राज्य में 246 नगर पालिकाओं और 42 नगर पंचायतों के लिए जारी नगर निकाय चुनाव कार्यक्रम के बीच नए घटनाक्रम ने राजनीतिक हलचल वाढा दी है। प्रचार अपने चरम पर पहुँचा ही था कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी एक पत्र ने कई जिलों में भारी भ्रम की स्थिती पैदा की। यह पत्र उन स्थानों से संबंधित है, जहाँ नामांकन पत्रों की छानबीन के बाद दायर अपीलों पर समय पर निर्णय नहीं हो पाया, जिसके चलते आगे की चुनावी प्रक्रिया नियमों के विपरीत तरीके से आगे बढ़ाई गई।
नामांकन छानबीन में अपील प्रकरण बने अड़चन
4 नवंबर को घोषित मूल चुनाव कार्यक्रम के अनुसार, नामांकन पत्रों की छानबीन के बाद उम्मीदवारों को जिल्हा न्यायालय में अपील करने की वैधानिक सुविधा थी। नियमानुसार इन अपीलों का निपटारा 22 नवंबर तक हो जाना चाहिए था, ताकि उम्मीदवारों को नामांकन वापस लेने के लिए तीन दिन मिलें और फिर 26 नवंबर को वैध उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह आवंटित किए जा सकें।
लेकिन कई नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में अपीलों पर देर से निर्णय हुआ—कुछ मामलों में 23 नवंबर या उसके बाद निर्णय पारित किए गए। इसके चलते नामांकन वापस लेने की अवधि दिए बिना ही कई जगह चुनाव चिन्ह बाँटे गए। आयोग ने इसे नियमबाह्य प्रक्रिया मानते हुए तुरंत हस्तक्षेप किया।
कहाँ चुनाव प्रक्रिया रुकी, कहाँ जारी?
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा स्पष्ट किया गया है कि—
जहाँ अपील का निर्णय 23 नवंबर या उसके बाद हुआ, वहाँ संबंधित सदस्य पद की चुनाव प्रक्रिया तुरंत प्रभाव से स्थगित कर दी गई है।
यदि अपील का प्रभाव अध्यक्ष पद पर भी है, तो पूरी नगर पालिका/नगर पंचायत की पूरी चुनाव प्रक्रिया रोकी गई है।
आयोग ने सभी जिल्हाधिकाऱ्यांना निर्देश दिए हैं कि वे ऐसे सभी प्रकरणों की सूची तैयार करें और संशोधित कार्यक्रम के अनुसार ही आगे की प्रक्रिया चलाएँ।
4 दिसंबर को संशोधित कार्यक्रम जारी
सचिव सुरेश काकाणी द्वारा जारी आदेश के अनुसार संशोधित कार्यक्रम इस प्रकार रहेगा—
4 दिसंबर : संशोधित चुनाव कार्यक्रम की घोषणा
10 दिसंबर : नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि
11 दिसंबर : चुनाव चिन्ह का पुनः आवंटन व अंतिम प्रत्याशी सूची
20 दिसंबर : आवश्यकता पड़ने पर मतदान
21 दिसंबर : मतगणना
आयोग ने स्पष्ट किया है कि केवल उन्हीं चरणों को दोबारा आयोजित किया जाएगा, जिनमें नियमों का उल्लंघन हुआ है। जहाँ प्रक्रिया वैध रूप से पूरी हो चुकी है, वहाँ चुनाव कार्यक्रम पूर्ववत लागू रहेगा।
राज्य निर्वाचन आयोग के इस निर्णय ने जहाँ कानूनी शुद्धता सुनिश्चित की है, वहीं राजनीतिक हलकों में चर्चाओं को भी हवा दी है। कई जगह चुनावी समीकरण बदलने की आशंका के कारण पार्टियों में नई रणनीतियों पर मंथन शुरू हो गया है। संशोधित कार्यक्रम जारी होने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि कितनी नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में चुनावी चित्र वास्तव में बदलने वाला है।
