनका मानना है कि मुनगंटीवार को भाजपा और राज्य सरकार में उचित स्थान मिलना चाहिए था। गौर ने यह भी बताया कि उनके जैसे अनेक कार्यकर्ता इस फैसले से नाराज हैं।
सुधीर मुनगंटीवार को भाजपा और सरकार के लिए लंबे समय से योगदान देने वाले नेता माना जाता है। उनके समर्थकों का कहना है कि यह निर्णय न केवल उनके लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए बड़ा आघात है। यह मामला स्थानीय और राज्यस्तर पर भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण बन गया है, जहां कार्यकर्ताओं की नाराजगी संभालना पार्टी के लिए जरूरी हो गया है।