वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ कानून या लोकतांत्रिक विरोध पर शिकंजा? फडणवीस सरकार के ‘स्पेशल बिल’ पर विपक्ष का बड़ा सवाल
महाराष्ट्र विधानसभा में हाल ही में पारित Maharashtra Special Public Security Bill ने राजनीतिक गलियारों में तूफान ला दिया है। यह बिल राज्य सरकार द्वारा वामपंथी उग्र संगठनों की कथित गैरकानूनी गतिविधियों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से लाया गया है, लेकिन विपक्ष इसे लोकतंत्र की जड़ों पर हमला मान रहा है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया कि यह बिल किसी राजनीतिक कार्यकर्ता या शांतिपूर्ण आंदोलनकारियों को निशाना बनाने के लिए नहीं, बल्कि उन संगठनों के खिलाफ है जो भारतीय संविधान को अस्थिर करने की साजिश रचते हैं। उनका कहना है कि यह कानून केवल देशविरोधी ताकतों के खिलाफ है और किसी भी वैध राजनीतिक दल जैसे माकपा या भाकपा पर इसका असर नहीं पड़ेगा।
विपक्ष की आशंका: ‘कानून का दुरुपयोग होगा’
एनसीपी (शरद पवार) के रोहित पवार, शिवसेना (UBT) के भास्कर जाधव और वरुण सरदेसाई, तथा कांग्रेस के विश्वजीत कदम और नाना पटोले जैसे प्रमुख विपक्षी नेताओं ने बिल पर गहरी आपत्ति जताई है।
इनका कहना है कि जिस समिति ने बिल के लिए सुझाव दिए थे, उनके अधिकांश सुझावों को बिल में शामिल ही नहीं किया गया।
नाना पटोले ने खुलासा किया कि 12,000 से ज्यादा सुझाव और आपत्तियां विपक्ष ने दी थीं, लेकिन उनमें से सिर्फ 3 को ही स्वीकार किया गया।
रोहित पवार ने कहा, “जब पहले से ही UAPA जैसे कड़े कानून मौजूद हैं, तो फिर इस नए कानून की क्या आवश्यकता थी?”
परिभाषाओं पर विवाद
सबसे बड़ी चिंता बिल में प्रयुक्त कुछ शब्दों को लेकर है जैसे — ‘Left Wing Extremism’ (वामपंथी उग्रवाद) और ‘Unlawful Activities’ (गैरकानूनी गतिविधियां)।
विपक्ष का कहना है कि इन शब्दों की कोई स्पष्ट और कानूनी परिभाषा नहीं दी गई है, जिससे इसका दुरुपयोग करके किसी भी असहमति को दबाया जा सकता है।
सरकार का पक्ष: “देशद्रोहियों पर चलेगी गाज”
मुख्यमंत्री फडणवीस ने विपक्ष को आश्वासन देते हुए कहा, “यह कानून उन ताकतों के खिलाफ है जो भारतीय लोकतंत्र को अंदर से खोखला करना चाहती हैं। यह संविधान के रक्षार्थ है, न कि राजनीति के विरुद्ध।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह बिल राजनीतिक विचारधारा के आधार पर नहीं बल्कि राष्ट्रविरोधी कृत्यों के खिलाफ कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त करेगा।
Maharashtra Special Public Security Bill एक तरफ राज्य सरकार के लिए आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने का उपाय है, तो दूसरी तरफ विपक्ष इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक विरोध की भावना पर हमला मानता है।
आगे देखना दिलचस्प होगा कि यह कानून अदालत की कसौटी और जनमत की निगाहों में कैसे खरा उतरता है।
News Title : Censorship in the Name of Security? Maharashtra’s New Special Public Security Bill Turns into a Political Weapon
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