महाराष्ट्र में दो बड़े दलों में फूट डालकर गठित की गई मौजूदा सरकार के एक वर्ष पूर्ण होने के मौके पर, चंद्रपुर की सांसद प्रतिभा धानोरकर ने राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, जिसे कभी संतभूमि के रूप में जाना जाता था, बीते एक वर्ष में राजनीतिक अस्थिरता, अव्यवस्था और कमजोर प्रशासन का प्रतीक बनकर रह गया है।
‘तीन तिघाड़ा, महाराष्ट्र का काम बिगाड़ा’
सांसद धानोरकर ने आरोप लगाया कि राज्य में तीन दलों के गठबंधन वाली यह सरकार जन्म से ही अस्थिर थी और इससे महाराष्ट्र की प्रतिष्ठा को ठोस धक्का लगा है।
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा—
> “राज्य की राजनीति को ऐसी स्थिति में ला दिया गया है कि देश की नज़रों में महाराष्ट्र–
‘तीन तिघाड़ा, काम बिगाड़ा’ बनकर रह गया है।”
उन्होंने सरकार की प्राथमिकताओं पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए कहा कि गठबंधन बनाने के लिए जो ‘दल-बदल’ और ‘पक्ष-फोड़’ की राजनीति हुई, उसका लाभ जनता को नहीं मिला।
कानून-व्यवस्था पर गंभीर टिप्पणी
धानोरकर ने विशेष रूप से महिला सुरक्षा पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि—
> “महिलाओं को चुनाव नामांकन दाखिल करते समय भी सुरक्षा के लिए बंदूकधारी साथ लेकर जाना पड़ रहा है… यह बेहद शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है।”
राज्य में आपराधिक घटनाओं और प्रशासनिक शिथिलता का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार कानून-व्यवस्था बनाए रखने में नाकाम दिखाई देती है।
किसानों की बदहाली का मुद्दा
सांसद धानोरकर ने बताया कि महाराष्ट्र पारंपरिक रूप से सुजलाम-सुफलाम माना जाता है, लेकिन बीते एक वर्ष में किसानों पर संकट गहरा गया है।
फसलों को उचित मूल्य नहीं, प्राकृतिक आपदाओं से राहत में देरी, कर्जग्रस्त किसानों की बढ़ती संख्या
उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकताएँ गलत दिशा में होने से किसान बदहाली झेल रहे हैं जबकि सत्ता पक्ष में होड़ सिर्फ कुर्सी की राजनीति की दिखती है।
“साधारण नागरिकों को क्या मिला?”— सीधा सवाल
धानोरकर ने सवाल उठाया कि दो बड़े दलों में फूट डालकर सत्ता हथियाने वाले इस गठबंधन ने आम जनता के लिए क्या हासिल किया?
उन्होंने कहा—
> “पिछले एक साल में सरकार का पूरा ध्यान सत्ता बचाने और आंतरिक संघर्षों को संभालने में गया।
जनता की समस्याओं पर ध्यान देने का समय ही नहीं मिला।”
‘आत्मपरीक्षण’ की सलाह
सांसद ने सरकार को आत्मपरीक्षण करने की सलाह दी और कहा कि अब भी समय है कि—
राज्य की मूलभूत समस्याओं पर ध्यान दिया जाए
किसानों की सहायता के लिए ठोस कदम उठाए जाएं
महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए
प्रशासनिक तंत्र को स्थिरता की दिशा में मोड़ा जाए
राजनीतिक अस्थिरता के केन्द्र में आया महाराष्ट्र
बीते एक वर्ष में महाराष्ट्र की राजनीति लगातार उथल-पुथल से गुज़री है— में फूट, दल-बदल, गठबंधन की असहमति और आरोप-प्रत्यारोपों की तेज़ी।
प्रतिभा धानोरकर के इस बयान ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि क्या मौजूदा सरकार जनता की अपेक्षाओं पर खरी उतर पा रही है या राजनीतिक समीकरणों में उलझ गई है?
