सुप्रीम कोर्ट द्वारा महाराष्ट्र राज्य में स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं की लंबित चुनाव प्रक्रिया को लेकर दिए गए ऐतिहासिक निर्णय का सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं ने जोरदार स्वागत किया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव 2022 से पहले की ओबीसी जनगणना (भाटिया रिपोर्ट) के आधार पर ही कराए जाएं। इस निर्णय में देरी से तीन वर्षों तक जनप्रतिनिधियों के स्थान पर प्रशासक राज चलता रहा, जिससे आमजन के मताधिकार और जनप्रतिनिधित्व दोनों को क्षति पहुंची।
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न्यायालय का निर्देश: चार सप्ताह में चुनाव की अधिसूचना
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग को सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि वह आगामी चार सप्ताह के भीतर इन चुनावों की अधिसूचना जारी करे। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य में 2022 से पूर्व लागू ओबीसी आरक्षण प्रणाली के अनुसार चुनाव कराए जाएं।
सभी दलों ने किया फैसले का स्वागत
कांग्रेस: चंद्रपुर शहर कांग्रेस अध्यक्ष रितेश तिवारी ने कहा, “यह फैसला लोकतंत्र की पुनर्स्थापना है। सुप्रीम कोर्ट ने जनमत का सम्मान किया है। हमें आशा है कि सितंबर माह से पहले चुनावी कार्यक्रम घोषित कर दिया जाएगा।”
चंद्रपुर जिला कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व विधायक सुभाष धोटे ने कहा, “यह फैसला चंद्रपुर जिला और समस्त महाराष्ट्र की जनता की जीत है। हम इसका दिल से स्वागत करते हैं।”
भाजपा: भाजपा के महानगर अध्यक्ष राहुल पावडे ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि उनकी पार्टी चुनाव के लिए पूर्ण रूप से तैयार है।
शिवसेना (शिंदे और ठाकरे गुट), एनसीपी (अजित पवार और शरद पवार गुट), MNS, वंचित बहुजन आघाडी, BSP, RPI(A) और AAP ने भी इस फैसले का समर्थन किया है।
कौन-कौन सी संस्थाएं जाएंगी चुनाव में?
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद चंद्रपुर जिले की कुल 18 संस्थाओं में चुनाव होंगे, जिनमें शामिल हैं:
जिल्हा परिषद: चंद्रपुर जिल्हा परिषद
महापालिका: चंद्रपुर महापालिका
10 नगर परिषद: घुग्घुस, भद्रावती, चिमूर, वरोरा, बल्लारपूर, राजुरा, मूल, नागभीड, ब्रम्हपुरी, गडचांदूर
6 नगर पंचायत: गोंडपिंपरी, जिवती, कोरपना, पोंभूर्णा, सावली, सिंदेवाही
पिछला चुनाव और पार्टी स्थिति:
चंद्रपुर महापालिका (2017): – कार्यकाल 13 मार्च 2022 को समाप्त हुआ।
कुल 66 नगरसेवक, जिनमें से भाजपा व सहयोगी दलों के 43, कांग्रेस 12, बसपा 6, शहर विकास आघाडी 4। एक नगरसेविका कलावती यादव का पद रद्द किया गया था।
जिल्हा परिषद (2022 तक): – कार्यकाल 13 मार्च 2022 को समाप्त हुआ।
कुल 58 सदस्य। भाजपा के 33, कांग्रेस 20 और 3 अपक्ष। एक सदस्य का निधन और दूसरा नीतू चौधरी का पद घुग्घुस नगर परिषद गठन के चलते समाप्त।
यह निर्णय आने वाले दिनों में राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह से बदल सकता है। तीन वर्षों से जनसेवक विहीन रही नगर परिषदों और जिल्हा परिषद में अब फिर से राजनीतिक सक्रियता लौटेगी। विभिन्न दलों ने संगठनात्मक स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है।
विशेष रूप से ओबीसी आरक्षण को लेकर यह फैसला अन्य राज्यों के लिए भी मिसाल बन सकता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल कर राजनीतिक दलों को अपनी जनता से जुड़ने का एक और अवसर प्रदान किया गया है।