भाजपा के बैनर पर हास्यास्पद गलती, सोशल मीडिया पर उड़ा मज़ाक, नेताओं की लापरवाही एक बार फिर हुई उजागर
Major Blunder in Chandrapur BJP’s Poster Politics Goes Viral on Social Media: शिव जयंती के अवसर पर महाराष्ट्र के वरिष्ठ भाजपा नेता और मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के कार्यकाल की उपलब्धियों को दर्शाने के लिए उनके कार्यालय द्वारा एक बैनर जारी किया गया। लेकिन इस बैनर में एक बेहद बड़ी गलती थी, जिसने पूरे सोशल मीडिया पर भाजपा को मज़ाक का विषय बना दिया।
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इस बैनर में तारीख “29 जुलाई 2053” दर्ज की गई थी, जो अभी से कई दशक आगे की तारीख है। यह सिर्फ एक टाइपिंग मिस्टेक नहीं थी, बल्कि एक जिम्मेदार नेता के कार्यालय की अक्षम्य लापरवाही और अव्यवस्था को दर्शाती है।


भाजपा कार्यालयों में बार-बार हो रही हैं ऐसी गलतियां!
यह कोई पहली बार नहीं हुआ है जब भाजपा कार्यालय की ओर से ऐसी बड़ी चूक हुई हो। इससे पहले चंद्रपुर के भाजपा महानगर अध्यक्ष राहुल पवाड़े के कार्यालय में भी एक बड़ी गलती सामने आई थी। उन्होंने अपने निमंत्रण पत्र में “आदरणीय श्यामा प्रसाद मुखर्जी” का नाम गलती से “कामाप्रसाद मुखर्जी” छाप दिया था।
उस समय भाजपा के ही नेताओं ने इस गलती पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी, लेकिन अब जब खुद एक वरिष्ठ नेता के कार्यालय से इतनी बड़ी गलती हुई है, तो पूरे भाजपा संगठन की फजीहत हो रही है।

सोशल मीडिया पर भाजपा की खिल्ली
यह बैनर जैसे ही सोशल मीडिया पर आया, लोगों ने इस पर जमकर मज़ाक उड़ाया। कई लोगों ने चुटकी लेते हुए कहा – “भविष्य के नेताओं के काम आज ही घोषित किए जा रहे हैं क्या?” कुछ यूजर्स ने इसे भाजपा की कार्यशैली में व्याप्त गड़बड़ी और लापरवाही का संकेत बताया। सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़ आ गई और भाजपा की इस गलती को लेकर तमाम व्यंग्यात्मक टिप्पणियां की गईं।
भाजपा की चुप्पी, कोई आधिकारिक बयान नहीं
इस पूरे मामले पर भाजपा के किसी भी वरिष्ठ नेता ने आधिकारिक बयान नहीं दिया है। लेकिन यह गलती सिर्फ एक कार्यालय की नहीं, बल्कि पूरे संगठन की कार्यशैली पर सवाल उठाने वाली है। भाजपा के कई समर्थकों ने भी इस गलती को लेकर पार्टी की कार्यक्षमता और सतर्कता पर सवाल खड़े किए हैं।
भाजपा नेताओं की ज़िम्मेदारी कहाँ है?
एक ऐसा बड़ा राजनीतिक दल, जिसके कार्यकर्ता छोटी-छोटी गलतियों को बर्दाश्त नहीं करते, उसी पार्टी के बड़े नेता और उनके कार्यालय ऐसी बुनियादी गलतियां कर रहे हैं और उस पर कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है, यह और भी चौंकाने वाला है।
बड़े-बड़े वादे करने वाले नेताओं के कार्यालय अगर ऐसी बुनियादी बातों पर भी ध्यान नहीं दे पा रहे हैं, तो आम जनता उन पर कैसे भरोसा करे?
यह केवल एक टाइपिंग मिस्टेक नहीं, बल्कि भाजपा के संगठनात्मक ढांचे में फैली अव्यवस्था का प्रतीक है। पार्टी को चाहिए कि वह इस तरह की गलतियों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए, ताकि आगे चलकर इस तरह की लापरवाहियों से बचा जा सके।