महाराष्ट्र में महायुती सरकार देश का सबसे भ्रष्ट सरकार है और इसे अब जनसमर्थन प्राप्त नहीं है। राज्य में सत्ता परिवर्तन अटल है, और इसके बाद केंद्र सरकार में भी बदलाव की प्रक्रिया शुरू होगी। यह दावा महाराष्ट्र कांग्रेस प्रभारी रमेश चेन्नीथला ने किया। सोमवार, 23 सितंबर को चंद्रपुर में गोंदिया, गडचिरोली और चंद्रपुर लोकसभा क्षेत्रों के कांग्रेस पदाधिकारियों की बैठक के दौरान चेन्नीथला ने मीडिया से बातचीत में यह बातें कहीं। इस बैठक में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले, विपक्षी नेता विजय वडेट्टीवार, बाला साहेब थोरात, सांसद प्रतिभा धानोरकर, सांसद नामदेव किरसान, सांसद प्रशांत पडोले, कांग्रेस के जिला अध्यक्ष विधायक सुभाष धोटे और रामकिशन ओझा, शहर अध्यक्ष रामू तिवारी, और चारों जिले के अन्य प्रमुख नेता उपस्थित थे।
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चेन्नीथला ने कहा कि राज्य के सभी निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत की गई है और जनता महायुती सरकार को हटाने के लिए तैयार है। उन्होंने बताया कि राज्य में किसानों की स्थिति बेहद खराब है, और महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा किसान आत्महत्याएं हो रही हैं। बेरोजगारी दर भी बढ़ रही है, और महाविकास आघाड़ी के घटक दलों के साथ सीटों के बंटवारे पर बातचीत चल रही है, जिस पर जल्द ही अंतिम मुहर लगेगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस के भीतर कोई मतभेद नहीं है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने भी महायुती सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह सरकार भ्रष्टाचार से भरा हुआ है। उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने की घटना का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि इस काम में भी भ्रष्टाचार हुआ है। राज्य आर्थिक रूप से दिवालिया हो चुका है, और सरकारी कर्मचारियों के वेतन के भुगतान पर संदेह है। पटोले ने यह भी कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो वह “लाडकी बहिन” योजना को बंद नहीं करेगी, बल्कि उसमें और वृद्धि करेगी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस का वंचित बहुजन अघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर से बातचीत का कोई इरादा नहीं है।
महायुती सरकार नहीं टिकेगी:
विपक्षी नेता विजय वडेट्टीवार ने महायुती सरकार पर और हमला बोलते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी दोमुंही सांप की तरह है और महाराष्ट्र की अस्मिता को गुजरात के हाथों गिरवी रख दिया गया है। वडेट्टीवार ने आरोप लगाया कि इस सरकार के कार्यकाल में अब तक 3 लाख 28 हजार करोड़ रुपये के कुल 29 प्रोजेक्ट गुजरात ले जाए जा चुके हैं। इसके अलावा, 5 लाख करोड़ रुपये की भूमि भी गुजराती उद्योगपतियों को दी गई है। उन्होंने कहा कि तीन प्रतिशत से अधिक वसूली के लिए निर्धारित परियोजनाओं से ज्यादा के प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं और पीक बीमा योजना में कृषि मंत्री ने कमीशन खाया है।