मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हेरफेर का आरोप; नेताओं का बिगड़ा ‘गणित’, बिन अनुमति ऑब्जेक्शन डालने की चर्चा जोरों पर
चंद्रपुर जिले की औद्योगिक नगरी घुग्घुस की राजनीति में इन दिनों मतदाता सूची को लेकर भूचाल आया हुआ है। नगर परिषद द्वारा जारी नई मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी और हेरफेर के आरोपों के बीच, आज 17 अक्टूबर को आपत्ति (ऑब्जेक्शन) दर्ज कराने का अंतिम दिन है। सूत्रों के अनुसार, आज रिकॉर्ड संख्या में ऑब्जेक्शन फॉर्म जमा होने की संभावना है, क्योंकि कथित तौर पर एक प्रिंटिंग प्रेस से 2000 से अधिक फॉर्म गुपचुप तरीके से छापे गए हैं।
पहले आपत्ति जताने की अंतिम तिथि 13 अक्टूबर थी, जिस दिन करीब 500 से अधिक ऑब्जेक्शन फॉर्म जमा किए गए थे। लेकिन, नगरपरिषद आरक्षणों की घोषणा के बाद बिगड़े राजनीतिक समीकरणों के चलते, ऑब्जेक्शन की यह समय सीमा बढ़ाकर 17 अक्टूबर कर दी गई।
क्या है पूरा मामला? नेताओं का बिगड़ा ‘वार्ड गणित’
घुग्घुस में कई बाहरी राज्यों के श्रमिक रोजगार के लिए आते हैं और उनके नाम भी मतदाता सूची में शामिल हैं। मतदाता सूची की नई कवायद में, सूत्रों के अनुसार, एक बड़ा खेल हुआ है:
वार्ड बदलने का खेल: अनेक स्थायी निवासियों को उनके मूल वार्डों से हटाकर दूसरे वार्डों में डाल दिया गया। आरोप है कि यह कदम कुछ ‘चालाक’ नेताओं ने अपने विरोधी दल के नेताओं के समर्थकों को उनके प्रभाव क्षेत्र से दूर करने के लिए उठाया था।
आरक्षण ने बिगाड़ा खेल: नगर परिषद के 11 प्रभागों के लिए आरक्षण (Reservation) की घोषणा होते ही, कथित तौर पर वार्ड बदलने का यह ‘खेल’ उन नेताओं पर ही भारी पड़ गया। उनके अपने राजनीतिक समीकरण और भविष्य की उम्मीदवारी की रणनीति गड़बड़ा गई।
यू-टर्न और 2000 फॉर्म: अब, इस बिगड़े गणित को सुधारने के लिए, वे नेता बेचैन हैं और उन सभी लोगों को वापस उनके मूल/स्थायी वार्डों में शामिल करने की जल्दबाजी कर रहे हैं जिनके नाम पहले अलग वार्डों में डाले गए थे। इसी प्रयास में, एक स्थानीय प्रिंटिंग प्रेस से 2000 से अधिक ऑब्जेक्शन फॉर्म छपवाए गए हैं, ताकि लोगों को वापस उनके वार्डों में डाला जा सके।
“बिन अनुमति ऑब्जेक्शन” की सनसनीखेज चर्चा
शहर में इन दिनों जो चर्चा सबसे तेज़ है, वह यह है कि अनेक मतदाताओं के ऑब्जेक्शन फॉर्म उनकी बिना कोई अनुमति के ही जमा किए जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि नेता अपनी राजनीतिक मजबूरी के चलते मतदाताओं की जानकारी के बिना, उनके स्थायी वार्ड में वापस लाने के लिए, खुद ही फॉर्म भरकर नगर परिषद में जमा कर रहे हैं।
आखिरकार वह कौन है जो ऐसा कर रहा?
यह सवाल शहर के राजनीतिक गलियारों में सबसे बड़ा है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर कोई नाम सामने नहीं आया है, पर विरोधी दल और आम जनता दबी जुबान में आरोप लगा रहे हैं कि यह उन नेताओं का काम है जिनका नगर परिषद के आगामी चुनावों को लेकर ‘वार्ड गणित’ आरक्षण के कारण ध्वस्त हो गया है। माना जा रहा है कि यह हेरफेर सत्ता पक्ष या मजबूत दावेदारी रखने वाले किसी प्रभावशाली गुट की ओर से की जा रही है, जो अब अपनी पुरानी गलती सुधारने में लगा है।
आज शाम होगा खुलासा
आज ऑब्जेक्शन डालने का अंतिम दिन है। शाम तक यह पता चलेगा कि आज कितने रिकॉर्ड ऑब्जेक्शन फॉर्म जमा हुए हैं। इतनी बड़ी संख्या में फॉर्म जमा होने के बाद, नगर परिषद और चुनाव आयोग के अधिकारियों के सामने इन सभी आपत्तियों की जांच करना एक बड़ी चुनौती होगी। इस सनसनीखेज ‘वार्ड सेटिंग’ के खेल ने घुग्घुस की राजनीति को गरमा दिया है और मतदाताओं के बीच भारी असमंजस पैदा कर दिया है।
