“चंद्रपुर जिले के जिवती तालुका के 14 सीमावर्ती गाँवों का दशकों पुराना सीमा विवाद और वनभूमि मामला अब सुलझने की ओर। सुप्रीम कोर्ट के 1997 के आदेश पर अमल के लिए सांसद प्रतिभा धानोरकर की दिल्ली में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव से अहम बैठक। जानिए पूरी खबर।”
महाराष्ट्र-तेलंगाना सीमा पर स्थित चंद्रपुर जिले के जिवती तालुका के 14 गाँवों का सीमांकन और भूमि अभिलेख विवाद, जो पिछले कई दशकों से अटका हुआ था, अब अपने समाधान की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 1997 में महाराष्ट्र के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन हैरानी की बात यह है कि आज तक इन गाँवों का आधिकारिक सीमांकन नहीं हो पाया। इससे गाँवों का विकास और ग्रामीणों के अधिकार वर्षों से अधर में लटके हुए थे।
दिल्ली में हुई अहम बैठक – सांसद की सीधी पहल
कांग्रेस सांसद प्रतिभा धानोरकर ने इस गंभीर मुद्दे पर सीधे केंद्र सरकार का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव से दिल्ली में मुलाकात कर इस विवाद के त्वरित समाधान की मांग की। बैठक के दौरान उन्होंने स्पष्ट कहा कि – > “सुप्रीम कोर्ट का आदेश महाराष्ट्र के हक में है, लेकिन अब भी सीमांकन की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। यह न केवल प्रशासनिक लापरवाही है, बल्कि गाँव के हजारों लोगों के अधिकारों का हनन भी है।”
मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस पर सकारात्मक रुख दिखाते हुए जल्द समाधान का भरोसा दिया।
किसानों की सबसे बड़ी समस्या – वनभूमि का गलत रिकॉर्ड
बैठक में एक और बड़ा मुद्दा उठाया गया – जिवती तालुका के 8649.809 हेक्टेयर क्षेत्र को गलत तरीके से वनक्षेत्र घोषित कर दिया गया है।
- संयुक्त रिपोर्ट: उप वनसंरक्षक और तहसीलदार की रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि यह भूमि वास्तव में वनक्षेत्र नहीं है।
- किसानों की परेशानी: इस गलत रिकॉर्ड की वजह से किसानों को फसल बोने, सरकारी योजनाओं का लाभ लेने और मुआवजा पाने में लगातार दिक्कतें हो रही हैं।
- सांसद की मांग: इस भूमि को तुरंत वनक्षेत्र से बाहर कर किसानों को उनका हक दिलाया जाए।
14 गाँवों के विकास का रास्ता साफ होगा?
अगर यह दोनों विवाद – सीमांकन और वनभूमि – सुलझ जाते हैं, तो न केवल गाँवों के विकास के लिए रास्ता खुलेगा बल्कि वहाँ के ग्रामीणों के जीवन में भी बड़ा बदलाव आएगा। दशकों से रुके हुए सड़क, बिजली, स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं के प्रोजेक्ट शुरू हो सकेंगे।
बैठक में जिवती के कांग्रेस नेता सुग्रीव गोतावळे, तिरुपती पोले, सीताराम मडावी, दत्ता गायकवाड, चंद्रकांत बिऱ्हाडे और बंडू राठोड भी मौजूद थे। सभी ने उम्मीद जताई कि सांसद धानोरकर की पहल से यह मुद्दा अब जल्दी सुलझ जाएगा।
क्यों है यह मुद्दा इतना अहम?
- यह केवल सीमा विवाद नहीं, बल्कि हजारों ग्रामीणों की पहचान और अधिकार से जुड़ा सवाल है।
- 1997 का सुप्रीम कोर्ट का आदेश अब तक जमीन पर लागू न होना प्रशासनिक ढिलाई का सबसे बड़ा उदाहरण है।
- वनभूमि का गलत रिकॉर्ड किसानों की आजीविका पर सीधा हमला है, जिससे कृषि उत्पादन और आर्थिक स्थिति बुरी तरह प्रभावित हुई।
- अगर केंद्र सरकार इस पर तुरंत कदम उठाती है, तो यह महाराष्ट्र–तेलंगाना सीमा विवाद का ऐतिहासिक समाधान साबित हो सकता है।
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